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दुनिया को अगली महामारी से बचाने के लिए टीकों पर रिसर्च सबसे जरूरी

वाशिंगटन। कई देशों के विशेषज्ञों ने अगली महामारी रोकने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। वे वैक्सीन रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने को सबसे महत्वपूर्ण और कारगर उपाय मानते हैं। उनकी नजर में दुनिया को नई बीमारियों से अलर्ट करने के सिस्टम में सुधार भी बहुत जरूरी है।

विशेषज्ञ मानते हैं, इन दोनों प्रस्तावों पर अमल करने के रास्ते में बहुत कम कठिनाइयां आएंगी। स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और वैक्सीन के समान वितरण को अगली प्राथमिकता में रखा गया है।

विशेषज्ञों की राय में नेतृत्व और जनता से संवाद की रणनीतियां बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन, यह पूरी तरह व्यावहारिक नहीं है। दूसरी ओर जमीन के इस्तेमाल और जीवित पशुओं के कारोबार की रोकथाम को बहुत प्रभावी नहीं माना गया है।

टाइम मैग्जीन की साइंस और हेल्थ टीम ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के निर्देशन में भविष्य के लिए एक गाइड तैयार करने पर काम किया है। विभिन्न क्षेत्रों के 73 विशेषज्ञों ने अपनी राय भेजी है। एक तिहाई विशेषज्ञ अमेरिका से बाहर के हैं। यहां तीन विशेषज्ञों की राय पेश है।

कुछ साल में एक करोड़ 80 लाख हेल्थ वर्कर की जरूरत

– डॉ. राज पंजाबी

कोविड-19 महामारी के बीच एक लाख 15 हजार से अधिक हेल्थ केयर वर्कर की मौत हो गई। विशेषज्ञों ने नई वैक्सीनों पर रिसर्च, मैन्युफैक्चरिंग को सबसे अधिक महत्व दिया है। लेकिन, वैक्सीन लगाने के लिए हेल्थ वर्कर चाहिए। कोविड-19 से पहले दुनिया में हेल्थ वर्कर की सबसे अधिक कमी रही।

हमें दशक के अंत तक एक करोड़ 80 लाख और हेल्थ वर्कर की जरूरत है। डॉक्टर और नर्सों की संख्या शहरों में बहुत अधिक है। ग्रामीण इलाकों में उनकी बहुत कमी है। लगभग 75% बीमारियां जानवरों से मनुष्यों में आने वाले जीवाणुओं से हो रही हैं। ये अक्सर ग्रामीण इलाकों से उभरती हैं। अगली महामारी की रोकथाम सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की फौज तैयार करने से होगी।

जलवायु परिवर्तन से समस्याएं और अधिक गंभीर हो गई

– सुनीता नारायण

अगली महामारी रोकने के लिए संक्रामक बीमारियों पर नियंत्रण में निवेश के साथ वैश्विक विकास की नीतियों पर भी ध्यान देना जरूरी है। लेकिन, सभी लोगों को समान स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराए बिना प्राथमिकताएं पूरी नहीं हो पाएंगी। जलवायु परिवर्तन ने गरीबों को और गरीब बनाया है।

यहां पर जमीन का उपयोग और जलवायु परिवर्तन का मुद्दा जरूरी हो जाता है। जंगलों की कटाई ने संकट पैदा किया है। रिसर्च से पता लगा है कि इससे संक्रामक बीमारियों के फैलाव में वृद्धि हुई है। साफ पानी और सफाई के अभाव में बीमारियों पर काबू पाना संभव नहीं है। वायु प्रदूषण से फेफड़ों को नुकसान होता है। इससे प्रदूषित इलाकों के लोगों के लिए कोविड-19 का सामना करना मुश्किल हुआ है।

बेहतर लीडरशिप और जनता से लगातार संवाद होना चाहिए

– डॉ. लीना वेन

कोविड-19 महामारी के दो सबसे महत्वपूर्ण सबक प्रभावशाली राष्ट्रीय नेतृत्व और लगातार स्पष्ट संवाद है। जिन देशों ने इन मुद्दों पर बेहतर काम हुआ है, वहां अक्सर गलतियां नहीं हुई हैं। केंद्र को मास्क और अन्य जरूरी चीजों की सप्लाई स्वयं करना चाहिए। यह राज्यों के स्तर पर मुश्किल है।

केंद्र सरकार को स्पष्ट लक्ष्यों और प्रामाणिक नीतियों के आधार पर राष्ट्रीय दिशा तय करनी चाहिए। ऐसे कार्यक्रम में मैदानी काम करने वाले लोगों को पर्याप्त अधिकार दिए जाएं। स्थानीय स्वास्थ्य विभागों में वैज्ञानिक रिपोर्ट का विश्लेषण करने और उसके आधार पर नीतियां बनाने की क्षमता नहीं होती है। वे केंद्र सरकार पर निर्भर रहते हैं। केंद्र के दिशानिर्देश लॉकडाउन जैसे अलोकप्रिय फैसलों पर अमल को आसान बनाते हैं।

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