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G-23 पर कांग्रेस का निशाना: रंजीत रंजन बोलीं- 5 राज्यों में चुनाव से पहले मीटिंग साजिश

नई दिल्ली। सीनियर कांग्रेस लीडर और पूर्व लोकसभा सांसद रंजीत रंजन ने पार्टी के G-23 नेताओं पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 5 राज्यों में होने वाले चुनाव से पहले वरिष्ठ नेताओं का व्यवहार पार्टी के खिलाफ साजिश की तरह है। वे ऐसा सिर्फ राज्यसभा सीट पाने के लिए कर रहे हैं।

न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग राज्यसभा सीट के लिए पार्टी की आलोचना कर रहे हैं, जबकि पार्टी ने इन G-23 नेताओं को बहुत कुछ दिया है।

पार्टी की हालत के लिए G-23 नेता जिम्मेदार
उन्होंने कहा कि ये नेता जो कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी पिछले 30 साल से लगातार पतन की ओर जा रही है, उनसे यह सवाल किया जाना चाहिए कि क्या ये G-23 नेता इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। क्या इन लोगों ने कांग्रेस पार्टी को कमजोर किया? उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की कमजोरी के लिए गांधी परिवार पर आरोप लगाना गलत है। उन्होंने इन G-23 नेताओं को ही पार्टी की इस हालत का जिम्मेदार बताया, क्योंकि वे अपने युवा अवस्था से ही पार्टी के साथ थे और उन्होंने पार्टी को बचाने के लिए कुछ नहीं किया।

युवाओं को गलत संदेश दे रहे
उन्होंने कहा कि आज जब हमारे युवा नेताओं को वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन की जरुरत है। उनके साथ काम करने की जरुरत है। ऐसे वक्त यह G-23 नेता पब्लिक प्लेटफॉर्म पर पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति सम्मेलन का आयोजन पार्टी के खिलाफ बोलने के लिए ही किया गया था।

कांग्रेस का G-23 क्या है, यह क्या चाहता है?
कांग्रेस हाईकमान से नाराज इन सीनियर नेताओं को G-23 के नाम से जाना जाता है। इन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में पार्टी को चलाने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए थे। यही नेता शनिवार को जम्मू में इकट्ठे होकर अपनी ताकत दिखा रहे हैं। G-23 से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि नेताओं में हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए गुलाम नबी आजाद के साथ हुए सलूक को लेकर भी नाराजगी है।

शनिवार को एक साथ आए थे
कांग्रेस लीडरशिप से नाराज पार्टी के सीनियर लीडर्स शनिवार को जम्मू में इकट्‌ठे हुए थे। कार्यक्रम में पहुंचे कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि कांग्रेस कमजोर हो रही है, हम इसे मजबूत करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। उन्होंने पार्टी की तरफ से गुलाम नबी आजाद के अनुभव का फायदा न लेने की बात भी कही।

शांति सम्मेलन में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला बयान खुद आजाद का रहा। उन्होंने कहा, ‘मैं राज्यसभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से रिटायर नहीं हुआ और मैं संसद से पहली बार रिटायर नहीं हुआ हूं।’ उनका यह बयान कांग्रेस हाईकमान को सीधी चुनौती माना जा रहा है।’

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