नई दिल्ली। सेना से रिटायर होने के 4 साल बाद दो ब्रिगेडियर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रमोट कर मेजर जनरल की रैंक दी गई है। सेना में उनका प्रमोशन 6 साल पहले ही हो जाना था, लेकिन सेना प्रमुखों की कलह की वजह से इनका प्रमोशन रोक दिया गया।
सेना के इन दोनों अफसरों ने आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल का अलग-अलग दरवाजा खटखटाया था। लेकिन, उनकी याचिकाएं खारिज कर दी गईं। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
क्या है पूरा मामला
यह मामला दो अफसरों ब्रिगेडियर नलिन भाटिया और ब्रिगेडियर वीएन चतुर्वेदी से जुड़ा है। नलिन सेना की इंटेलिजेंस और चतुर्वेदी एजुकेशन विंग से जुड़े थे। ये अपने-अपने बैच के इकलौते ऐसे अधिकारी थे जिनका नाम साल 2015 में मेजर जनरल रैंक के पद पर प्रमोशन के लिए भेजा गया था।
कोर्ट में इन दोनों अधिकारियों की ओर से पेश हुए वकील कर्नल इंद्र सेन सिंह (रिटायर्ड) ने कहा कि अपने-अपने बैच के इकलौते अधिकारी होने के बावजूद इनका प्रमोशन नहीं किया गया। दोनों का प्रोफाइल भी शानदार रहा है।
पूर्व सेना प्रमुख और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह का आदमी होने का आरोप
इंद्र सेन सिंह ने बताया कि दोनों अफसरों के प्रमोशन नहीं होने के पीछे की वजह और भी परेशान करने वाली है। दोनाें योग्य थें और सभी रिपोर्टिंग अफसरों ने भी प्रमोशन के लिए उनके नाम की अनुशंसा की थी। दोनों का प्रमोशन इसलिए नहीं हुआ क्योंकि, तत्कालीन सेना प्रमुख उन्हें पिछले सेना प्रमुख का करीबी आदमी मानते थे।
खुफिया ईकाई के अन्य अधिकारियों ने कथित तौर पर पहले भी यह आरोप लगाया है कि उन्हें पूर्व सेना प्रमुख और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के करीबी होने की वजह से नुकसान उठाना पड़ा।
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