फिलीपींस। महिलाओं की तस्करी एक बड़ा मुद्दा है। दुनिया के कई देशों में ये काम बड़े स्तर पर हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ भी इस जघन्य अपराध पर कई बार चिंता जता चुका है और इस दिशा में कठोर कदम उठाने की बात कह चुका है, बावजूद इसके महिलाओं की तस्करी का धंधा नहीं रूक रहा।
महिलाओं की तस्करी से जुड़ा एक मामला फिलीपींस में सामने आया है। इसमें सबसे चौकाने वाली बात यह है कि महिलाओं की तस्करी का आरोप आप्रवास अधिकारियों पर लगा है। आरोप है कि अधिकारियों ने 44 महिलाओं को सीरिया में बेच दिया है। फिलहाल आप्रवास विभाग ने आरोपों की जांच शुरू कर दी है।
देश की संसद द्वारा की गई इन आरोपों के जांच में पता चला था कि नौकरी का झूठा वादा कर महिलाओं को पर्यटक वीजा पर फिलीपींस से दुबई भेजा गया।
डीडब्ल्यू के मुताबिक जांच का नेतृत्व कर रहीं सीनेट की सदस्य रिसा होंतिवेरोस ने पहले बताया था कि दुबई में इन महिलाओं को “अंधेरे, गंदे और छोटे-छोटे कमरों में रखा गया और जमीन पर सोने के लिए मजबूर किया गया”।
जब 30 दिनों के बाद वीजा की समय-सीमा खत्म हो गई तब उन्हें जबरन सीरिया की राजधानी दमिश्क भेज दिया गया। वहां उन्हें 10,000 डॉलर तक की कीमत में बेच दिया गया। सीनेट की सदस्य रिसा ने पिछले सप्ताह बताया था, “ऐसा लग रहा है कि हमारे आप्रवास अफसर ही हमारी महिलाओं को गुलामी में भेज रहे हैं।”
वहीं पिछले महीने फिलीपींस के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दमिश्क में दर्जनों लोग “काम करने की कठोर परिस्थितियों” से भाग कर फिलीपींस के दूतावास में शरण लेने आ गए थे। उनके पास कोई कागजात नहीं थे। मंत्रालय ने उनमें से कम से छह श्रमिकों के लिए एग्जिट वीजा का प्रबंध कर उन्हें वापस फिलीपींस भेज दिया।
बुधवार को जारी एक बयान के मुताबिक आप्रवास विभाग के प्रमुख जेमी मोरेंते ने सीनेट की जांच के दौरान कहा, “इन जघन्य गतिविधियों में आप्रवास विभाग के कर्मियों के कथित रूप से शामिल होने को लेकर निराश और परेशान हूं।”
उन्होंने कहा कि इस संबंध में कम से कम 28 अफसरों के खिलाफ जांच चल रही है। जेमी ने यह भी कहा, “जैसा की पहले भी साबित किया जा चुका है, हम उन्हें कठोर से कठोर सजा देने से हिचकेंगे नहीं।”
फिलीपींस में दशकों से फैली गहरी गरीबी की वजह से वहां के लोग विदेशों में ज्यादा कमाई वाली नौकरियां तलाशते रहते हैं। इस समय देश के करोड़ों लोग कई देशों में वैध और अवैध रूप से कई तरह की नौकरियां कर रहे हैं।
उनकी कमाई पर ही उनका परिवार फिलीपींस में जिंदा है। लेकिन अधिकार संगठनों का कहना है कि इसकी उन्हें सामाजिक कीमत अदा करनी पड़ती है। परिवार अलग थलग हो जाते हैं और दूसरे देशों में फंसे लोग शोषण का शिकार होते हैं।
आप्रवास विभाग के प्रमुख जेमी मोरेंते ने बताया कि साल 2017 से 2020 के बीच 1,12,000 से भी अधिक लोगों को बिना वैध कागजात के देश छोड़ते समय पकड़ा गया। इनमें से अधिकतर पर्यटक होने का दिखावा कर रहे थे। इसी अवधि में मानव तस्करी के संभावित शिकार 1,070 लोगों के बार में भी पता चला।
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