नई दिल्ली। कोरोना वायरस को काबू करने के लिए लगे लॉकडाउन के एक साल बाद भी हालात अच्छे नहीं हैं। एक्टिव केस लगातार बढ़ रहे हैं और मौतों का आंकड़ा भी एक बार फिर रफ्तार पकड़ रहा है। 24 मार्च की सुबह तक 24 घंटे में 47 हजार 262 नए केस दर्ज हुए। इस दौरान 275 मौतें दर्ज हुईं। फरवरी के मुकाबले मार्च में 20% अधिक मौतें हुई हैं।
महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और गुजरात में केस तेजी से बढ़े हैं और इन्हीं राज्यों में मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। 24 मार्च तक 24 घंटे में महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 28,699 केस दर्ज हुए। इसके बाद पंजाब (2,254) और कर्नाटक (2,010) में नए केस सामने आए। सबसे ज्यादा 132 मौतें भी महाराष्ट्र में दर्ज हुईं। इसके बाद पंजाब (53) और छत्तीसगढ़ (20) में मौतें हुई हैं।
वहीं, जिन राज्यों में कोविड-19 केसेज की संख्या नहीं बढ़ रही या कम है, वहां मौतें नहीं के बराबर हैं। 24 मार्च की सुबह तक 12 राज्य ऐसे थे जहां एक भी कोविड-19 मौत नहीं हुई। इनमें ओडिशा, लक्षद्वीप, लद्दाख, मणिपुर, दादरा और नगर हवेली, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, अंडमान-निकोबार, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।
15 फरवरी के बाद से बिगड़े हालात
आंकड़े बताते हैं कि भारत में 15 फरवरी के बाद ही कोरोना की दूसरी लहर प्रभावी हुई। हफ्ता-दर-हफ्ता केस बढ़ते गए। जहां 1 से 7 फरवरी के बीच 80,180 केस सामने आए थे, वहीं 15-21 फरवरी के बीच 86,711 नए केस सामने आए। इसके अगले हफ्ते में नए केस के आंकड़े ने एक लाख का आंकड़ा पार किया और 15-21 मार्च के बीच दो लाख का आंकड़ा भी पार कर लिया है। कोरोना की वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी इस दौरान बढ़ता गया।
15-21 मार्च के बीच मौतों ने 1,000 का आंकड़ा पार किया और पिछले हफ्ते के मुकाबले 34.9% की बढ़त दर्ज की। सरकारी अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद लोगों ने मान लिया कि कोरोना खत्म हो गया है। सोशल डिस्टेंसिंग समेत कोरोना से बचने के दूसरे उपायों को छोड़ दिया गया, जिसका खामियाजा दूसरी लहर के तौर पर सामने आ रहा है।
मौतों के मामले में अब भी महाराष्ट्र सबसे आगे
पिछले साल 17 मार्च को महाराष्ट्र में कोरोना से पहली मौत हुई थी। उसके बाद से यहां मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अब तक 53,589 मौतें हो चुकी हैं। कोरोना की दूसरी लहर का असर भी यहीं पर सबसे ज्यादा है। पिछले कुछ समय में 50% से 60% तक नए केस महाराष्ट्र में ही सामने आए हैं।
वहीं रोज होने वाली मौतों में इसकी हिस्सेदारी 40% से ज्यादा रही है। पिछले कुछ समय में पंजाब में अचानक मौतों का सिलसिला बढ़ा है। इसे देखते हुए वहां नाइट कर्फ्यू समेत तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं।
अक्टूबर के बाद पहली बार मौतों की संख्या में आई तेजी
पिछले साल 18 सितंबर को देश में कंफर्म केस का पीक आया था और उसी दौरान सबसे ज्यादा (33 हजार) मौतें हुई थी। इसके बाद से लगातार मौतों का आंकड़ा कम हो रहा था। फरवरी में सिर्फ 2 हजार 767 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई। पर मार्च में बढ़ते केस के साथ मौतों की संख्या भी बढ़ने लगी। पांच महीने बाद एक बार फिर मार्च महीने में मौतों का आंकड़ा बढ़ता दिख रहा है। 24 मार्च तक 3,246 मौतें हो चुकी हैं।
मौतों के मामलों में दुनिया में चौथे स्थान पर
दुनिया में कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा मौतें अमेरिका में 5.46 लाख हुई हैं। इसके बाद ब्राजील (2.99 लाख), मैक्सिको (1.99 लाख) और फिर भारत (1.60 लाख) का नंबर आता है। इसके बाद भी प्रति एक लाख की आबादी पर जब हम कोरोना मौतों के आंकड़े की तुलना करते हैं तो भारत की स्थिति बहुत अच्छी है।
हमारे यहां प्रति एक लाख की आबादी पर सिर्फ 11.61 मौतें हुई हैं। वहीं, प्रति एक लाख की आबादी पर यूके में 185, अमेरिका में 162, इटली में 174, स्पेन में 157 और मैक्सिको में 153 लोगों की मौत हुई है।
लॉकडाउन न लगता तो अगस्त तक हो जाती 26 लाख मौतें
लॉकडाउन के असर का विश्लेषण करने के लिए कई स्टडी हुई। एक तो सरकार ने कराई, जिसका नेतृत्व आईआईटी-हैदराबाद के प्रोफेसर एम. विद्यासागर ने किया। इस कमेटी का कहना है कि अगर लॉकडाउन नहीं लगता तो जून तक इंफेक्शन बढ़कर 1.40 करोड़ हो चुका होता, वहीं एक्टिव केस का पीक लोड 50 लाख का आंकड़ा छू गया होता। वास्तव में जून में इंफेक्शन रहे 6 लाख से कम। वहीं, सितंबर में पीक के दौरान भी एक्टिव केस 10 लाख के आसपास ही थे।
इसी कमेटी ने कहा कि अगर लॉकडाउन न लगता तो अगस्त तक 26 लाख मौतें हो चुकी होतीं। अगर लॉकडाउन लगाने में एक महीने की भी देरी होती और मई में प्रतिबंध लगाए जाते, तब मौतें भी 10 लाख से ज्यादा हो चुकी होतीं, जो इस समय 1.60 लाख तक सीमित हैं। इसमें भी डेथ रेट दुनिया में सबसे कम है।
हमारे यहां लॉकडाउन चार फेज में था। 24 मार्च से 30 अप्रैल तक शुरुआत के दो फेज में सबसे सख्त प्रावधान थे। रोड, रेल और एयर ट्रैवल भी बंद था। हेल्थकेयर और इमरजेंसी वर्कर्स के लिए ही परिवहन की इजाजत थी। हाल ही में नागपुर समेत कई शहरों में लोकल लॉकडाउन लगाए गए, नाइट कर्फ्यू भी लगाए गए, पर वह कोरोना के बढ़ते इंफेक्शन को रोकने में नाकाम साबित होते नजर आ रहे हैं।
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…
चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…
भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…
अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…
दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…