कोताही पर एक्शन: कानपुर के DM ने डॉक्टर पर दर्ज करवाया केस, 9 घंटे बाद मिली रिहाई

कानपुर। औद्योगिक नगरी कानपुर, उत्तर प्रदेश के संक्रमित जिलों में लखनऊ के बाद दूसरे नंबर पर है। यहां 17,410 एक्टिव केस हैं। जिले में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरीके से चरमरा चुकी हैं। हालात बद से बद्तर हो चुके हैं। CM योगी आदित्यनाथ की निगाह भी कानपुर पर है। इस बीच सोमवार रात कुछ ऐसा हुआ जिससे सरकारी डॉक्टरों में आक्रोश फैल गया। जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक तिवारी सोमवार की रात करीब 9 बजे अचानक नगर निगम में बने इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर (ICCC) की समीक्षा करने के लिए पहुंच गए। इस दौरान उन्हें सेंटर के भीतर कई तरह की खामियां मिलीं।

जिस पर उन्होंने सेंटर में तैनात पतारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. नीरज सचान के खिलाफ थाना स्वरुप नगर में केस दर्ज करा दिया। उन पर आरोप है कि कोरोना संक्रमितों से संपर्क करने के लिए रैपिड रिस्पांस टीम भेजने और कोविड किट बांटने में लापरवाही उनके द्वारा बरती जा रही है। पुलिस ने डॉक्टर को हिरासत में लिया। हालांकि, अन्य डॉक्टरों के आक्रोश को देखते हुए करीब 9 घंटे बाद मंगलवार की सुबह 4 बजे डॉक्टर नीरज को रिहा कर दिया गया।

CM के कड़े रुख पर जागा प्रशासन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख अपनाने के बाद कानपुर स्वास्थ्य महकमा और जिला प्रशासन तेजी के साथ कानपुर के हालात को सुधारने में जुटा हुआ है। जिसके चलते सोमवार देर शाम जिलाधिकारी आलोक तिवारी कोविड कमांड सेंटर के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। इस दौरान सिटी मजिस्ट्रेट हिमांशु गुप्ता ने उन्हें बताया कि डॉ. नीरज सचान लापरवाही कर रहे हैं। उनका काम व्यापक रणनीति बनाकर रोगियों से संपर्क स्थापित करवाना है और किटों का वितरण कराना है, लेकिन अभी तक मात्र 10 से 12 प्रतिशत लोगों को ही किट मिली है।

डॉ. नीरज से जब DM ने पूछा तो वे सही जवाब नहीं दे सके। इस पर DM ने नाराजगी जताई और कोविड कमांड सेंटर के प्रभारी डॉ. आरएन सिंह को मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए। इसके बाद आरोपित डॉ. सचान के विरुद्ध थाने में आपदा प्रबंधन अधिनियम, महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया। उन्हें लगभग 9 घंटे तक तक थाने में बिठाकर उनसे पूछताछ भी की गई।

थाने पर पहुंचे सरकारी डॉक्टर।

डॉक्टरों ने किया हंगामा
डॉक्टर नीरज सचान पर FIR दर्ज होने की जानकारी होते ही देर रात कई सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टर थाने पहुंच गए और उन्हें छोड़ने की मांग करते हुए हंगामा करने लगे। डॉक्टरों का कहना था कि अधिकारियों ने बैठक से ही डॉ. सचान को डॉ. आरएन सिंह के साथ थाने भेज दिया। आरएन सिंह के साथ सिटी मजिस्ट्रेट भी थे। कोविड-19 के इस दौर में डॉक्टर पहले से ही तनाव में हैं और कम संसाधनों के साथ काम करने को मजबूर हैं। ऐसे में केस दर्ज कराने से मनोबल टूटेगा। मुकदमा वापस लिया जाए और उन्हें छोड़ा जाए।

उधर, नीरज सचान की पत्नी डॉ. अनु सचान भी देर रात थाने पहुंची और अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर तहरीर दी। हालांकि तहरीर में उन्होंने किसी भी अफसर के नाम का जिक्र नहीं किया है।

थाने में मौजूद डॉक्टर सचान की पत्नी।

क्या बोले थाना प्रभारी?
थाना स्वरुपनगर के प्रभारी अश्विनी पांडेय ने बताया कि थाने में डॉ. आरएन सिंह ने एक तहरीर दी थी। जिसमें डॉक्टर नीरज सचान के विरुद्ध आरोप लगाए गए थे, जिसके आधार पर डॉक्टर नीरज सचान के विरुद्ध केस दर्ज किया गया है। वहीं दूसरी तरफ से डॉक्टर नीरज सचान की पत्नी डॉ. अनु सचान ने भी तहरीर दी है। जिसकी जांच करते हुए कार्रवाई की जा रही है।

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