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370 पर शाह: जम्मू-कश्मीर में 70 साल शासन करने वाले मांग रहे हैं हिसाब

नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के हालात पर बयान दिया। शाह बोले, ‘जिनको पीढ़ियों तक शासन करने का मौका दिया, वे अपनी गिरेबान में झांककर देखें कि वे हिसाब मांगने के लायक हैं भी या नहीं।’ इधर, लोकसभा ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2021 को मंजूरी दे दी।

शाह ने कहा कि आर्टिकल 370 को हटाने के मामले पर अदालत में लंबी सुनवाई चली और फिर 5 जजों की बेंच को इसे ट्रांसफर कर दिया गया। अब विपक्ष हमसे कहता है कि आप सुप्रीम कोर्ट के सामने जाएं और उनसे कहें कि इस पर जल्द सुनवाई हो। हम सुप्रीम कोर्ट के सामने हैं और यह बात लेकर सामने हैं कि देश में आर्टिकल 370 नहीं होना चाहिए।

अभी सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई का दौर चल रहा है, लेकिन इस मामले की वर्चुअल सुनवाई नहीं हो सकती। इसलिए जब फिजिकल सुनवाई फिर से शुरू होगी, तो ये मामला सुना जाएगा।

शाह बोले- जम्मू-कश्मीर को सही समय पर राज्य का दर्जा देंगे
शाह ने कहा, ‘उपयुक्त समय पर जम्मू-कश्मीर को स्टेटहुड दिया जाएगा। क्या गोवा राज्य नहीं है? मिजोरम राज्य नहीं है? अगर आप ध्यान से पढ़ें तो इतनी फजीहत ही नहीं होगी। जहां जिस तरह की भौगोलिक और एडमिनिस्ट्रेटिव परिस्थिति होती है, वहां उस हिसाब से अफसर भेजने पड़ते हैं। आप इन चीजों को हिंदू-मुस्लिम में बांट देते हैं, देश के अफसरों को भी। क्या एक हिंदू अफसर मुस्लिम जनता और मुस्लिम अफसर हिंदू जनता की सेवा नहीं कर सकता है? इसके बाद आप अपने आपको सेकुलर कहते हैं, ये कैसा सेकुलरिज्म है?’

गृह मंत्री का सवाल- किसके दबाव में आर्टिकल 370 को इतने समय जारी रखा?
शाह ने कहा, ‘अभी ये लोग कह रहे हैं कि 2G से 4G हमने विदेशियों के दबाव में किया। ये मोदी की सरकार है, जिसमें देश के फैसले देश करता है। कुछ समय के लिए हमने ये सेवाएं बंद की थीं, ताकि अफवाहें ना फैलें। आपने तो अटलजी के समय मोबाइल बंद कर दिए थे। नागरिक का सबसे बड़ा अधिकार है सुख-शांति से रहने का और सलामती से रहने का। सलामती जहां नहीं होंगी, वहां सारे अधिकार क्या होंगे। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपने किसके दबाव के चलते आर्टिकल 370 को इतने समय तक जारी रखा?’

‘कांग्रेस ने एक टेम्परेरी आर्टिकल को 70 साल तक बनाए रखा’
शाह ने आगे कहा, ‘मैं एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ता हूं। पहले की सरकारों ने भी जो वादे किए, उन्हें ध्यान से पढ़कर उन पर अमल करना चाहिए। 370 में टेम्परेरी एग्रीमेंट वाली बात थी। आप 17 महीने में हमसे हिसाब मांगते हो और 70 साल टेम्परेरी आर्टिकल 370 चला, उसका जवाब कौन देगा? हम आएंगे-जाएंगे, जीतेंगे-हारेंगे, लेकिन इसे ध्यान में रखकर देश को ताक पर नहीं रखेंगे। ये आपकी सोच है।

आप कहते हैं कि अफसरों के काम करने का अधिकार चला जाएगा। कश्मीर में अफसर काम क्यों नहीं कर पाएगा? क्या कश्मीर देश का हिस्सा नहीं है? क्या कश्मीर के युवा को IAS और IPS बनने का हक नहीं है? कांग्रेस का शासन याद करिए क्या होता था? हजारों लोग मारे जाते थे और सालों तक कर्फ्यू लगा रहता था। कश्मीर में शांति बहुत बड़ी चीज है। भगवान करे वहां अशांति न हो।’

‘देश में दो निशान, दो संविधान नहीं रहेंगे’
शाह ने कहा कि कश्मीर के अंदर चीप पॉपुलैरिटी के लिए किसी अफसर को बाहरी कहना ठीक नहीं है। सभी भारत माता की संतान हैं और भारत के अफसर हैं। नए पैटर्न पर आप नया तर्क ले आए हैं। किसी को अलग झंडा और अलग संविधान नहीं दिया गया है। हमने 1950 में वादा किया था कि देश में दो निशान और दो संविधान नहीं रहेंगे।’

‘कश्मीर में पंचायत चुनाव में गोली नहीं चली’
अमित शाह ने बताया कि आर्टिकल 370 हटने के बाद वहां सबसे पहला काम पंचायती राज स्थापित करने का हुआ। पंचायती चुनाव में 51.7% वोटिंग हुई। कहीं गोली नहीं चली। विरोधी भी आरोप नहीं लगा सकते कि चुनाव में घपला हुआ है। कांग्रेस के शासन में कैसे चुनाव होते थे, मैं उसमें नहीं जाना चाहता। जिन्होंने 370 वापस लाने के आधार पर चुनाव लड़ा, वो साफ हो गए। कश्मीर की जनता का मेंडेट भी उन्हें नहीं मिला।’

‘आज का पंच कल विधायक बनेगा’
पंचायती राज चुनाव की बात को आगे बढ़ाते हुए शाह ने कहा कि आज जो पंच, सरपंच और जिला पंचायत का सदस्य मिला है, वो कल विधायक बनेगा। उसे किसी के आशीर्वाद की जरूरत नहीं है। इन चुनावों के लिए जम्मू-कश्मीर की जनता और सुरक्षाबलों को बधाई देता हूं। चुनाव के बाद हमने उन्हें बजट दिया है।

पहले 5 हजार रुपए भी सरपंच को सरकार से मांगने पड़ते थे। आज उनके खातों में 1500 करोड़ रुपए दे दिए गए हैं। एडमिनिस्ट्रेशन के 21 विषय उन्हें सौंप दिए हैं। इससे वो आत्मनिर्भर होकर अपने गांव का विकास करेंगे। ये काम 370 हटाने के कारण हुआ है।’

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल-370 को खत्म कर दिया था। इससे जम्मू-कश्मीर में भी भारत का संविधान लागू होने का रास्ता साफ हो गया। सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में दो जिले लेह और करगिल शामिल किए गए।

जम्मू-कश्मीर में कब लागू हुआ आर्टिकल 370?
जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के समय संविधान में आर्टिकल- 370 जोड़ा गया था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा और कुछ विशेष अधिकार मिले थे। इसके तहत केंद्र सरकार सिर्फ रक्षा, विदेश और संचार से जुड़े मामलों में ही दखल दे सकती थी।

संसद की तरफ से पारित कई कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते थे। आर्टिकल 370 के तहत ही अनुच्छेद 35-ए को जोड़ा गया था। इससे राज्य के लोगों को कुछ विशेषाधिकार मिले हुए थे। आर्टिकल-370 के प्रभावी रहने पर राज्य का पुनर्गठन नहीं किया जा सकता था।

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