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कांग्रेस जी-23: फैसलों से उपजे फासलों पर खुलकर बोले दिग्गज

नई दिल्ली। कांग्रेस में संगठन चुनाव कराने और नियमित अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग करते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले दिग्गज नेताओं का जमावड़ा शनिवार को जम्मू में लगा। सीनियर कांग्रेस लीडर गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से रिटायरमेंट के कुछ दिनों बाद आयोजित सभा में कई दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया। शांति सम्मेलन नाम से आयोजित कार्यक्रम में इन नेताओं ने मुखरता के साथ पार्टी को लेकर अपनी बात रखी।

सीनियर लीडर और अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस दौरान कहा, ‘यह सच्चाई है कि कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। इसलिए हम लोग यहां जुटे हैं। हम इससे पहले भी इकट्ठा हुए थे और हमें कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाना है।’

यही नहीं कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से रिटायरमेंट को लेकर भी सवाल उठाया। कपिल सिब्बल ने कहा, ‘आजाद एक ऐसे नेता हैं, जो हर राज्य के हर जिले में कांग्रेस की हकीकत और उसकी ताकत के बारे में जानते हैं। हमें दुख हुआ, जब यह पता चला कि वह अब संसद में नजर नहीं आएंगे। हम नहीं चाहते थे कि वह संसद से जाएं। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि आखिर कांग्रेस उनके अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है।’ यही नहीं कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद की तुलना पार्टी के एक इंजीनियर से की।

कपिल सिब्बल ने कहा, ‘गुलाम नबी आजाद की असल में भूमिका क्या थी? एक व्यक्ति जो विमान उड़ाता है, वह अनुभवी व्यक्ति होता है। एक इंजीनियर उसके साथ होता है, जो इंजन या विमान के किसी हिस्से में गड़बड़ी आने पर उसे ठीक करता है। गुलाम नबी आजाद भी उसी इंजीनियर की तरह पार्टी के लिए काम करते रहे हैं।’ इस मौके पर पार्टी के सीनियर लीडर और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा भी मौजूद थे।

आनंद शर्मा ने कहा, ‘बीते एक दशक में कांग्रेस कमजोर हुई है। हम पार्टी की बेहतरी के लिए आवाज उठा रहे हैं। पार्टी को एक बार फिर से हर स्तर पर मजबूत किए जाने की जरूरत है। नई पीढ़ी को पार्टी से जोड़ने की जरूरत है। हमने कांग्रेस के अच्छे दिन भी देखे हैं। हम अपनी इस उम्र में कांग्रेस को कमजोर नहीं देखना चाहते।’

आनंद शर्मा ने कहा कि हम सभी आज जहां हैं, वहां तक पहुंचने के लिए एक लंबा रास्ता तय किया है। हममें से कोई ऐसा नहीं है, जो खिड़की के रास्ते आ गया हो। सभी दरवाजे से ही आए हैं। हम सभी लोग छात्र आंदोलन से निकले हैं। उन्होंने कहा कि मैंने किसी को यह अधिकार नहीं दिया है कि वह हमें बताए कि हम कांग्रेस में हैं या नहीं। यह हक किसी को नहीं है। हम पार्टी को बनाएं और उसे मजबूत करेंगे। हम कांग्रेस की एकता और मजबूती में यकीन करते हैं।

खास बात यह है कि यह नेता ऐसे समय में जम्मू एकत्रित हुए हैं जब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तमिलनाडु में चुनाव प्रचार को गति देने जा रहे हैं। हालांकि राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पहली बार जम्मू पहुंचे गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर शुक्रवार को भाजपा में जाने से इन्कार कर दिया पर पार्टी के दिग्गजों के जमावड़े से साफ है कि यह गुट भविष्य में भी गांधी परिवार की चुनौती बढ़ाने वाला है।

कांग्रेस से नाराज इन नेताओं को G-23 के नाम से जाना जाता है। ये सभी नेता पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं। इन नेताओं ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में पार्टी को चलाने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे। यही नेता शनिवार को जम्मू में इकट्ठे होकर अपनी ताकत दिखाएंगे।

कांग्रेस के कई दिग्गज नेता ग्रुप में शामिल
इन नेताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, राज बब्बर, विवेक तन्खा, गुलाम नबी आजाद शामिल हैं। ये सभी नेता शनिवार को एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसमें मनीष तिवारी के भी पहुंचने की संभावना है। ये सभी नेता उत्तर भारत के हैं।

यह नेता पहुंचे :

जम्मू पहुंचे कांग्रेस के नेताओं में गुलाम नबी आजाद के अलावा कांग्रेस के आधा दर्जन दिग्‍गज शामिल हैं।आजाद कई सरकारों में केंद्र में मंत्री रहे हैं और स्‍वयं जम्‍मू कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं।

  • कपिल सिब्बल – पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता। कई मामलों में कांग्रेस की पैरवी करते रहे हैं।
  • भूपेंद्र सिंह हुड्डा – हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और जाट सियासत के प्रमुख केंद्र। उनके बेटे राज्‍यसभा सदस्‍य हैं।
  • राज बब्बर – फिल्‍म अभिनेता से सियासत में आए। यूपी कांग्रेस के अध्‍यक्ष रह चुके हैं।
  • आनंद शर्मा – पूर्व केंद्रीय मंत्री, विदेश मामलों के जानकार
  • मनीष तिवारी – पूर्व केंद्रीय मंत्री, पंजाब की सियासत में फिलहाल स्‍वयं को हाशिए पर महसूस कर रहे हैं।
  • विवेक तनखा – मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य।
शुक्रवार की देर शाम G-23 ग्रुप के कई नेता जम्मू पहुंच गए थे।

सोनिया को चिट्ठी लिख सुधार की मांग की थी
पिछले साल अगस्त में सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में G-23 नेताओं ने पार्टी में तुरंत सुधार करने की मांग की थी। इनमें जमीनी स्तर से लेकर कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) तक संगठन के चुनाव कराने की मांग की गई थी। आज एक बार फिर ये सभी नेता गांधी परिवार के खिलाफ एक साथ जमा हो रहे हैं। नेताओं का विरोध गांधी परिवार के उन करीबी लोगों से भी है, जो पार्टी संगठन और संसद में अहम पोजिशन पर बैठे हैं।

कांग्रेस नेतृत्व फेरबदल पर राजी नहीं

आजाद के करीबियों में शामिल एक नेता ने बताया कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व संगठनात्मक सुधार को राजी होता नजर नहीं आता। वरिष्ठ नेताओं की लगातार उपेक्षा हो रही है। गांधी परिवार कुछेक खास लोगों तक सीमित होकर रह गया है। कांग्रेस कार्यकारी समिति में बीते साल दिसंबर में जो समझौता हुआ था, उस पर आज तक अमल नहीं हुआ है। गुलाम नबी आजाद की उपेक्षा से सभी नाराज हैं।

राज्यसभा से कार्यकाल खत्म होने के बाद कांग्रेस की कार्यकारी समिति में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी, लेेकिन उन्हेंं हाशिए पर धकेला जा रहा है। यहां बता दें कि कांग्रेस ने आजाद के बाद अब मल्लिकार्जुन खडग़े को भी राज्यसभा में विपक्ष का नेता बना दिया है। इसक अलावा राबर्ट वाड्रा का केस लड़ रहे वकील को राज्यसभा में भेजा गया है।

राहुल को मैसेज- उत्तर से दक्षिण तक भारत एक

कांग्रेस के G-23 से जुड़े एक सीनियर लीडर ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी में इस समय जो कुछ चल रहा है, वह पिछले साल दिसंबर में हुई पार्टी की वर्किंग कमेटी के फैसले के एकदम उलट है। पार्टी में अब तक कोई चुनाव या सुधार नजर नहीं आए हैं।’ एक अन्य नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘यह राहुल गांधी के लिए सीधा मैसेज है। हम देश को दिखाना चाहते हैं कि उत्तर से दक्षिण तक भारत एक है।’

गुलाम नबी के साथ गलत व्यवहार से भी नाराजगी
G-23 से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि नेताओं में हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए गुलाम नबी आजाद के साथ हुए सलूक को लेकर भी नाराजगी है। गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस ने दूसरा मौका नहीं दिया था। ग्रुप से जुड़े एक नेता ने कहा, ‘जब दूसरी पार्टियों के नेता आजाद के लिए सीट छोड़ रहे थे, तब हमारी कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप ने उनके प्रति कोई सम्मान नहीं दिखाया। उनकी जगह रॉबर्ट वाड्रा के केस लड़ने वाले वकील को राज्यसभा भेज दिया गया।

राहुल के केरल में दिए किस बयान पर बवाल मचा था
राहुल ने मंगलवार को तिरुवनंतपुरम में कहा था कि पहले 15 साल मैं उत्तर भारत से एक सांसद था। मुझे एक अलग प्रकार की राजनीति की आदत थी। मेरे लिए केरल आना बहुत रिफ्रेशिंग था, क्योंकि मुझे अचानक पता चला कि यहां के लोग मुद्दों में रुचि रखते हैं और न केवल सतही रूप से बल्कि मुद्दों के बारे में विस्तार से जानकारी भी रखते हैं। राहुल के इस बयान ने उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत की बहस छेड़ दी।

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