सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव के विरोध में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (AHCBA) भी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के प्रस्ताव के विरोध में उतर आया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे वकील हाईकोर्ट के वकीलों से जज बनने की ज्यादा योग्यता रखते हैं। ज्यादा उपयुक्त कैंडीडेट होते हैं। AHCBA ने इस प्रस्ताव को विवेकहीन और औचित्यहीन बताते हुए इसकी निंदा की है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है।

यह प्रस्ताव हाईकोर्ट के वकीलों का अपमान
हाई कोर्ट में जज नियुक्त करने के लिए SCBA के ज्यादा सूटेबल कैंडीडेट के प्रस्ताव का दिल्ली, कर्नाटक, राजस्थान आदि प्रदेशों की बार एसोसिएशन पहले ही विरोध दर्ज करा चुकी हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव प्रभा शंकर मिश्रा ने CJI को लिखे पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के वकील हाई कोर्ट के वकील से ज्यादा मेधावी होते है यह हाई कोर्ट के वकीलों और जजों का अपमान है। यह घोर निंदनीय प्रस्ताव है।

डी. वाई चंद्रचूड़ सहित कई वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
पत्र में आगे कहा गया है कि SCBA शायद ये भूल रहा है कि इस समय न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ हाई कोर्ट में विधि व्यवसाय करके ही सुप्रीम कोर्ट में जज के पद को सुशोभित कर रहे हैं। उनकी योग्यता व क्षमता की कोई सानी नहीं है। हाईकोर्ट में अधिवक्ता के तौर पर प्रैक्टिस करके कई वकील सुप्रीम कोर्ट में जज बने हैं।

इनमें प्रमुख रूप से जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस विनीत सरन, जस्टिस कृष्णा मुरारी, आदि कई ऐसे जज जो इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे वो सुप्रीम कोर्ट के जज हैं। इससे पूर्व भी दर्जनों वकील केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट के सुप्रीम कोर्ट में जज बने हैं।

यही नहीं मुख्य न्यायधीश स्वयं आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की ही देन हैं। HCBA के सचिव ने आगे कहा कि SCBA ने जो सर्च कमेटी बनाई है उसमें वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी भी शामिल हैं जोकि इलाहाबाद हाई कोर्ट की देन है।

CJI से ऐसे प्रस्ताव को अस्वीकार करने का अनुरोध
पत्र में बार एसोसिएशन ने CJI से अनुरोध किया है कि SCBA के ऐसे प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जाये। बार एसोसिएशन और वकीलों ने CJI को पत्र लिख SCBA के प्रस्ताव पैर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। सचिव ने कहा कि अगर यह प्रस्ताव निरस्त न हुआ तो व्यापक आंदोलन होगा। हाईकोर्ट के वकील सुप्रीम कोर्ट के वकीलों से किसी भी मायने में कमतर नहीं हैं।

AHCBA अध्यक्ष ने क्या कहा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि SCBA अध्यक्ष के प्रस्ताव ने एक नई बहस छेड़ दी है। आज हाईकोर्ट के अध्यक्ष की नियुक्तियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। संविधान में जो व्यवस्था है उसके हिसाब से नियुक्तियां नहीं हो रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2014 में ज्यूडिशरी रिफार्म की बात की थी। इस पर लोकसभा व राज्यसभा में प्रस्ताव भी पारित हो गया था पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका कर दी गई।

तभी से यह महत्वाकांक्षी प्रस्ताव खटाई में पड़ गया। इसपर बहस होनी चाहिए कि जजों की नुयक्तियां कैसे निष्पक्ष हों। एक जज पर सरकार का नौ से 10 लाख रुपया प्रति माह खर्च होता है। उनकी योग्यता और कार्यशैली पर सवाल खड़े होने पर न्याय अपने उद्देश्य से भटक जाता है। अमरेंद्र नाथ सिंह ने SCBA के प्रस्ताव पर नए सिरे से बहस करने की बात कही साथ में यह भी कहा कि हाईकोर्ट के वकीलों को कमतर नहीं आंकना चाहिए। यह भेदभाव है।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago