नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक से भरी गाड़ी पार्क करने की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-उल-हिंद ने ली है। संगठन ने इससे संबंधित पोस्ट सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। कुछ दिन पहले इसी संगठन ने दिल्ली में इजराइली दूतावास के बाहर ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली थी। हालांकि, मुंबई पुलिस ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है। मीडिया रिपोर्ट्स में इसे आतंकी संगठन का पब्लिसिटी स्टंट बताया जा रहा है।
आतंकी संगठन ने अपनी पोस्ट में जांच एजेंसी को चैलेंज किया है और पैसों की डिमांड की गई है। इसमें लिखा है, ‘यह सिर्फ ट्रेलर है और पिक्चर अभी बाकी है। रोक सको तो रोक लो। तुम कुछ नहीं कर पाए थे, जब हमने तुम्हारी नाक के नीचे दिल्ली में हिट किया था, तुमने मोसाद के साथ हाथ मिलाया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। तुम्हें मालूम है तुम्हें क्या करना है। बस पैसे ट्रांसफर कर दो, जो तुम्हें पहले बोला गया है।’
आतंकी संगठन का हाथ होने की आशंका कम
मामले की छानबीन से जुड़े आतंकवाद निरोधक दस्ते के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक की छानबीन में जो सबूत मिले हैं, उससे लगता है कि यह किसी आतंकी संगठन की हरकत नहीं है।
गाड़ी के मालिक तक पहुंची पुलिस
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि यह गाड़ी मनसुख हिरेन नाम के शख्स के नाम पर रजिस्टर्ड है। हिरेन ने बताया है कि 17 फरवरी की शाम को वे ठाणे से घर जा रहे थे। रास्ते में गाड़ी बंद हो गई। उन्हें जल्दी थी, इसलिए गाड़ी ऐरोली ब्रिज के पास सड़क के किनारे खड़ी कर दी। अगले दिन वे कार लेने गए तो वह नहीं मिली। उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से भी की थी।
पहचान मिटाने की कोशिश हुई
आरोपियों ने गाड़ी की नंबर प्लेट बदल दी थी और चेसिस नंबर खुरच दिया था। इसके बावजूद पुलिस गाड़ी मालिक की पहचान करने में कामयाब हो गई। इसी गाड़ी से 20 नंबर प्लेट भी मिली थीं। इनके नंबर मुकेश अंबानी के स्टाफ की गाड़ियों के नंबर से मिलते-जुलते हैं। आशंका है कि आरोपी लंबे समय से उनके काफिले का पीछा कर रहे थे।
नागपुर में बनी हैं जिलेटिन की छड़ें
कार से मिलीं जिलेटिन की छड़ें नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज नाम की कंपनी ने बनाई हैं। क्राइम ब्रांच ने कंपनी के चेयरमैन सत्यनारायण नुवाल का बयान लिया है। पुलिस ने उन लोगों की जानकारी हासिल की है, जिन्हें कंपनी ने जिलेटिन की छड़ें बेची हैं। सत्यनारायण नुवाल ने बताया कि जिलेटिन की छड़ें हमेशा सीलबंद बक्से में डिस्पैच की जाती हैं और बक्से के ऊपर सारी जानकारी होती है। यदि बॉक्स टूटा हुआ है और उसके बाद जिलेटिन के रॉड को निकाला गया है तो यह बता पाना मुश्किल है कि इसकी डिलीवरी किसे की गई थी।
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