कोरोना पॉजिटिव मरीज़ का आइसोलेशन कमरा कैसा हो?

कोरोनावायरस का खौफ़ हर इंसान को परेशान कर रहा है। वायरस इतनी तेजी से फैल रहा है कि इसकी चपेट में हर उम्र के लोग आ रहे हैं। अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो घबराएं नहीं सिर्फ इलाज करें। कोरोना के लक्षणों और स्थिति को देखकर घर में रह कर ही इस बीमारी का इलाज करना सबसे बेहतर उपाय है। क्योंकि ज्यादातर अस्पताल मरीज़ों से फुल हैं इसलिए बेहतर है कि जबतक मरीज़ में कोरोना के गंभीर लक्षण नहीं हो तो घर में ही मरीज़ को रख कर इलाज करें।

अगर मरीज़ को छाती में भारीपन, सांस फूलने की परेशानी, ब्लड प्रेशर या शुगर है और चक्कर आ रहे हैं तभी आप अस्पताल जाने का निर्णय लें। अगर कोरोना के कम गंभीर लक्षण हैं तो आप घर में ही अपने मरीज़ का इलाज करके उसे तंदुरुस्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि घर में मरीज़ का इलाज करें तो आइसोलेशन का कमरा कैसा हो और आइसोलेशन में मरीज़ के कौन-कौन से चेक करें।

आइसोलेशन के लिए कमरे का चुनाव

  • मरीज़ को आइसोलेशन में रखना जरूरी है इसलिए ऐसा कमरा होना चाहिए जो हवादार हो। कमरे में धूप और ताजी हवा जरुर रहे। बंद कमरे में वायरस एक जगह बैठ जाता है और पनपता है इसलिए कमरे में धूप और हवा का होना जरूरी है।
  • कमरे में दरवाज़ा जरूर लगा हो ताकि मरीज़ खाना खाए या फिर कुछ भी गतिविधि करें तो उससे इंफेक्शन फैलने का खतरा नहीं रहे।
  • कमरे में अटैच्ड बाथरूम जरूर हो। बाथरूम सिर्फ कोरोना का मरीज़ ही इस्तेमाल करें। अगर घर में एक ही बाथरूम हैं तो मरीज़ के इस्तेमाल करने के बाद बाथरूम को वॉश करके सैनिटाइज करके ही इस्तेमाल करें।

आईसोलेशन में मरीज़ के यह चेकअप जरूर करें।

BP चेक करें:

अगर मरीज़ ब्लड प्रेशर का मरीज़ नहीं है तो भी उसका ब्लड प्रेशर जरूर चेक करें। कोरोना की वजह से ब्लडप्रेशर बढ़ और घट सकता है। हाई बीपी 140/90 और लो बीपी 100/65 है तो डॉक्टर से संपर्क करें और खान-पान के जरिए ब्लड प्रेशर को नॉर्मल करने की कोशिश करें।

फीवर लगातार चेक करें:

बॉडी का तापमान 98 डिग्री फारेनहाइट से 99 डिग्री फारेनहाइट होता है। अगर बॉडी का तापमान इससे ज्यादा है तो बुखार हो सकता है। डॉक्टर की सलाह पर बुखार कम करने की दवा दें।

ऑक्सीजन लेवल को चेक करें:

ऑक्सीमीटर से खून में ऑक्सीजन का लेवल चेक करते रहें। खून में ऑक्सीजन का लेवल सामान्य 98% से गिरकर 94% आ जाए तो फौरन डॉक्टर को बताएं। अगर ऑक्सीजन 90 तक आ जाए तो देर नहीं करें और तुरंत अस्पताल ले जाएं। मरीज़ को ऑक्सीजन की जरूरत हो सकती है।

थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर घर में जरूर रखें:

घर में थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर जरूर रखें ताकि आप बुखार और ऑक्सीजन के लेवल की हर 6 घंटे में जांच करते रहें।

जांच कितनी बार करें:

दिन में तीन बार बुखार और ऑक्सीजन को नापें। सुबह 8 बजे, दोपहर 2 बजे और रात को 8 बजे।

ऑक्सीमीटर को कैसे इस्तेमाल करें:

ऑक्सीमटर को हाथ या पैर की उंगली में लगाकर खून में ऑक्सीजन के स्तर का पता लगाया जा सकता है। याद रखें कि ऑक्सीमीटर को ऑन करने के बाद ही उंगली पर लगाएं।

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