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अमरिंदर और बाजवा में हुई मुलाकात, सिद्धू अभी मानने को तैयार नहीं

चंडीगढ़। पंजाब में  राज्‍यसभा सांसद बाजवा के साथ  लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी रहे सीएम ‘कैप्‍टन’  अमरिंदर सिंह का समझौता नवजोत सिंह सिद्धू को किनारे कर सकता है।  हालांकि बाजवा ने अमरिंदर के साथ अपनी सीक्रेट मीटिंग का खंडन किया है और कहा है कि कैप्‍टन के साथ उनके मतभेद, मुद्दे पर आधारित थे, व्‍यक्तिगत नहीं।

बाजवा ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘हम एक परिवार के सदस्‍य है। यदि मैं उन्‍हें आमंत्रित करूंगा तो सबको सूचित करूंगा।’ सूत्रों ने बताया कि दोनों नेता पिछले सप्‍ताह चंडीगढ़ में मिले थे और मुख्‍यमंत्री ने नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ ‘लड़ाई’ में बाजवा को अपने पक्ष में करने में सफलता हासिल की है।

पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले असंतोष को दूर करने के लिए सीएम अमरिंदर सिंह, पार्टी विधायकों और सांसदों के साथ बैठक कर रहे हैं। इसका एक अन्‍य मकसद सोनिया गांधी के साथ बैठक से पहले, अपने विरोधियों को शांत रखना है, इस बैठक में अमरिंदर बनाम  नवजोत सिद्धू टकराव मुख्‍य एजेंडा साबित होने की संभावना है।

बाजवा पिछले कुछ वषों से कैप्‍टन के प्रमुख आलोचक थे। बाजवा  राज्‍य में विरोधियों के केंद्र बिदु रहे हैं, उनके भाई फतेह जंग बाजवा कांग्रेस विधायक हैं। इस माह की शुरुआत में कांग्रेस ने बैठकों के लिए पंजाब के नेताओं, सांसदों और विधायकों को दिल्‍ली बुलाया था ताकि पार्टी में पनप रहे असंतोष का दूर किया जा सके। तीन सदस्‍यीय पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा था कि अमरिंदर सिंह को सीएम बने रहना चाहिए लेकिन नवजोत सिंह को पार्टी में ‘उपयुक्‍त रूप से समायोजित’ किया जाना चाहिए।

इसका आशय पार्टी में संभवत: कोई बड़ी भूमिका दिए जाने से है।  हाईकमान की तमाम कोशिशों के बाद भी अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका। इसकी बड़ी वजह नवजोत सिंह सिद्धू का डिप्टी सीएम पद का ऑफर ठुकरा देना और प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए अड़ना बताया जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि नवजोत सिद्धू ने कैप्टन की लीडरशिप में डिप्टी सीएम बनने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि यदि वह इस पद को स्वीकार भी कर लेते हैं तो सहज नहीं रह पाएंगे। इसकी बजाय वह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी चाहते हैं।

वहीं कैप्टन अमरिंदर इसके खिलाफ बताए जा रहे हैं।सीएम की राय है कि प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी हिंदू नेता को मिलना चाहिए ताकि अगले साल होने वाले चुनावों में संतुलन साधा जा सके। इससे वोटरों पर भी असर होगा। कहा जा रहा है कि बीते सप्ताह शनिवार को ही राहुल गांधी ने पंजाब के मसले को हल करने के लिए बने पैनल से बातचीत की थी। लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने उम्मीद जताई है  कि इस मसले का हल जुलाई तक निकल सकता है।

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