नई दिल्ली। कोरोना के आपदा को अवसर बनाने में नई कंपनियां नहीं चूकी हैं। स्वास्थ्य से लेकर सैनिटेशन तक के सेक्टर में नई कंपनियां तेजी से बनी हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में जहां कुल 1 लाख 3 हजार 64 नई कंपनियां बनीं थीं, वहीं 2020-21 में इनकी संख्या बढ़ कर 1 लाख 47 हजार 247 हो गई। यानी इसमें 43% का इजाफा हुआ है।
कृषि सेक्टर में 11 हजार कंपनियां बनीं
कॉर्पोरेट मंत्रालय के मुताबिक, कृषि और इससे संबंधित सेक्टर में कुल 5 हजार 10 कंपनियां थीं जो 2020-21 में बढ़ कर 11,037 कंपनियां हो गईं। यानी इसमें 120% का इजाफा देखा गया है। स्वास्थ्य और सोशल वर्क की बात करें तो इसमें 1,110 कंपनियां थीं। इनकी संख्या बढ़ कर 6,934 हो गई। यानी 525% का इजाफा इसमें हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में 315% नई कंपनियां आई हैं। इनकी संख्या 2019-20 में 1,079 थी जो अब 4,476 हो गई है।
फूड एंड बेवरेजेस में 68% की बढ़त
इसी तरह फूड प्रोडक्ट और बेवरेजेस में कुल 4,483 कंपनियां थीं। इनकी संख्या में 68% की बढ़त आई है। इनकी कुल संख्या 7,525 हो गई है। होलसेल ट्रेड में 7,556 कंपनियां थीं और इनकी संख्या बढ़ कर 9,514 हो गई है। इसमें 32% का इजाफा देखा गया है। रिटेल ट्रेड में कुल 5,201 कंपनियां थीं।
इनकी संख्या में 29% की बढ़त हुई है और कुल 6,689 कंपनी हो गई हैं। रिक्रिएशन और स्पोर्टस सेक्टर में कुल 367 कंपनियां थीं, जिनकी संख्या बढ़कर 1906 हो गई है। इसमें 419% की बढ़त हुई है।
सीवेज और सैनिटेशन में 10 गुना बढ़ी कंपनियां
सीवेज और सैनिटेशन में 2019-20 में केवल 19 कंपनियां थीं। 2020-21 में इनकी संख्या 190 हो गई। यानी 10 गुना का इजाफा इस सेक्टर की कंपनियों में हुआ है। कोरोना की इस महामारी में कुल 1 लाख 47 हजार 247 नई कंपनियां बनी हैं। जबकि इसके पहले के वर्ष में नई कंपनियों की संख्या में 2% की गिरावट आई थी।
इसमें से दो तिहाई कंपनियां पिछले साल जुलाई से दिसंबर के दौरान बनी हैं। उन सेक्टर्स में ज्यादा कंपनियां बनीं, जो कोरोना के समय में डिमांड में हैं। इसमें हेल्थ, सोशल वर्क, कृषि, एजुकेशन और सिवेज-सैनिटेशन जैसे सेक्टर हैं।
ट्रैवेल सेक्टर को फटका
बताते हैं कि ट्रांसपोर्ट और ट्रैवेल सेक्टर में नई कंपनियों की संख्या में गिरावट आई है। यह सेक्टर कोरोना में बुरी तरह से प्रभावित रहा है। राज्यवार बात करें तो महाराष्ट्र में नई कंपनियों की संख्या में 18% का इजाफा हुआ है तो उत्तर प्रदेश में 10% ज्यादा नई कंपनियां बनी हैं। दिल्ली में भी 10%, कर्नाटक में 8% और तमिलनाडु में 6% नई कंपनियां बनी हैं। 2009 के आंकड़े बताते हैं कि फॉर्च्यून 500 कंपनियों में से 57% कंपनियां आर्थिक मंदी या फिर खराब बाजार के माहौल के समय बनी हैं।
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