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ATS को शक- वझे ने साजिश में मनसुख को शामिल किया था, राज खुलने के डर से करवा दी हत्या

मुंबई। आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने मुकेश अंबानी के घर के पास मिली विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन की हत्या के मामले की गुत्थी सुलझाने का दावा करते हुए 2 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें से एक मुंबई पुलिस का निलंबित सिपाही और दूसरा क्रिकेट बुकी है। अदालत ने दोनों को 30 मार्च तक ATS की हिरासत में भेज दिया है। शुरुआती जांच में ATS सचिन वझे को इस मर्डर केस का सूत्रधार मान रही है।

ATS के पुलिस उपायुक्त राजकुमार शिंदे ने बताया कि मनसुख हिरेन हत्या मामले में निलंबित सिपाही विनायक बालासाहेब शिंदे ( 51) और क्रिकेट बुकी नरेश रमणिकलाल गोरे (31) को गिरफ्तार किया है। दोनों आरोपी CIU के निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे के साथ मनसुख की हत्या में शामिल थे।

कुछ और गिरफ्तारियां संभव
ATS ने मनसुख की पत्नी विमला हिरेन की शिकायत पर हत्या का मामला दर्ज किया था। हालांकि, जांच में यह भी सामने आया है कि मनसुख की हत्या के वक्त सचिन वझे मौके पर नहीं थे। ATS को ऐसे भी सबूत मिले हैं कि इस हत्या में कुछ और लोग भी शामिल थे, जिनमें से कुछ पुलिसकर्मी हो सकते हैं। इसलिए इस मामले में जल्द कुछ और लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है।

सबूत मिटाने के लिए मनसुख को रास्ते से हटाया
ATS सूत्रों के मुताबिक, अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो पार्क करने की साजिश सचिन वझे ने रची थी। उसकी इस साजिश का मुख्य गवाह मनसुख था। मनसुख ने वझे को इस पूरी साजिश में मदद भी की थी। इस मामले की जांच NIA को सौंप दी गई तो वझे ने राज खुलने के डर से एक और साजिश रची। उसने मनसुख की हत्या की योजना बना दी। 4 मार्च की रात 8.30 बजे निलंबित सिपाही विनायक शिंदे के जरिए मनसुख को बुलाया गया।

हाथ-मुंह बांधकर जिंदा ही खाड़ी में फेंक दिया
5 मार्च को मुंब्रा के रेती बंदर स्थित खाड़ी (समुद्र) में मनसुख की लाश मिली थी। सूत्रों के मुताबिक, मनसुख का मुंह और हाथ बांधकर उसे जिंदा ही खाड़ी में फेंक दिया गया।

ATS से पहले ही NIA को मनसुख की हत्या के अहम सबूत मिल गए थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मनसुख मामले की जांच NIA को सौंपने के कुछ ही घंटों में ATS ने दो लोगों को गिरफ्तार कर मामले को सुलझा लेने का दावा किया है।

वझे ने मनसुख को भी साजिश में शामिल किया था
सूत्रों के मुताबिक, वझे ने अपनी साजिश में मनसुख को शामिल किया था। इसके सबूत ATS और NIA को मिले हैं, लेकिन जब तक ATS सचिन वझे से पूछताछ नहीं कर लेती तब तक वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकती। यह भी साफ नहीं है कि मनसुख डर या फिर अपनी मर्जी से वझे के साथ मिला था। फिलहाल दोनों के बीच संपर्क के डिजिटल एविडेंस ATS को मिले हैं। मनसुख के वकील और उनके परिवार का बयान भी इस मामले में अहम कड़ी साबित हुआ है।

जांच में यह सामने आया है कि वझे के कहने पर ही मनसुख ने 18 फरवरी को विक्रोली पुलिस स्टेशन में अपनी स्कॉर्पियो चोरी होने की शिकायत दर्ज करवाई थी। NIA की फॉरेंसिक जांच में सामने आया है कि स्कॉर्पियो चोरी ही नहीं हुई थी। वझे के साथ साजिश में मनसुख के अलावा CIU के दो अन्य लोगों के भी शामिल होने का संदेह है। यह भी सामने आया है कि वझे के कहने पर ही मनसुख ने मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और ठाणे पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा था।

जिम्मेदारी लेने से मना करने पर हत्या करने का शक
ATS सूत्रों की मानें तो वझे ने मनसुख से अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो को पार्क करने की जिम्मेदारी लेने को कहा था। उसने मनसुख से कहा था कि वह इस मामले की जांच कर रहा है और उसे आसानी से छुड़ा लेगा। मनसुख ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। माना जा रहा है कि इसी के बाद वझे को लगा कि मनसुख अपना मुंह खोल सकता है और उसने मनसुख की हत्या की साजिश रची।

बुकी ने दिलाए 5 सिम कार्ड
क्रिकेट बुकी नरेश ने वझे को 5 सिम कार्ड दिलाए थे, जिनका इस्तेमाल मनसुख की हत्या की साजिश में किया गया। नरेश मुंबई पुलिस में वझे की वापसी से काफी पहले से उनके साथ जुड़ा हुआ था और वझे के साथ सट्टेबाजी के धंधे से भी जुड़ा था। ATS अधिकारियों को नरेश के अलावा कुछ और लोगों के शामिल होने का अंदेशा है।

NIA ने वझे से पूछताछ के आधार पर स्कॉपियो के अलावा जो चार लग्जरी कारें बरामद की हैं, उनमें से एक का इस्तेमाल मनसुख की हत्या में किया गया था। पिछले दिनों पुणे की फॉरेंसिक टीम मुंबई आई थी और कारों का सैंपल लिया। NIA इन कारों के आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल किए जाने को लेकर जांच कर रही है।

ATS ने इन धाराओं में दर्ज किया है केस
ATS ने मनसुख हिरेन की मौत के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 34 (साझा मंशा) के तहत मामला दर्ज किया है।

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