Categories: खास खबर

क्या अपने ही जाल में उलझ गया है मुंबई पुलिस का एक्स-कॉप?

मुंबई। मुकेश अंबानी के घर के बाहर जिलेटिन की छड़ों के साथ खड़ी की गई स्कॉर्पियो के मामले में लगभग हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। इस घटना को 1 महीना बीत चुका है, लेकिन न तो नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA), न एंटी टेररिस्ट स्कवॉड (ATS) और न ही मुंबई पुलिस इस बात का खुलासा कर पाई है कि स्कॉर्पियो खड़ी करने के पीछे का मकसद क्या था? साथ ही यह भी सवाल है कि एक छोटे से पुलिस अधिकारी ने ये सब कैसे किया?

भास्कर ने जब इस केस से जुड़े पहलुओं की पड़ताल की, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। टॉप सोर्सेस के मुताबिक, इस केस में कई सारे एंगल हैं। कोई नहीं जानता कि जांच में ये एंगल सामने आ भी पाएंगे या नहीं।

सचिन वझे केवल मोहरा है
मुंबई पुलिस के उच्च सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में सचिन वझे एक मोहरा भर है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एक सहायक पुलिस निरीक्षक (API) इतनी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे सकता है। इसके पीछे कोई न कोई जरूर है, जिसके कहने पर ऐसा किया गया। सचिन वझे खुद भी यही बात कह रहे हैं। बुधवार को NIA की स्पेशल कोर्ट में सचिन वझे ने कहा था कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

सचिन वझे अपने बल पर यह सब नहीं कर पाते
महाराष्ट्र के एक अधिकारी के मुताबिक, सचिन वझे के पास इतने पैसे या सोर्स नहीं थे कि वह इतना सब कर पाते। अधिकारी का मानना है कि सचिन वझे इस मामले में कोई भी ऐसा खुलासा नहीं करेंगे, जिससे कोई और फंसे। हालांकि इसके लिए अभी 3 अप्रैल तक इंतजार करना होगा।

यह एक बहुत बड़ी साजिश है
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि यह बहुत बड़ी साजिश है। सचिन वझे को तो फंसाया गया है। इसके पीछे जो असली लोग हैं, उनका खुलासा होना चाहिए। फडणवीस ने बहुत पहले इस मामले में NIA जांच की मांग की थी। उनका कहना है इस घटना को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

सचिन वझे ने कुछ भी स्वीकार नहीं किया
ATS और NIA ने अब तक जो जांच की है, उसमें सचिन वझे ने केस में शामिल होने के बारे में कुछ भी स्वीकार नहीं किया है। NIA ने भी यही बात कोर्ट में कही है। इसीलिए कोर्ट ने सचिन वझे को 3 अप्रैल तक कस्टडी में भेज दिया। सूत्रों के मुताबिक, सचिन वझे के जरिए इस मामले में पैसा वसूलना ही एक कारण है।

साथ ही सचिन वझे एनकाउंटर जैसी स्थिति भी बनाना चाहते थे, जिससे वे हीरो बन जाते। ऐसा इसलिए, क्योंकि 2004 में यूनुस ख्वाजा की कस्टडी में हुई मौत के मामले में सचिन वझे सस्पेंड हुए थे।

क्या सचिन वझे आत्महत्या करने वाले थे?
इस बात की बहुत ज्यादा संभावना थी कि अगर NIA सचिन वझे को गिरफ्तार नहीं करती, तो वे आत्महत्या कर लेते। दरअसल, वझे ने 13 मार्च की सुबह अपने वॉट्सऐप पर एक स्टेटस डाला था। उन्होंने लिखा था, ‘3 मार्च 2004 को CID में मेरे सहयोगियों ने मुझे झूठे आरोप में गिरफ्तार किया था। वह मामला अभी भी क्लियर नहीं हुआ है, लेकिन अब इतिहास खुद को दोहरा रहा है।

मेरे सहकर्मी अब मेरे लिए फिर से एक जाल बिछा रहे हैं। तब और अब की स्थिति में थोड़ा अंतर है। उस समय मेरे पास 17 साल का धैर्य, आशा, जीवन और सेवा थी लेकिन अब मेरे पास न तो 17 साल का जीवन है और न ही सेवा। बचने की कोई उम्मीद नहीं। यह दुनिया को अलविदा कहने का समय है।’

वझे का स्टेटस आने के बाद NIA ने उन्हें अरेस्ट किया
13 मार्च को सुबह यह स्टेटस वायरल हुआ और दोपहर होते-होते NIA ने सचिन वझे को हिरासत में ले लिया। दरअसल, NIA को यह अंदेशा था कि अगर वझे आत्महत्या कर लेते हैं, तो इस केस को सुलझाने में बहुत दिक्कत होगी और यह एक मिस्ट्री बनकर रह जाएगा।

यही नहीं, इस बात की भी संभावना थी कि अगर उस दिन NIA उन्हें गिरफ्तार नहीं करती, तो उनकी हालत भी मारे गए कारोबारी मनसुख हिरेन की तरह हो सकती थी। उन्हें भी मनसुख हिरेन की तरह मारा जा सकता था। इस बात की आशंका इसलिए भी थी, क्योंकि सचिन वझे कह रहे हैं कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है। ऐसे में पर्दे के पीछे से काम करने वाले उन्हें रास्ते से हटाकर सबूत खत्म कर सकते थे।

क्या मनसुख हिरेन की तरह वझे को मारा जा सकता था?
महाराष्ट्र से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने पिछले दिनों एक वीडियो जारी किया। इस वीडियो में उन्होंने यह कहा कि अगर वझे NIA की कस्टडी में नहीं होते तो उनकी हत्या कर दी जाती। इसीलिए उन्हें मुंबई से बाहर कहीं और ले जाना चाहिए। हालांकि वझे को मुंबई में ही NIA की कस्टडी में रखा गया है। बाद में राणा ने यह भी आरोप लगाया कि संसद में शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने उन्हें इसी मामले में देख लेने की धमकी दी थी।

ओवर कॉन्फिडेंस की वजह से फंसे सचिन वझे
इस मामले में एक और बड़ा सवाल यह है कि सचिन वझे आखिर इस केस में फंस कैसे गए? दरअसल, सचिन वझे के ओवर कॉन्फिडेंस ने ही उन्हें फंसाया। वझे को भरोसा था कि पूरे मामले की जांच उनके ही हाथ में होगी। उनकी सीधी रिपोर्टिंग मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को थी।

इसलिए इसमें जो भी जांच होगी, वह खुद वझे करेंगे। यानी इस केस में सब कुछ वैसा ही होगा, जैसा वे चाहते। अगर हालात न बदलते, तो यही होने के आसार भी थे। मामला वहां फंसा, जब इसमें जिलेटिन की छडें आ गईं और विस्फोटकों से जुड़ा केस होने की वजह से जांच NIA के हाथ में चली गई।

तो क्या वझे अपने ही फेंके जाल में फंस गए?
यह कहना गलत नहीं होगा कि एंटीलिया केस में सचिन वझे खुद के ही जाल में फंस गए हैं। दरअसल, NIA उसी मामले में जांच करती है जहां आतंकी साजिश या देशद्रोह का मामला होता है। चूंकि यहां मामला जिलेटिन की छड़ों का था, इसलिए NIA ने इस केस को अपने हाथ में ले लिया।

यही सचिन वझे के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ। अगर NIA की एंट्री नहीं होती, तो शायद इस केस में सचिन वझे के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता। लेकिन जिलेटिन की छड़ें रखकर सचिन वझे ने बड़ी गलती कर दी और वे अपने ही जाल में फंस गए।

केस सॉल्व कर वझे अपने दाग धोना चाहते थे
इस बात के भी संकेत हैं कि सचिन वझे इस केस को सुलझाने के जरिए अपने ऊपर लगे पुराने आरोपों से निजात पाना चाहते थे। वझे पर 2004 में ख्वाजा यूनुस की हत्या का आरोप लगा था। यूनुस की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी। इसके बाद उन्हें पुलिस विभाग से सस्पेंड कर दिया गया था।

इस केस से मुंबई पुलिस की छवि पर भी दाग लगा
मुंबई पुलिस को कभी स्कॉटलैंड यार्ड के बराबर माना जाता था, लेकिन इस केस में हुए खुलासों के बाद इसे स्कैमलैंड पुलिस कहा जाने लगा है। एक सीनियर IPS अधिकारी के मुताबिक, यह सब जिस तरह से हुआ है उसने पुलिस की इमेज पर धब्बा लगा दिया है।

यह ठीक उसी समय जैसा है, जब अब्दुल करीम तेलगी के फर्जी स्टैंप घोटाले में मुंबई पुलिस के कमिश्नर आरएस शर्मा को रिटायर होने के एक दिन बाद ही अरेस्ट कर लिया गया था। उन्हें सुबोध जायसवाल की SIT टीम ने अरेस्ट किया था। जायसवाल हाल में महाराष्ट्र के DGP रहे हैं और वे अब CISF में DG हैं।

मुंबई पुलिस के एनकाउंटर पहले भी सवालों के घेरे में रहे
मुंबई पुलिस में ऐसे कई अधिकारी रहे हैं, जिनके एनकाउंटर पर सवाल उठता रहा है। इसमें सचिन वझे, दया नायक, प्रदीप शर्मा, रविंद्र आंगे के नाम शामिल हैं। इसमें से सभी अधिकारी सस्पैंशन के बाद पुलिस फोर्स में वापस आ गए। हालांकि, इनमें से कई एनकाउंटर फर्जी होने की बात लोग अब भी कहते हैं।

बहरहाल, इस केस को लेकर खास बात यह है कि जब मुंबई पुलिस कमिश्नर के रिटायरमेंट के बाद गिरफ्तारी हुई थी, उस समय भी राज्य में NCP की सरकार थी। तब छगन भुजबल प्रदेश के गृहमंत्री थे।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago