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वाराणसी पहुंची दिल्ली में किसानों के आंदोलन की आग, बुलंद की आवाज

वाराणसी। एक तरफ जहां देश भर के किसान दिल्ली में विशाल मार्च निकाल रहे थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रोहनिया में किसानों ने हक पंचायत आयोजित कर आवाज बुलंद की। नारा दिया, मिलकर बदले हिंदुस्तान, हर हाथ को काम दो,काम का पूरा दाम दो। यही नहीं किसानों के साथ मजदूरों, छात्रों और महिलाओं ने भी अपनी आवाज बुलंद की। मनरेगा मजदूर यूनियन, पूर्वांचल किसान यूनियन, लोक समिति, लोक चेतना समिति और जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हक पंचायत में राजातालाब क्षेत्र के हजारों मजदूरों ने अपनी आवाज बुलंद की। इस मौके पर किसानों ने जमकर नारेबाजी की, उनके नारे थे, देश की जनता करे पुकार, रोजी, रोटी, दवाई, पढ़ाई की है दरकार।

देशव्यापी संविधान सम्मान यात्री मीरा संघमित्रा ने यात्रियों का परिचय कराया। ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि डॉ महेंद्र सिंह पटेल ने आदिवासी कार्यकर्त्ता सुकालो का अंगवस्त्र देकर स्वागत कर हक पंचायत किसान सभा की शुरुआत की। इस मौके पर डॉ. संदीप पांडेय ने कहा कि वर्तमान सरकार जिस तरह से लोगों के बोलने पर पाबंदी लगा रही है यह एक तरह का अघोषित आपातकाल है, जिसके खिलाफ ये संविधान सम्मान यात्रा का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि जहां लोग काम की तलाश में दर दर भटक रहे है वहां ये सरकार लोगों को मंदिर-मस्जिद के नाम पर लड़ाने का काम कर रही है।

सरकार अडानी अम्बानी को किसानों की जमीन कौड़ियों के दाम पर बेच रही है। उन्होंने कहा कि हम जिस जगह खड़े है ये पूरा क्षेत्र डार्क जोन घोषित है, फिर भी कोका कोला कंपनी को जमीन के नीचे का पानी निकालने की खुली छूट है। वही अगर कोई किसान बोरवेल लगाना चाहे तो उसे सैकड़ों बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाना पड़ता है तब कहीं जाकर उसे जमीन के नीचे का पानी निकालने की अनुमति मिल पाती है।जन जागरण शक्ति संगठन बिहार की संयोजिका कामायनी जी ने कहा कि वर्तमान सरकार गरीबों की बात करती है जब कि गरीबों के लिए बनाई गई मनरेगा को खत्म करती जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में उत्तर प्रदेश में मनरेगा की मजदूरी मात्र एक रूपया ही बढ़ा है जबकि मंहगाई दोगुने रफ्तार से बढ़ रही जब मजदूर काम की मांग करने ब्लाक तक पहुंच रहे है तो उनको किसी तरह से बहकाकर वापस भेज दिया जा रहा है। काम के बाद मजदूरी के लिये बार बार ब्लाक का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

मजदूरों के राशन कार्ड बने है उसमे अधिकतर लोगों के नाम छूटे है, छूटे नाम कब जुड़ेंगे कोई बताने वाला नहीं है। प्रधानमंत्री ने करोड़ों रुपये विज्ञापन पर खर्च करके आयुष्मान भारत योजना चलायी जिसका लाभ सीधे सीधे मजदूरों को मिलना चाहिए था लेकिन उसका लाभ मजदूरों से ज्यादा दूसरे लोगों को मिल रहा है जिनको शायद उसकी इतनी आश्यकता भी नही है। किसान नेता भूपेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों की वजह से अन्नदाता आज आत्महत्या करने को विवश है। किसान कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे है। उन्होंने मांग की कि सरकार किसानो को भी सरकारी कर्मियों के अनुसार वेतन देने की व्यवस्था करे। कहा कि किसानो को मिलने वाली बिजली की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि बड़े बड़े उद्योगों को औने पौने दाम में बिजली दी जा रही है। विकास के नाम पर किसानों की जमीनो का जबरिया तेजी से अधिग्रहण किया जा रहा है, लेकिन किसानों का विकास कही दिखाई नहीं पड़ रहा है।

कनहर सिंगरौली से आयी सुकालो ने कहा कि आज अपने हक अधिकारों के लिए जो सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रहे है उनको फर्जी मुकदमे में फंसाकर उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चला रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी कमियो को छिपाने के लिए अर्बन नक्सल के नाम पर सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल भेजने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आज देश भर में जगह जगह इस सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ संघर्ष जारी है। मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने कहा कि जब ये सरकार आई थी तो साल में 02 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात करती थी। पर आज जब नौजवान और छात्र रोजगार की मांग करते है तो उनको सरकार लाठियों से पीटने का काम करती है।

रोजगार की बात करने पर प्रधानमंत्री जी पढ़े लिखे बेरोजगारों को पकौड़ा तलने की सलाह दे रहे है। पुरे देश में आम लोग अपने हक हकूक के लिए संघर्ष कर रहे है और सरकारे बाबा साहब के सपने को चकनाचूर कर रही है। संविधान में कहा गया हैं हम सब बराबर है पर आज एक बहुत बड़ी खांई बन गई है और संविधान की मूल भावना को तार तार करते हुए वर्तमान सरकार पूंजीपतियों के हांथों देश को बेचती चली जा रही है जो कि हमलोगों को मंजूर नहीं है।

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