टल जाएगी फांसी?: दया की उम्मीद में शबनम ने राज्यपाल को भेजी अर्जी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में बंद शबनम ने एक बार फिर राज्यपाल के समक्ष दया याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। उसने अपने वकील के जरिए जेल अधीक्षक को दया याचिका के लिए प्रार्थना पत्र सौंपा है। जेल अधीक्षक अब UP की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को यह अर्जी भेजेंगे। राज्यपाल से दया की उम्मीद का शबनम का दूसरा प्रयास है। 13 साल पहले शबनम ने अमरोहा के बावनखेड़ी गांव में अपने परिवार के 7 सदस्यों की निर्ममता से हत्या कर दी थी।

शबनम की पहली दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं। शबनम के साथ उसके प्रेमी सलीम की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।

2015 में राज्यपाल ने खारिज की थी दया याचिका

15 जुलाई 2010 को ट्रायल कोर्ट ने दोनों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी बरकरार रखी। शबनम ने बेटे का हवाला देते हुए माफी की मांग की थी। 2015 सितंबर में UP के गवर्नर राम नाईक ने भी शबनम की दया याचिका याचिका खारिज कर दी थी।

अमरोहा के जिला जज से मांगा गया डेथ वांरट

शबनम को रामपुर जेल की महिला बैरक नंबर 14 में रखा गया है। जेलर आरके वर्मा ने बताया कि अमरोहा के जिला जज से डेथ वारंट मांगा गया है। जैसे ही मिलेगा, वैसे ही उसे मथुरा जेल भेजा जाएगा। कारण मथुरा जेल में ही महिलाओं को फांसी दिए जाने की व्यवस्था है। राष्ट्रपति ने 15 फरवरी 2022 को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि फांसी कब होगी, इसकी अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है। मथुरा जेल प्रशासन द्वारा फांसी घर की मरम्मत और फंदे के रस्सी का ऑर्डर दिया जा चुका है।

दवा देकर बेहोश किया, फिर कुल्हाड़ी से काट दिया था
अमरोहा के बाबनखेड़ी गांव की निवासी शबनम ने 15 अप्रैल 2008 को अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के अलावा अनीस के 10 महीने के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी। सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया गया और इसके बाद अर्श को छोड़कर अन्य को कुल्हाड़ी से काट डाला था।

शबनम ने अर्श का गला दबाकर उसे मारा था। जांच में पता चला था कि शबनम गर्भवती थी, लेकिन परिवार वाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम से मिलकर पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था।

जेल में ही शबनम ने बेटे को दिया था जन्म
जेल में रहने के दौरान शबनम ने 14 दिसंबर 2008 को बेटे को जन्म दिया था। उसका बेटा जेल में उसके साथ ही रहा था। 15 जुलाई 2015 में उसका बेटा जेल से बाहर आया, इसके बाद शबनम ने बेटे को उस्मान सैफी और उसकी पत्नी सौंप दिया था। उस्मान शबनम का कॉलेज फ्रेंड है, जो बुलंदशहर में पत्रकार है।

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