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सावरकर को नहीं मिला वह सम्मान जिसके वे थे हकदार

नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वीर सावरकर को वह सम्मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे सावरकर दर्शन प्रतिष्ठान द्वारा बुधवार को आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर साहित्य सम्मेलन के तहत ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सावरकर के विचारों की महत्ता’ विषयक गोष्ठी के उद्धाटन सत्र को संबोधित करते हुए पटेल ने कहा कि उन्होंने स्वातंत्र्यवीर के बारे में जितना समझा है, उसको एक वाक्य में ‘असंभव कर तो सावरकर’ के रूप में बयां करुंगा। उन्होंने कहा कि शहीदों की जीवनी जब हम पढ़ते हैं तो निश्चय ही आंख में आंसू आ जाते हैं। जबकि सावरकर की जीवनी पढ़ने पर आंख में खून के आंसू उतर आते हैं।

पटेल ने कहा कि चाहे पूर्व की सरकार हो या समाज के कुछ लोग, वे सावरकर के बारे में ज्यादा से ज्यादा नकारात्मक विचार ही प्रकट करते रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बिना इशारों ही इशारों में कहा कि हाल ही में एक व्यक्ति ने कहा ‘मैं सावरकर नहीं हूं।’ पटेल ने तंज कसते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने ऐसा कहा था, वह सावरकर हो भी नहीं सकते, क्योंकि सावरकर बनने के लिए राष्ट्र और समाज को जानना-समझना होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि सावरकर में जितनी ऊंचाई है उतनी ही गहराई भी है। उन्होंने कहा कि कविता और क्रांति साथ नहीं चलते, किंतु सावरकर ने इसे करके दिखाया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने बाल विवाह और छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई। उससे पहले सावरकर ने अपनी कविताओं के माध्यम से इन कुप्रथाओं पर चोट की। ऐसे में सहज ही समझा जा सकता है कि सावरकर ने पहले इन कुप्रथाओं से समाज को मुक्त करने के लिए काम किया। उसके बाद कविता लिखी। उन्होंने कहा कि ये गांधी के पहले के कालखंड की बात है।

पटेल ने कहा कि वह महापुरुषों के मूल्यांकन के पक्षधर नहीं हैं और ऐसा होना भी नहीं चाहिए। अगर कोई किसी महापुरुष का मूल्यांकन करता है तो उसे समान रूप से सभी महापुरुषों को इस कसौटी पर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस देश में सावरकर को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। हमें आने वाली पीढ़ी को बताना चाहिए कि शहादत की कीमत क्या होती है। इसके लिए सावरकर का बलिदान मिसाल है। पटेल ने सावरकर की दूरदर्शिता का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने बहुत पहले ही कह दिया था कि अगर पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ सावधानी नहीं बरती गई तो ये राज्य देश के साथ खड़े नहीं होंगे। यह बात आगे चलकर सामने आई और पूर्वोत्तर में कई समस्याएं उठ खड़ी हुई थी।

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