नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर देश में धीमे पड़ने लगी है। रोजाना सामने आने वाले मामलों में तेजी से कमी आ रही है। मरने वालों की संख्या भी लगातार घट रही है। महामारी ने जो तांडव अप्रैल-मई महीने में मचाया था, उसके मुकाबले अब काफी कम केस मिल रहे हैं। इस बीच, केंद्र सरकार ने एक बार फिर कोरोना को लेकर चेतावनी जारी की है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि अगर अगर लोग वैसे ही करने लगे जैसे कि वे दिसंबर, जनवरी में कर रहे थे, तो एक बार फिर से मुश्किल फेज आ सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के डाटा के अनुसार, सात मई को आए दूसरी लहर के पीक की तुलना में अब सामने आ रहे दैनिक मामलों में 68 फीसदी की गिरावट है। तकरीबन 377 जिलों में पॉजिटिविटी रेट पांच फीसदी से भी कम है और सिर्फ 257 जिले ही हैं, जहां पर रोजाना 100 से अधिक कोरोना वायरस के नए मामले सामने आ रहे हैं।
डॉ. वीके पॉल ने कहा, यह अपने आप से नहीं हो रहा है। कोई भीड़ नहीं है… यह कीमत हमने चुकाई है। हमने वायरस को ट्रैवल करना मुश्किल बना दिया है। लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि जब पीक कम हो रहा होता है तो हम फिर से वही करना शुरू कर देंगे जो जनवरी में कर रहे थे, तो पीक फिर से वापस आ सकता है। यह मैथमेटिकली रूप से मान्य है और सामान्य ज्ञान से भी मान्य है।”
उन्होंने आगे कहा, ”अगर हम अचानक जनवरी, फरवरी की स्थिति में वापस जाते हैं, तो अगली लहर तेज होगी और तेजी से अपने चरम पर पहुंचेगी। लेकिन अगर हम कोविड के उचित व्यवहार को बनाए रखते हैं, तो लहर छोटी होगी और नहीं भी आ सकती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके पहले ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका हो।”
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में कोरोना महामारी की तीसरी लहर भी उसी तरह से संभव है, जिस तरह की दूसरी लहर थी। लेकिन इसके समय और प्रभाव का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है क्योंकि यह प्रतिबंध हटाने और वैक्सीन कवरेज के विस्तार आदि पर निर्भर करेगा। यह भी भविष्यवाणी की गई है कि तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित कर सकती है, जिसके लिए राज्य सरकारें बच्चों के लिए कोविड देखभाल सुविधाओं को बढ़ा रही हैं।
हालांकि, सरकार और एम्स डायरेक्टर गुलेरिया ने कहा है कि ऐसे कोई भी संकेत नहीं मिल रहे हैं, जिससे पता चले कि तीसरी लहर बच्चों पर ज्यादा घातक होगी। इन सबके बावजूद केंद्र ने कोविड से संक्रमित बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं और राज्यों, जिलाधिकारियों, पुलिस, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए निश्चित जिम्मेदारी तय की है।
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