लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले राम के नाम पर फिर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। पहले राजनीति राम मंदिर की जमीन को लेकर थी। अब जब अयोध्या में राम मंदिर बनने का काम शुरू हो गया तो विवाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा मंदिर के लिए खरीदी गई जमीन पर खड़ा हो गया है। तमाम विपक्षी दल जमीन खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं और ट्रस्ट घिरा हुआ है।
आरोपों के बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पूरे विवाद पर केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है। ट्रस्ट ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसके खिलाफ राजनीतिक साजिश की गई है। यहां कोई घोटाला नहीं हुआ है।
ट्रस्ट ने भाजपा और संघ को भी रिपोर्ट भेजी है। बताया जाता है कि इस रिपोर्ट में ट्रस्ट ने जमीन खरीद के बारे में पूरी जानकारी दी है। इसके साथ ही रिपोर्ट में भूमि खरीद की कीमतों पर भी विस्तार से सफाई दी गई है। ट्रस्ट ने कहा है कि ये आरोप भाजपा के विरोधियों द्वारा लगाए जा रहे हैं।
ट्रस्ट ने जमीन खरीद को लेकर फैक्ट भी जारी किए हैं। ट्रस्ट ने दावा किया है कि जो जमीन ली गई है, वह प्राइम लोकेशन पर है, इसलिए उसकी कीमत ज्यादा है। जमीन की कीमत 1423 रुपए प्रति वर्ग फीट है, जो करीबी इलाकों की जमीनों के मौजूदा दामों से काफी कम है। ट्रस्ट ने बताया है कि इस जमीन की डील को लेकर 10 साल से बात चल रही थी, जिसमें 9 लोग शामिल थे। पहले ही दिन से यह निर्णय लिया गया कि सभी भुगतान सीधे खाते में ही किए जाएंगे और ऐसा ही किया गया है।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने किया आरोपों का खंडन
सुल्तान ने कहा- सौदा वैध, मंदिर का विरोधी नहीं, सद्भाव का समर्थक
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बाग बिजेसर की जमीन का बैनामा करने वाले सुल्तान अंसारी ने भास्कर से खास बातचीत की l उन्होंने बताया कि वह फरार नहीं हैं, बल्कि अयोध्या में पूरी तरह सुरक्षित हैं l सुल्तान ने कहा कि ट्रस्ट को दी गई जमीन का बैनामा और मेरे द्वारा ली गई 18 करोड़ पचास लाख की रकम पूरी तरह वैध है l यह रकम उस जमीन की मार्केट वैल्यू के हिसाब से बहुत ही कम है l
दोनों गवाहों ने किसी भी घोटाले से किया इनकार
इस बहुचर्चित जमीन बैनामे के गवाह व श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने कहा कि खरीदी गई जमीन में पूरी पारदर्शिता है और उसको लेकर केवल भ्रम फैलाया जा रहा है। जो लोग पहले राम जन्मभूमि के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़ा कर राजनीति कर रहे थे, अब वही लोग राम मंदिर निर्माण में बाधा डालने के मकसद से घटिया राजनीति कर रहे हैं, ऐसे लोगों को करोड़ों राम भक्त कभी माफ नहीं करेंगे।
दूसरे गवाह मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि 18 करोड़ पचास लाख में 100 बिस्वा जमीन खरीदी गई, जबकि बाजार में 20 से 40 लाख रुपए बिस्वा मूल्य की जमीन है। उन्होंने कहा कि खरीदी गई जमीन के आसपास अयोध्या रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार पड़ेगा। इस कारण वहां की जमीन कुछ कीमती है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सारी स्थिति को व्यक्त कर चुके हैं और ट्रस्ट पर लगाया गया सारा आरोप पूरी तरह निराधार है।
क्या है जमीन खरीद पर विवाद?
दरअसल, आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और समाजवादी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहे पवन पांडेय ने आरोप लगाए हैं कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने दो करोड़ रुपए की कीमत वाली भूमि 18.5 करोड़ रुपए में खरीदी। इसे धनशोधन का मामला बताते हुए सिंह और पांडेय ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच करवाने की मांग की है। इन आरोपों को लेकर कांग्रेस भी हमलावर हो गई है।
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