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बिना सोचे ऐप्स को दे रहे हैं लोकेशन ट्रैक करने की परमिशन तो रहें सावधान

कई स्मार्टफोन यूजर ऐप्स को बिना सोचे हर तरह की परमिशनंस दे देते हैं। शायद उन्हें यह नहीं पता होता कि ऐप उनका कौनसा डेटा निकाल सकता है। एक नई रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि लोकेशन ट्रैकिंग ऑन रहने पर ऐप्स किस तरह की निजी जानकारियां निकाल सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ बोलोग्ना और लंदन के दो शोधकर्ताओं ने बताया कि किसी ऐप को लोकेशन ट्रैक करने की परमिशन देना कितना खतरनाक हो सकता है।

शोधकर्ताओं ने एक खास ऐप की मदद ली
इसके लिए शोधकर्ताओं ने ‘ट्रैकिंगएडवाइजर’ नाम का ऐप बनाया, जो लगातार यूजर का लोकेशन डेटा इकट्ठा करता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि लोकेशन डेटा के जरिए ऐप निजी जानकारियां निकाल सकता है। इतना ही नहीं ऐप यूजर की जानकारी सही होने की पुष्टि करने के लिए उनसे फीडबैक भी ले सकता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ बोलोग्ना के शोधकर्ता ने कहा कि ऐप्स और सर्विसेस को दी गईं कुछ परमिशन से होने वाले खतरे से यूजर अनजान रहते हैं, खास तौर से जब बात लोकेशन ट्रैकिंग की हो। स्टडी में इस्तेमाल की गई ट्रैकिंगएडवाइजर ऐप के जरिए शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि ऐप ने यूजर की किस तरह की व्यक्तिगत जानकारी निकाली और वे कितनी संवेदनशीलता थीं। इसमें मशीन लर्निंग तकनीक का भी अहम रोल है, जो संवेदनशील जानकारी जैसे यूजर की लोकेशन, उनकी आदतें, रुचियां और उसके व्यक्तित्व के बारे में जानकारी इकट्ठा करती है।

69 यूजर्स को स्टडी में शामिल किया गया
स्टडी में शामिल 69 यूजर ने कम से कम दो सप्ताह के लिए ट्रैकिंगएडवाइजर ऐप का उपयोग किया। ऐप ने 2 लाख से अधिक स्थानों पर नजर रखी, लगभग 2,500 स्थानों की पहचान की और जनसांख्यिकी (डेमोग्राफिक) और व्यक्तित्व (पर्सनैलिटी) दोनों से संबंधित लगभग 5,000 व्यक्तिगत जानकारियां इकट्ठा की।

गौर करने वाली बात यह कि, इकट्ठा किए गए डेटा में यूजर्स के स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक स्थिति, जाति और धर्म के बारे में जानकारियां थीं।

शोधकर्ताओं ने कहा की हम यूजर्स को यह दिखाना चाहते थे कि लोकेशन ट्रैकिंग के जरिए यूजर का कौनसा डेटा इकट्ठा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर अपने डेटा को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो ऐप्स को परमिशन देने से रोक सकते हैं, जिसके बाद कोई भी ऐप डेटा नहीं चुरा पाएगा।

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