नई दिल्ली। लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा कथित तौर पर कई विवादित फैसले लिए जाने के बाद 93 रिटायर्ड टॉप सिविल सर्वेंट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। मोदी के नाम इस खुले खत में कहा गया है कि सिविल सर्वेंट्स किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं हैं, लेकिन तटस्थता और संविधान के प्रति प्रतिबद्धता में विश्वास करते हैं। इसलिए उन्होंने फुल टाइम, लोगों के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार प्रशासक की मांग की है। खत पर सभी के दस्तखत हैं।
खत में लिखा है, ‘लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेश (UT) में विकास के नाम पर हो रहे परेशान करने वाले घटनाक्रमों पर हमें गहरी चिंता है। इसे जाहिर करने के लिए हम आज आपको पत्र लिख रहे हैं। हम उन विवादास्पद मसौदों का कड़ा विरोध करते हैं, जिनके नियम एक बड़े एजेंडे का हिस्सा हैं। ये नियम द्वीप और यहां रहने वाले लोगों के हितों के खिलाफ है। ये फैसले लक्षद्वीप के लोगों से परामर्श किए बिना लिए गए हैं।’
इसके पीछे का मकसद मनमुताबिक नीति निर्माण
खत में लिखा गया है, ‘जो कदम उठाए गए हैं, उनसे विकास नहीं, बल्कि मनमुताबिक नीति निर्माण के मंसूबे झलकते हैं। यह उस परंपरागत प्रक्रिया का उल्लंघन करते हैं, जो लक्षद्वीप के समाज और यहां के पर्यावरण का सम्मान करती है। ऐसे कदमों और प्रस्ताव लक्षद्वीप के समाज, अर्थव्यवस्था और भौगोलिक परिदृश्य के बुनियादी ढांचे पर प्रहार है। ऐसा लगता है कि जैसे यह द्वीप सिर्फ पर्यटकों और बाहरी दुनिया के निवेशकों के लिए रिएल एस्टेट का एक टुकड़ा बनकर रह गया हो।’
तत्काल वापस हों फैसले
इस समूह ने प्रशासक द्वारा लिए गए फैसलों को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की अपील की है। इसमें पूर्व IAS, IFS और IPS अधिकारियों के साथ-साथ लक्षद्वीप के पूर्व एडमिनिस्ट्रेटर भी शामिल हैं।
इन नए प्रावधानों का हो रहा विरोध
दरअसल, पिछले कई दिनों से लक्षद्वीप में लोग वहां के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के कुछ कदमों और प्रशासनिक सुधारों का विरोध कर रहे हैं। लोगों को डर है कि असहमति और नीतियों के खिलाफ विरोध करने वालों को दबाया जाएगा। जो नए नियम बनाए गए हैं, उनमें स्थानीय लोगों के खाने तक को निशाना बनाया गया है।
सांसद ने गृह मंत्री से मुलाकात की थी
करीब 70 हजार आबादी वाले 10 द्वीपों के समूह लक्षद्वीप में ग्राम सभा ही ऐसी इकाई है, जिसका सीधे निर्वाचन होता है। लोगों का कहना है कि प्रशासक सभी शक्तियां अपने पास रखना चाहते हैं। इसे लेकर लगातार विरोध हो रहा है। हाल ही में सांसद फैजल ने इस बारे में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने बताया था कि गृह मंत्री ने स्थानीय लोगों से सलाह के बिना कानून न बनाने का आश्वासन दिया है।
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