माह ए रमजान: लॉक डाउन के कारण लखनऊ के व्यापारियों को 200 करोड़ का नुकसान

 लखनऊ। देश में इस्लाम दूसरा सबसे बड़ा धर्म है और मुसलमानों की सबसे ज्यादा आबादी उत्तरप्रदेश में है। मुसलमानों की बिरादरी और कौम में रमजाम की एक खास रौनक रहती है। अफसोस इस बार कोरोना के चलते वह मौजूद नहीं रहेगी। इस महीने के 9 दिन लॉकडाउन में ही गुजरेंगे। दस दिन बाद क्या होगा ये भी कहना संभव नहीं। मस्जिदें बंद रहेंगी। इफ्तार की दावतों पर भी रोक होगी। रमजान का बाजार भी फीका ही रहेगा। अकेले राजधानी लखनऊ में ही 150 से 200 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।

लखनऊ में जकात के पैसों से जरूरतमंदों की मदद
मंदी के चलते बाजार की हालत पहले से ही बुरी है। हालांकि, रमजान में रौनक बढ़ा करती है, लेकिन अब वह भी लॉकडाउन की वजह से अधर में है। आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय गुप्ता के मुताबिक, राजधानी में पिछले साल पूरे रमजान में करीब 200 करोड़ का कारोबार हुआ था। इस बार भी यही उम्मीद थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से पहले जैसी रौनक शायद ही नजर आए।

जकात की रकम से लोग रमजान से पहले ही जरूरतमंदों को राशन मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं। लखनऊ के चौक में ही अनाज के दो कारोबारियों के यहां 4 लाख रुपए का ऑर्डर आ चुका है। अनाज व्यापारी मोहम्मद सईद बताते हैं कि जकात के पैसे से लोगों ने अभी से जरूरतमंदों की मदद शुरू कर दी है। मदद करने वालों की ओर से एक पर्ची उन्हें तो एक जरूरतमंद को दी जा रही है। दोनों पर्चियों का मिलान कर जरूरतमंद को 15 दिन का राशन मुहैया कराया जा रहा है।

मुर्तजा हुसैन रोड पर परचून कि दुकान करने वाले शब्बू बताते हैं कि ज्यादातर मदद करने वाले लोग ऐसे हैं, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते। हालांकि, वे राशन की पर्ची देने से पहले राशनकार्ड की कॉपी ले लेते हैं, ताकि एक आदमी दो या तीन बार पर्ची न ले जाए।

ये तस्वीर पिछले साल की है। रमजान के समय बाजारों में जमकर रौनक थी। लेकिन, इस बार ये सब देखने को नहीं मिलेगा।

आधी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला रामपुर
रामपुर में 25 लाख की आबादी है। इनमें 55 फीसदी मुस्लिम हैं। यहां की जामा मस्जिद कमेटी ने जिला प्रशासन से रमजान के दिनों में कपड़ों, जूते-चप्पल और दूसरी जरूरी दुकानों को खोलने के लिए इंतजाम कराने की मांग की है। जिला इंतजामिया कमेटी को भी आइसोलेशन में रोजदारों के लिए विशेष प्रबंध कराने को कहा है। यहां रमजान का बाजार 7 से 10 करोड़ रुपए का है।

लॉकडाउन में लोग उधार भी नहीं दे रहे
सहारनपुर जनपद में 45 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। सहारनपुर के व्यापारी नेता शैलेंद्र भूषण गुप्ता का कहना है कि रमजान इस बार व्यापारियों के लिए फीका ही साबित होने वाला है। लॉकडाउन की वजह से माल नहीं आ पा रहा है। जिन व्यापारियों ने पहले से ऑर्डर दे रखे हैं, उनका माल भी नहीं आ सका।

उन्होंने बताया कि पिछले साल रमजान में 11 करोड़ से ऊपर का कारोबार जनपद में हुआ था। इस साल लॉकडाउन होने की वजह से मार्केट बंद है। शौकीन अहमद का कहना है कि लॉकडाउन में सबसे ज्यादा परेशान गरीब मजदूर वर्ग है। काम-धंधे बंद हैं। लॉकडाउन की वजह से लोग उधार भी नहीं दे रहे हैं। दरअसल, कोई भरोसा नहीं कि लॉकडाउन कितना लंबा चलेगा। उनके परिवार के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यही आ रही है कि पैसा न होने की वजह से वह रमजान की खरीदारी करेंगे भी तो कैसे।

मेरठ रेड जोन में, जल्द बाजार खुलने के आसार नहीं
35 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाला मेरठ कोरोना का रेड जोन इलाका है। यहां 80 से ज्यादा संक्रमित हैं। उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रांतीय महामंत्री लोकेश अग्रवाल के मुतबाकि रमजान के दिनों में मेरठ में 30 से 40 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इस बार इसके लाखों में ही सिमटने के आसार दिख रहे हैं।

मेरठ में मुस्लिम आबादी में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं, जो इस समय सरकारी मदद के सहारे ही राशन या भोजन प्राप्त कर अपना और अपने परिवार का पेट भर रहे हैं, तो ऐसे में इफ्तार के लिए फल और मेवे का तो सवाल ही नहीं उठता। ऑटो चलाने वाले रहीस का कहना है कि एक महीने से घर में बैठे हैं। जो रुपये जोड़कर रखे थे, अब वह भी खत्म होने की कगार पर हैं। हम तो सब समझते हैं, लेकिन बच्चों को बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहता है ईद का। उनको कैसे समझाएंगे।

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