कोरोना को मात देकर वॉरियर्स फिर डट गए ड्यूटी पर

बांदा। कोरोना काल में डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों सहित फ्रंटलाइन वर्करों को कोरोना वॉरियर्स नाम मिला। इस नाम की गरिमा को वॉरियर्स ने बखूबी निभाते हुए नजर न आने वाले कोरोना वायरस से जंग लड़ने में जी-जान लगा दी। कोरोना के खतरे से पीछे नहीं हटे, बल्कि खुद और परिवार की परवाह किए बगैर मरीजों के इलाज और उनकी सेवा में दिन-रात डटे रहे।

कोरोना काल में शासन ने चित्रकूटधाम मंडल के इकलौते राजकीय मेडिकल कालेज को एल-2 अस्पताल बना दिया था। मंडल के चारों जिलों बांदा, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट के संक्रमितों को यहीं भर्ती किया जाता था।अब तक 3650 कोरोना संक्रमितों का यहां इलाज हुआ। कोरोना मरीजों की सेवा में यहां डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों ने कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। अपना घर-परिवार छोड़कर मरीजों के इलाज में लगे रहे। कोरोना मरीज की मौत होने पर कोरोना वॉरियर्स का दर्द भी साफ नजर आया।

मेडिकल कालेज के तीन दर्जन से ज्यादा डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित भी हुए, लेकिन ठीक होने के बाद फिर अपने फर्ज पर डट गए। कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए मेडिकल कालेज प्रधानाचार्य डा. मुकेश कुमार यादव पॉजिटिव हो गए। उनकी पत्नी भी संक्रमित हो गईं। डा. मुकेश लखनऊ पीजीआई में 15 दिन आईसीयू में रहे। योगा और सकारात्मक सोच के साथ उन्होंने कोरोना को मात दी और फिर वापस आकर अपने फर्ज पर डट गए।

उन्होंने कोरोना मरीज को पौष्टिक आहार के लिए अपने पास से आर्थिक मदद भी दी। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मेडिकल कालेज के वरिष्ठ फिजीशियन डा. करन राजपूत अपने परिवार से लगभग तीन माह अलग रहे। वीडियो कॉलिंग से परिवार का हालचाल लेते थे, लेकिन मरीजों की देखभाल प्राथमिकता में रही। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित का इलाज करने में वह डरे नहीं। पीपीई किट पहनकर मरीज से मिलते थे और इलाज के साथ हंसी-मजाक के जरिए कुछ देर उसका मन बहला देते थे। डा. राजपूत ने बताया कि परिवार की याद आती थी, लेकिन पहले फर्ज आड़े आ जाता था।

जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. हृदयेश पटेल कोरोना वार्ड के प्रभारी रहे। कोरोना काल में भी उन्होंने बेहिचक मरीजों का इलाज किया। उन्होंने बताया कि पूरे कोरोना काल में वह अपने परिवार से नहीं मिले। लगभग तीन दूर रहे और मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग में परिवार व बच्चों को दुलारा-समझाया। उन्होंने कहा कि लोगों की निगाहें डाक्टरों पर थीं, इसलिए कठिन दौर में उनकी नजर में मरीजों के इलाज की प्राथमिकता थी।

कोरोना काल में संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाएं भी बढ़ीं। गंभीर कोरोना मरीजों के लिए वेंटीलेटर की जरूरत होती है। इसके मद्देनजर शासन ने राजकीय मेडिकल कालेज को 100 वेंटीलेटर उपलब्ध कराए। यह सभी चालू हैं। जिला अस्पताल को भी तीन वेंटीलेटर मिले हैं। इन्हें भी वार्डों में लगाया गया है।

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