नई दिल्ली। जेल में बंद आरोपियों को छुड़ाने के लिए अक्सर वकील अजीब तरह की दलीलें देते हैं। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में बिहार के आरोपी की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि मेरे मुवक्किल की किडनी फेल हो चुकी है। उसे बेहतर इलाज की जरूरत है। उसे जमानत दी जाए। अभी जमानत नहीं दी गई, तो वह मर जाएगा।
इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एसए बोबड़े ने वकील को फटकार लगा दी। उन्होंने कहा कि आप ज्योतिषी हैं या डॉक्टर? अगर मुवक्किल को मरना होगा, तो वह जमानत मिलने के बाद भी मर सकता है।
मेडिकल बेसिस पर याचिका दायर की
सुप्रीम कोर्ट में बिहार के जमुई जिले के गांव लोहंडा के रहने वाले विजय सिंह के मामले में सुनवाई हो रही थी। उसने चिकित्सीय आधार पर जमानत की याचिका दायर की है। उसके वकील की दलील थी कि जेल में उसके मुवक्किल को बेहतर इलाज मुहैया नहीं हो रहा है। उसे जमानत मिल जाएगी, तो वह परिजनों की देखभाल में अच्छे से इलाज करा सकेगा। इस पर CJI ने कहा कि इसमें हम क्या कर सकते हैं? अगर किसी को मौत आनी है तो जमानत से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
गर्मियों की छुटि्टयों तक सुनवाई टाली
उन्होंने कहा कि इलाज की बात करें, तो यह सुविधा हम आपके मुवक्किल को जेल में ही उपलब्ध करा सकते हैं। इसके बाद CJI ने जेल अधीक्षक को निर्देश जारी किया कि वह आरोपी को जेल में इलाज की बेहतर सुविधाएं मुहैया कराए। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई गर्मियों की छुटि्टयों तक टाल दी।
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