लद्दाख। पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर डिसएंगेजमेंट पर अहम राय रखी है। मलिक के मुताबिक, लद्दाख में ऑपरेशन स्नो लेपर्ड का पहला फेज पूरा हो गया है। पैंगॉन्ग झील के उत्तरी और दक्षिण छोर से भारत-चीन की सेनाओं की वापसी की पुष्टि हो चुकी है। यही फेज सबसे अहम था, क्योंकि यहां वे पॉइंट्स थे, जहां दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी थीं। इसलिए, स्थिति कभी भी युद्ध में बदल सकती थी। यानी, अब हम कह सकते हैं कि जंग की नौबत टल गई है। भारत के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि हमने अपनी शर्तों पर चीनी सेना को वापस भेजा है।
कैलाश रेंज से वापस आने का मतलब यह कतई नहीं है कि हम दोबारा वहां नहीं पहुंच सकते। अगर चीन कुछ गड़बड़ करता है तो हमारी सेना वहां 3 घंटे में पहुंच सकती है, जबकि चीनी सेना को वापस पहले की स्थिति में आने में 12 घंटे लगेंगे। चीन को पीछे धकेलने में सफल होने के बाद हम पहली बार 1962 की पराजित मानसिकता से बाहर आए हैं।
यह पहली बार हुआ है, जब चीन ने लिखित में सेना वापसी की शर्तें मानी हैं। उसने पहले बख्तरबंद वाहनों, तोपों और टैंकों को हटाया, फिर दोनों सेनाएं उत्तरी और दक्षिण छोर से पीछे हटीं। आखिर में हमारी सेना कैलाश रेंज से पीछे हटी। अब शनिवार को दोनों सेनाओं के कमांडर फिर बैठक करेंगे। इसमें देपसांग, गोगरा और हॉट स्प्रिंग के पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर बात होगी।
दरअसल, पिछले 10 महीने में हमने चीन को यह जता दिया है कि समझौते के अलावा कोई रास्ता नहीं है। LAC पर यथास्थिति बदलने की उसकी मंशा नाकाम रही। यह आशंका जाहिर की जा रही है कि कैलाश रेंज से हमारी सेना हटने के बाद चीन का रुख बदल सकता है। लेकिन, मैं दावे से कह सकता हूं कि दक्षिण पैंगोंग में हम मजबूत स्थिति में हैं।
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