नई दिल्ली। आखिर सरकार ने डिजिटल मीडिया को कंट्रोल में लेने के मुद्दे पर अपने पत्ते खोल ही दिए। ऑनलाइन कंटेंट के नए नियम जारी किए हैं। सोशल मीडिया पर नकेल तो कसी ही है, न्यूज के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और मनोरंजन करने वाले OTT प्लेटफॉर्म्स को भी सेल्फ-रेगुलेशन में बांध दिया है। सरकार ने इसके लिए कोई नया कानून नहीं बनाया, बल्कि इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत नए नियम बनाए हैं।
नाम दिया है- इंफर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 और इसमें ही सोशल मीडिया, OTT और डिजिटल न्यूज कंपनियों के लिए गाइडलाइन तय की है।
आपके काम की बात करें तो तीन तरह के प्लेटफॉर्म्स के लिए नियम-कायदे बनाए गए हैं- 1. सोशल मीडिया, 2. डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स और 3. ओवर-द-टॉप या OTT प्लेटफॉर्म्स। आइए समझते हैं कि क्या नियम बने हैं और वह आपको किस तरह प्रभावित करेंगे।
1. सोशल मीडियाः ज्यादातर नियम एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े
नए नियमों की बात करें तो ज्यादातर एडमिनिस्ट्रेटिव नेचर के हैं। यूजर्स को कम और कंपनियों को ज्यादा प्रभावित करते हैं। यूजर्स के लिए अच्छी बात यह है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग बंद होगा। फेक न्यूज, अफवाहें, दुष्प्रचार और आपत्तिजनक कंटेंट रोकने में सरकार को मदद मिलेगी। सरकार कह रही है कि आलोचनाओं को नहीं रोकेंगे, बल्कि सिर्फ गड़बड़ी फैलाने की कोशिशों पर अंकुश लगाएंगे।
खैर, आप भी जान लीजिए कि कंपनियों को क्या कहा गया है-
IT लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल का कहना है कि 2011 में बने नियमों में आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के लिए 36 घंटों का वक्त दिया गया था। इसे कम करते हुए 24 घंटे किया है। फिर भी यह ज्यादा है। इन 24 घंटों में तस्वीर लाखों लोगों तक पहुंच सकती है। इस लिमिट को और कम किया जाना चाहिए था। सरकार ने विदेशी कंपनियों को साफ कर दिया है कि अगर यहां मलाई खानी है तो कानून का पालन तो करना ही होगा।
2. डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्मः प्रिंट और टीवी के बराबर लाने की कोशिश
डिजिटल न्यूज मीडिया के पब्लिशर्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के नॉर्म्स ऑफ जर्नलिस्टिक कंडक्ट और केबल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड का पालन करना होगा। इससे ऑफलाइन (प्रिंट और टीवी) और डिजिटल मीडिया के लिए एक-सा रेगुलेशन होगा। सरकार ने डिजिटल न्यूज मीडिया पब्लिशर्स से प्रेस काउंसिल की तरह सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनाने को कहा है।
3. OTT प्लेटफॉर्मः पूरा जोर सेल्फ-रेगुलेशन पर
OTT प्लेटफॉर्म के लिए कोड ऑफ एथिक्स की बात कही गई है। इसका पालन ऑनलाइन न्यूज के साथ-साथ OTT प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया कंपनियों को करना होगा। दुग्गल का कहना है कि अगर आपको लगता है कि नए रूल्स से गंदगी हट जाएगी तो ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। यह जरूर है कि सर्विस प्रोवाइडर बेलगाम नहीं रह जाएंगे। वहीं, फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री का कहना है कि OTT प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट को लेकर काफी चिंताएं थी। सरकार ने गाइडलाइन बनाकर अच्छा कदम उठाया है। कम से कम लोगों को शिकायत करने की जगह तो मिली। पहले तो यह सिस्टम ही नहीं था। लोग कह रहे थे कि सरकार सेंसरशिप की ओर बढ़ रही है। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। लोगों के बीच कोई कंटेंट जा रहा है तो उसके लिए गाइडलाइन होना ही चाहिए।
आइए जानते हैं कि OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए इन नियमों में क्या है-
OTT से शिकायत है तो तीन स्तरों पर होगी सुनवाई
1. पहले स्तर पर OTT प्लेटफॉर्म उसकी सुनवाई करेगा। ग्रिवांस रिड्रेसल ऑफिसर भारत में होगा और वह 15 दिन के भीतर प्रत्येक शिकायत की सुनवाई करेगा।
2. OTT प्लेटफॉर्म्स की सेल्फ-रेगुलेटिंग बॉडी शिकायतें सुनेगी। जिस शिकायत को कंपनी 15 दिन में दूर नहीं करेगी, उसे यह बॉडी सुनेगी। इस बॉडी को सूचना प्रसारण मंत्रालय में रजिस्टर कराना होगा।
3. सरकार का ओवरसाइट मैकेनिज्म होगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय यह मैकेनिज्म बनाएगा। चार्टर भी बनाएगा। इंटर-डिपार्टमेंटल कमेटी बनेगी जो उस तक पहुंची शिकायतों की सुनवाई करेगी।
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