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अब जन्मजात बीमारियों का भी मिलेगा बीमा क्लेम

नई दिल्ली: बीमा कंपनियां आने वाले समय में आपको किसी भी बीमारी का क्लेम देने से मना नहीं कर पाएंगी. इंश्योरेंस रेगुलेटर ने बीमा कंपनियों से साफ साफ कह दिया है कि बीमा कंपनियां किसी को भी पॉलिसी देने से मना नहीं कर सकती हैं, चाहे वो बीमारी जन्मजात ही क्यों न हो.

चेयरमैन सुभाष चंद्र खुंटिया नेशनल इंश्योरेंस अकादमी के कार्यक्रम में बोल रहे थे. जिसमें उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को कोई पैदाइशी बीमारी है या ऐसी बीमारी जिसके लिए इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी नहीं दे रही है तो कंपनियों को जो बीमारी व्यक्ति के हाथ में नहीं है उसके लिए इंश्योरेंस कवर से वंचित नहीं करना चाहिए. इस मामले में बीमा कंपनियों को ध्यान देने की जरूरत है. ज्यादा डेटा एनालिसिस कर पॉलिसी होल्डर को इंश्योरेंस से दूर रखना गलत है.

कार्यक्रम में उन्होंने बीमा कंपनियों को अपनी सेवाएं सुधारने के लिए वैल्यू एडेड सर्विसेज शुरू करने की भी सलाह दी. पॉलिसी के साथ वैल्यू एडेड सर्विसेज मिलने से ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी. इससे बीमित व्यक्ति या ग्राहक का अनुभव पॉलिसी के साथ बेहतर होगा.

खुंटिया ने बताया कि जल्द ही इंश्योरेंस कंपनियां इंश्योरेंस प्रोडक्ट के साथ वैल्यू एैडेड सर्विस भी जोड़ेंगी जिससे पॉलिसी होल्डर्स को बेहतर सर्विस दी जा सके.

यानी बीमा कंपनियां अपनी बीमा पॉलिसी में ग्राहकों को वैल्यू एडेड सर्विसेज देंगी जैसे किसी डायबिटीज के मरीज को कौन सा डायट प्लान अपनाना चाहिए, क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए. उन्हें फिटनेस कोच मुहैया कराया जाएगा, हेल्थ चेक अप करवाना और कंसल्टेशन जैसी सुविधाएं एडेड सर्विस में शामिल होंगी.

इंश्योरेंस रेगुलेटर का कहना है कि अब इंश्योरेंस कंपनियों को मरीज का हॉस्पिटल में इलाज करवाने से ज्यादा इस बात पर फोकस रहना चाहिए कि वो बीमारियों से अपना बचाव कैसे कर सके, फिट कैसे रह सके ताकि कम से कम उसे अस्पताल आना पड़े. बीमा कंपनियों का ध्यान अपनी सर्विसेज सुधारने पर ज्यादा होना चाहिए.

खुंटिया ने बताया कि कोविड-19 के अबतक 7136.3 करोड़ रुपय के क्लेम दिए जा चुके हैं. जिसमें कोरोना कवच जैसी स्की का क्लेम 700 करोड़ रुपये है. जबकि महामारी से संबंधित लाइफ इंश्योरेंस क्लेम 1242 करोड़ रुपये है, जिसे चुकाया गया है.

इंश्योरेंस कंपनियों ने कोविड-19 में हजारों करोड़ के क्लेम सेटल किए हैं. बेहतर टेक्नोलॉजी की मदद से रिस्क को भी कम किया जा रहा है. खबर के मुताबिक, सैंडबॉक्स नियमों से इंश्योरेंस में बड़े स्तर पर इनोवेशन हो रहा है. इसका असर है कि कंपनियों की इनोवेटिव प्रोडक्ट्स में दिलचस्पी बढ़ी है.

खासकर हेल्थ और स्टैंडर्ड प्रोडक्ट में अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. खबर के मुताबिक, स्टैंडर्ड प्रोडक्ट में भी इनोवेशन किए जा सकते हैं. डेटा के जरिए रिस्क का पता लगाया जा सकता हैं. साथ ही डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी पर इंश्योरेंस कंपनियों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

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