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दिलचस्प रहा है दिनेश त्रिवेदी का राजनीतिक सफर, अब फिर नई पारी शुरू करने की अटकलें

कोलकाता। आज राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को भी अलविदा कहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री दिनेश त्रिवेदी का राजनीतिक सफर बहुत दिलचस्प रहा है।
पहले कांग्रेस और बाद में ममता बनर्जी के साथ राजनीतिक पारी खेल चुके त्रिवेदी की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से पहले ही खटपट हो चुकी थी। यहां तक कि जेम्स बांड फिल्म की शूटिंग की अनुमति न देने पर भी वह सुर्खियों में आए थे। 70 वर्षीय दिनेश त्रिवेदी गुजराती दंपति के पुत्र हैं। उनके पिता-माता हीरालाल और उर्मिला त्रिवेदी 1947 में भारत विभाजन के समय पाकिस्तान के करांची से आए थे।
दिल्ली में जन्म लेने के बाद त्रिवेदी की हिमाचल प्रदेश के बोर्डिंग स्कूल से पढ़ाई की। फिर कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक और एमबीए करने के बाद वे अमेरिका चले गए फिर शिकागो में नौकरी की। कुछ समय बाद वे फिर भारत आ गए। फिर वह पहली बार 1980 में राजनीति में आ गए और कांग्रेस में शामिल हो गए। फिर 1990 में कांग्रेस छोड़कर जनता दल का दामन थाम लिया। इस दौरान वह राज्यसभा के सदस्य भी बनें।
वर्ष 1998 में ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की, तब दिनेश त्रिवेदी उनके साथ आ गए और पार्टी के पहले महासचिव बनें। तृणमूल से वह पहले राज्यसभा और फिर 2009 और 2014 में दो बार बैरकपुर सीट से लोकसभा सदस्य भी चुने गए थे। परंतु, 2019 में ममता बनर्जी का ही साथ छोड़कर वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए लेकिन दबंग नेता अर्जुन सिंह से वह हार गए। इसके बाद पिछले वर्ष अप्रैल में त्रिवेदी फिर तृणमूल में आ गये और राज्यसभा के लिए मनोनीत हुए।
ममता ने बनाया था रेल मंत्री
दिनेश त्रिवेदी पहले मनमोहन सरकार में राज्यमंत्री थे। फिर 2011 में ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने त्रिवेदी को रेल मंत्री बनवा दिया। एक साल के बाद ही बजट पेश करने के तुरंत बाद ममता के दबाव में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। उस दौरान ममता के साथ राजनीतिक खटास की खबरें भी आई थीं।
हालांकि बाद में सबकुछ सामान्य हो गया था और तृणमूल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बैरकपुर उसे दोबारा टिकट दिया था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में जब वह अर्जुन सिंह से हार गए थे। इसके बाद त्रिवेदी के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज थीं लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा का टिकट देकर रोक लिया था।
शुक्रवार को उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देने के साथ ही तृणमूल छोड़ने की घोषणा कर दी है। विधानसभा चुनाव से पहले उनका यह कदम निश्चित तौर पर नई राजनीतिक पारी शुरू करने का संकेत है। हालांकि उन्होंने इस बारे में अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है लेकिन भाजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उनके लिए भाजपा के दरवाजे खुले होने के संकेत दे दिए हैं।
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