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पांच विधानसभाओ में हार के बाद सांसत में सरकार, लागू होगी पुरानी पेंशन?

नई दिल्ली।  पुरानी पेंशन के लिए कई राज्यों के कर्मचारी लगातार प्रदर्शन कर रहे है। वह पुरानी पेंशन बहाली के लिए सरकार पर लगातार दबाव डाल रहे है। उल्लेखनीय है कि 2019 में जल्द ही आम चुनाव होने वाले हैं इसको देखते हुए केन्द्र सरकार पर दबाव पड़ रहा है। पुरानी पेंशन वह व्यवस्था है जिसमें स्कीम के तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने कार्यकाल के दौरान एक पेंशन अकाउंट में निवेश कर सकता है। रिटायर होने पर खाताधारक अपनी एक मुश्त रकम में से कुछ हिस्सा निकाल सकता है और बाकी धनराशि से कोई वार्षिक प्लान खरीद सकता है जिसमें महीने की नियमित आय की व्यवस्था हो सके।

केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से पेंडिंग मांगों को मानते हुए नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में काफी बदलाव किए हैं। जहां सरकार ने एनपीएस में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा दी है, वहीं पेंशन राशि की निकासी पर सौ प्रतिशत टैक्स की छूट भी दे दी है। यह सब एनपीएस को लेकर हो रही शिकायतों के बाद किया गया है। लोग चूंकि कई वजहों से पुरानी स्कीम की बहाली चाहते थे इसलिए यह सवाल बना हुआ था कि क्या पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली संभव है?

बता दें कि सरकार ने जनवरी 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए नैशनल पेंशन स्कीम लॉन्च की थी। इसके आने के बाद से जितने भी सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति हुई, वे पुरानी पेंशन स्कीम की बजाय एनपीएस के तहत आने लगे। एनपीएस आने के बाद लोग पुरानी पेंशन स्कीम बहाली की मांग मुख्यतौर पर इसलिए कर रहे हैं कि पुरानी स्कीम में कर्मचारियों का कोई कंट्रिब्यूशन नहीं है और तय पेंशन की गारंटी भी है।

पुरानी पेंशन की बहाली के सवाल पर जानकार मानते हैं कि बहाली मुमकिन नहीं है क्योंकि सरकार पर उसके कारण भारी बोझ पड़ना तय है। यही वजह है कि सरकार ने एनपीएस में ही सुधार करके कई ऐसी बातें जोड़ी हैं जो पुरानी स्कीम में नहीं थीं। ईपीएफओ के सदस्य विरजेश उपाध्याय का कहना है कि कुछ ऐसी भी बातें हैं जो पुरानी पेंशन स्कीम में नहीं थीं, मगर एपीएस में लाई गई हैं। मसलन, पेंशन स्कीम में सरकार का योगदान कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का 14 फीसदी होगा।

इसके अलावा इसमें जमा होने वाली राशि पर टैक्स छूट को इनकम टैक्स की धारा 80C के दायरे में लाया गया है। यह सुविधा पुरानी पेंशन स्कीम में नहीं थी। हालांकि पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है, वहीं नई पेंशन स्कीम में पेंशन का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है। हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि पेंशन का निर्धारण का यह तरीका ठीक नहीं है क्योंकि रिटर्न कम आने पर पेंशन भी कम हो जाएगी।

सरकार ने एनपीएस में कई बदलाव करके इसे पहले से बेहतर बनाने की कोशिश की है

पेंशन में सरकार कर्मचारियों की बेसिक सेलरी का 14% योगदान देगी जो पहले 10% था। कर्मचारियों का योगदान 10% ही रहेगा।
रिटायरमेंट के बाद एनपीएस से पैसा निकालने पर लगने वाला टैक्स हटा दिया गया है।
• मौजूदा नियमों के मुताबिक कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद कुल पेंशन में से 60 फीसदी निकाल सकता था, बाकी 40 फीसदी को किसी वार्षिक प्लान में इनवेस्ट करना होता है, जिस पर आपको नियमित पेंशन मिलती है। इस 60 फीसदी में से 40 फीसदी पर रिटायरमेंट के समय टैक्स नहीं लगता है, जबकि 20 फीसदी टैक्स के दायरे में आता है। नए नियमों के मुताबिक यह पूरा 60 फीसदी धन टैक्स फ्री रहेगा।
एनपीएस में दो तरह के अकाउंट बनाए जा सकते हैं। टियर-1 अकाउंट से खाताधारक 60 वर्ष की उम्र तक पैसा नहीं निकाल सकता। टियर-2 अकाउंट स्वैच्छिक सेविंग्स अकाउंट होता है, जिसमें से खाताधारक कभी भी पैसा निकाल सकता है।
नए नियमों के अनुसार अगर एनपीएस के टियर-2 अकाउंट में निवेश किया जाता है तो यह सेक्शन 80C के लिए मान्य होगा यानी जमा राशि पर 1.50 लाख तक की इनकम टैक्स छूट मिलेगी।

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