तांडव विवाद के बाद मिर्जापुर वेबसीरीज के मेकर्स पर भी मिर्जापुर की गलत छवि दिखाने को लेकर एक एफआईआर दर्ज की गई थी। 17 जनवरी को हुई शिकायत के खिलाफ मेकर्स ने इलाहबाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए मेकर्स को गिरफ्तारी से राहत दे दी है।
यह फैसला जस्टिस एमके गुप्ता और वीरेंद्र कुमार आईवी की बेंच ने दिया।बेंच ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस भी जारी कर उनसे जवाब मांगा हैं।
दस दिन पहले हुई थी मिर्जापुर में एफआईआर
मामले को लेकर 17 जनवरी को एक एफआईआर फरहान और रितेश के नाम दर्ज हुई थी। जिसे मिर्जापुर के कोतवाली देहात थाने में अरविंद चतुर्वेदी ने दर्ज करवाया था। मेकर्स के खिलाफ धारा 295-A, 504, 505, IPC की धारा 34 और आईटी एक्टर की धारा 67A के तहत शिकायत दर्ज की गई थी। शिकायत में अरविंद ने यह भी लिखा था कि सीरीज के चलते उनके कुछ दोस्त उन्हें कालीन भैया कहकर बुलाने लगे हैं, जो सीरीज में क्रिमिनल दिखाया गया है।
वेब सीरीज का पहला सीजन 2018 में और दूसरा सीजन अक्टूबर 2020 में रिलीज हुआ था।इस पूरे मामले में फरहान-रितेश की ओर से दायर जवाब में कहा गया था कि यह सीरीज पूरी तरह फिक्शन पर आधारित है। यह बात हर एपिसोड के पहले डिस्क्लेमर में भी बताई गई है।
मिर्जापुर की सांसद भी उठा चुकीं सवाल
मिर्जापुर की सांसद और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल भी वेब सीरीज पर सवाल खड़े कर चुकी हैं। उन्होंने भी ‘मिर्जापुर’ पर जनपद की छवि खराब करने का आरोप लगाया था। हालांकि, तब सीरीज के मेकर्स ने इसे काल्पनिक बताकर विवाद से पल्ला झाड़ लिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी कर मेकर्स, अमेजन प्राइम वीडियो और केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।
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