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एक से छह दिसम्बर तक अयोध्या में होगा अश्वमेध महायज्ञ का आयोजन

लखनऊ। राम मन्दिर के निर्माण के संकल्प के साथ विश्व वेदांत संस्थान आगामी एक से छह दिसम्बर तक अयोध्या में अश्वमेध महायज्ञ का आयोजन करने जा रहा है। आयोजन की जानकारी देते हुये संस्थान के संस्थापक आनन्दजी महाराज ने बताया कि राम मंदिर निर्माण का आंदोलन दिन पर दिन प्रबल होता जा रहा है। अब इसे जनआंदोलन बनने से कोई रोक नहीं सकता। अयोध्या में राम मंदिर तो बनकर रहेगा। साधुसंत और भारत की आम जनता इसके लिए कमर कस चुकी है। होने जा रहा अश्वमेध महायज्ञ राम मन्दिर की दिषा में पहला कदम है।

उन्होंने कहा त्रेता युग के बाद कलयुग में पहली बार पवित्र भारत भूमि में अयोध्या की धरती पर, जहां भगवान श्रीराम ने जन्म लिया था, अश्वमेघ यज्ञ होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व वेदांत संस्थान सभी संतों को जोड़कर राम मंदिर का निर्माण करेगा। राम मंदिर के निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार नहीं किया जा सकता। संतों को भव्य राम मंदिर के निर्माण का बीड़ा उठाना होगा। मंदिर का विषय राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा है। जिस व्यक्ति का अतीत नहीं होता उसका वर्तमान और भविष्य भी नहीं होता। हर हिंदू धर्म के मतावंलबी को अपने पूर्वजों का सम्मान करना चाहिए और मंदिर निर्माण में यथासंभव योगदान देना चाहिए।

विश्व वेदांत संस्थान के संस्थापक ने कहा श्रीराम का मंदिर बनने से कोई रोक नहीं सकता। हमारे देश में विभिन्न मत या संप्रदाय के लोग रहते हैं, लेकिन सबके भगवान श्री राम ही पूर्वज है। हर हिंदू को अपने पूर्वज भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। महायज्ञ के संयोजक स्वामी आनंदजी महाराज ने बताया कि विश्व वेदांत संस्थान का केंद्र नीदरलैड में हैं। भारत के 21 प्रदेश में करीब 10 लाख सदस्य अब तक संस्थान से जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में आ रही बाधाओं के निवारण के लिए ही महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा।

अनुष्ठान का उद्देश्य राम मंदिर निर्माण में आ रही बाधाओं के निवारण के साथ-साथ संतों में जागृति भी पैदा करना है। राम मंदिर के लिए हमें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के इंतजार की जरूरत नहीं है। राम मंदिर का निर्माण संतों के आदेश और निर्देशन में ही होगा। संतों का काम हिंदू समाज की रक्षा और धर्म का प्रचार-प्रसार करनाहै। उन्होंने बताया कि अश्वमेघ यज्ञ की रूपरेखा तो तैयार हो चुकी है। त्रेता युग के बाद पहली बार अश्वमेघ यज्ञ भारत की धरती पर आयोजित किया जाएगा।

जिस व्यक्ति का अतीत नहीं होता उसका वर्तमान और भविष्य नहीं होता। जो मानव अपने पूर्वजो का सम्मान नहीं करता, वह विनाश की कोख में समा जाता है। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट कुछ मामलों में रात में अपना फैसला सुना सकता है तो राम मंदिर निर्माण के मामले में देरी क्यों कर रहा है? संघ का भी विचार अब बदल रहा है। रामजन्म भूमि मामले में भी मोदी सरकार को अध्यादेश लाना होगा। उन्होंने कहा कि हमें प्रधानमंत्री को मजबूत बनाना होगा।

उन्होंने कहा कि संतों के चलते ही राष्ट्रभक्त व्यक्ति प्रधानमंत्री बना। अब उन्हें मंदिर निर्माण की तारीख बतानी होगी। उन्होंने कहा कि सद्भावना के माहौल में मंदिर निर्माण होना चाहिए। कथनी-करनी को जब हम एक कर लेंगे, तभी निर्माण संभव होगा। अब भारत में हरेक व्यक्ति मंदिर निर्माण के पक्ष में है।

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