Categories: बिज़नेस

सैलरी बगैर काम करने को तैयार थीं, तब भी कंपनी ने निकाला

कहा जाता है कि किसी भी आदमी की कामयाबी के पीछे महिला का हाथ होता है, लेकिन अगर महिलाएं कामयाब होना चाहें तो साथ कौन देगा? ये सवाल आज इसलिए उठ रहा है क्योंकि लॉकडाउन के दौरान पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की मुश्किलें बढ़ीं। कई नौकरीपेशा महिलाओं को जॉब से हाथ धोना पड़ा, साथ ही घरेलू जिम्मेदारियों का बोझ अलग पड़ा।

संसद में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने बताया कि मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी पांच साल के निचले स्तर पर आ गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून 2020 के बीच महिलाओं की बेरोजगारी दर 21% से ज्यादा रही। ऐसे में हमने पड़ताल कर यह जानने की कोशिश की कि प्रोफेशनल महिलाओं के लिए बीता साल कितना मुश्किल रहा।

बिना सैलरी काम करने को तैयार, पर नौकरी गई
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रहने वाली 35 साल की किरण द्विवेदी बताती हैं कि कोरोना के शुरुआती दौर में ही उनकी कंपनी लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने लगी। ट्रैवल कारोबार से जुड़ी कंपनी में 80% से ज्यादा महिलाएं काम करती थीं, लेकिन लॉकडाउन के पहले हफ्ते में ही कंपनी ने सैलरी देने से मना कर दिया। जबकि ज्यादातर एंप्लॉई फ्री में भी काम करने को राजी थे। फिर भी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

पैरेंट्स के लिए छोड़ी नौकरी
कुछ ऐसी ही घटना शर्बानी बनर्जी के साथ घटी। जब एक न्यूज कंपनी ने शर्बानी को भोपाल से दिल्ली आकर ज्वॉइनिंग के लिए कहा, लेकिन पैरेंट्स की जिम्मेदारियों के चलते बात नहीं बन पाई। यह बात अप्रैल 2020 की है, जब एक तरफ देशव्यापी लॉकडाउन था और काम घर से ही किया जा सकता था।

घर संभालने के साथ नौकरी करने का कॉन्फिडेंस
किरण कहती हैं कि दरअसल ज्यादातर लोग महिलाओं के काम करने की क्षमता पर शक करते हैं। उन्हें लगता है कि घरेलू जिम्मेदारियों के चलते महिलाएं ज्यादा छुट्टी लेती हैं। साथ ही काम पर भी असर पड़ता है, लेकिन ऐसा नहीं है।

भारत में तो ज्यादातर लोगों को लगता है कि घर की जिम्मेदारी महिला ही संभालेंगी। नतीजा यह है कि एक महिला समाज में कई किरदार को निभाती है, लेकिन अवॉर्ड देने के बजाय महिलाओं के लिए राह और कठिन कर दी जाती है।

शहरी महिलाओं का रोजगार घटा
लॉकडाउन की घोषणा के बाद अप्रैल में भारत के शहरी क्षेत्रों में केवल 5% महिलाएं ऐसी रहीं, जिनके पास रोजगार था। यह आंकड़ा 2018-19 में 11.2% था। फिलहाल अभी भी सिर्फ 5.4% शहरी महिलाओं के पास ही रोजगार है। यह जानकारी CMIE के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे में मिली। डेटा के मुताबिक भारत के शहरी क्षेत्रों में कामकाजी महिलाओं की श्रम भागीदारी दर नवंबर 2020 में 6.9% रही।

दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था में भी रोजगार के मोर्चे पर महिलाओं का हाल बेहाल ही है। ग्लोबल कंसल्टिंग कंपनी मैकेंजी के मुताबिक अमेरिका में अप्रैल के दौरान महिलाओं की बेरोजगारी दर 15.8% रही। वहां पर 11 लाख लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा, जिनमें 80% यानी करीब 8.8 लाख महिलाएं थीं।

मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी भी घटी
मंगलवार को सरकार ने संसद में लिखित में भी यह जानकारी दी कि 2020-21 के दौरान मनरेगा में काम करने वाली महिलाओं की संख्या में आधे से ज्यादा की कमी आई है। हालांकि यह तय कानून से ज्यादा है, जो 33% है।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago