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बैंकिंग लोकपाल की हकीकत: 3 साल में आठ लाख शिकायतें, सिर्फ 3 में स्टाफ को दोषी माना

नई दिल्ली। देशभर के विभिन्न बैंकों की शिकायत के लिए बनाया गया बैंकिंग लोकपाल एक मजाक बनकर रह गया है। बैंकिंग लोकपाल से लोगों को बैंक संबंधी शिकायतों में तो कोई सहारा नहीं मिल रहा, मगर बैंकों को जरूर राहत मिल रही है। पिछले तीन सालों में देश के विभिन्न बैंकों के खिलाफ बैंकिंग लोकपाल को 8 लाख 61 हजार 159 शिकायतें मिलीं। मगर इन शिकायतों में केवल तीन मामलों में ही बैंक कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया। यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

इस संदर्भ में एक इंटरनल रिपोर्ट तैयार कर वित्त मंत्रालय को सौंपी गई है। ज्ञात हो कि देशभर के विभिन्न बैंकों के कामकाज संबंधी शिकायतों, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड व अन्य बैंक संबंधी शिकायतों पर कार्रवाई के लिए बैंकिंग लोकपाल नियुक्त किया जाता है। लोकपाल को बैंकों के खिलाफ प्राप्त होने वाली शिकायतों पर जांच कर उनका निपटारा करना और दोषी बैंक कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करना होता है।

पिछले तीन वर्ष के दौरान देश के 13 प्रमुख बैंकों से बैंकिंग लोकपाल को 8 लाख 61 हजार 159 शिकायतें प्राप्त हुई। इन शिकायतों पर जांच शुरू की गई। पिछले तीन वर्षों में 1 लाख 3 हजार से अधिक शिकायतों को साक्ष्य न होने, शिकायत सही न होने या शिकायतकर्ता द्वारा मामले को जारी न रखने या अन्य कारणों से खारिज कर दिया गया। वहीं करीब 2 हजार मामलों में शिकायतों का दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति से निपटारा किया गया।

कुछ मामलों में बैंकिंग खामियों को दूर करने का निर्देश दिया गया और कुछ में शिकायतकर्ता काे रिवार्ड भी दिया गया। मगर चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले तीन साल के दौरान केवल तीन ही मामले बैंकिंग लोकपाल को ऐसे मिले, जिनमें बैंक कर्मचारी की गलती थी और उन्हें दोषी ठहराया गया।

इतना ही नहीं, दोषी ठहराय जाने के मामलों में केवल दो मामलों में ही कार्रवाई हुई। कार्रवाई भी ऐसी की महज खानापूर्ति थी। एक मामले में बैंक आफ बड़ौदा के दोषी बैंक कर्मचारी को चेतावनी नोटिस दिया गया और भविष्य में उसे दोबारा से गलती न करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

पीएनबी और एसबीआई के खिलाफ शिकायत ज्यादा

  • 3 वर्षों में 1 लाख 3 हजार से अधिक शिकायतों को साक्ष्य न होने, शिकायत सही न होने या किसी अन्य दूसरे कारणों के चलते मामला खारिज कर दिया गया।
  • 2 हजार मामलों में शिकायतों का दोनों पक्षों के बीच सहमति से निपटारा हुआ। कुछ में बैंकिंग खामियों को दूर करने का निर्देश दिया गया।
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