कहते हैं कि कामयाबी का कोई शॉर्टकट नहीं होता, लगातार कोशिशों के बाद धैर्य रखने से ही सफलता हाथ लगती है। कामयाबी मिलने के लिए कई बातों का होना बहुत जरूरी है, चलिए जानते हैं उनमें से कुछ बातें।
जब हम अपने लक्ष्य के प्रति स्पष्ट होते हैं कि हमें क्या करना है, और हम क्या चाहते हैं। अगर ये सभी चीजें साफ हो तो सफलता का पहला चरण सुनिश्चित हो जाता है। दरअसल सही योजना लक्ष्य स्पष्टता के बाद ही बनती है। इतना ही नहीं अपनी कमजोरी को समझना भी इसका एक अहम पक्ष है।
अगर कोई व्यक्ति अपनी कमजोरी को दूर नहीं करता तो ये बाद में उसके लिए बड़ी समस्या पैदा कर देती है। यह ठीक उसी तरह है जैसे किसी छोटे से जख्म को अगर सही समय पर इलाज ना मिले, तो कई बार नासूर बन जाता है।
कामयाब होने के लिए सबसे पहले ये जरूरी है कि आप खुद को योग्य बनाएं। क्योंकि आप तब तक ऊपर नहीं बढ़ सकते जबतक कि आपमें योग्यता नहीं होगी। इसलिए सबसे पहले खुद को योग्य बनाना बहुत जरूरी है।
आपके सक्सेस की कहानी आपके फील्ड के बारे में लगातार अध्ययन से ही संभव है। लगातार अध्ययन की जरूरत आज के युग में हर किसी को है। अगर लगातार पढ़ाई नहीं करेंगे तो चीजें हाथ से निकलने लगती हैं। और हम दुनिया के साथ कदम से कदम बढ़ाकर नहीं चल पाते।
एक बात को समझना भी बहुत जरूरी है कि लगातार अध्ययन का मतलब सिर्फ किताब पढ़ने से नहीं होता। अपने फील्ड में होने वाले हर बदलाव चाहे वो तकनीकी स्तर पर ही हो समझना बहुत जरूरी है।
एकाग्रता एक ऐसी चीज है जो हर जगह काम आती है। आप अपने काम में इसके द्वारा ही परफेक्शन लाते हैं। एकाग्रता की जरूरत सिर्फ जॉब में आगे बढ़ने के लिए ही नहीं होती है, बल्कि यह जिंदगी के हर पड़ाव पर कामयाबी के लिए है अहम है। बिना एकाग्रता के हम काम की बारीकियों और चुनौतियों की बारीकियों को नहीं समझ पाएंगे।
जब जिम्मेदारी बढ़ेगी तो दबाव के साथ-साथ अवरोध भी उत्पन्न होगा। ऐसे में इस तरह की विपरीत परिस्थितियों को झेलने की क्षमता आपमें जरूर होनी चाहिए। वैसे जब आपको एवरेस्ट पर चढ़ाई करनी हो तो रास्ते में दिक्कतें तो आएंगी। अगर चुनौतियों के आगे घुटने टेक देंगे तो फिर आगे बढ़ने की बात सपने जैसी ही लगेगी। सच तो यह है कि दबाव झेलने की क्षमता पर ही कंपनी का और व्यक्ति का विकास होता है।
कहते हैं रिस्क लेने के बाद ही आगे बढ़ने का रास्ता खुलता है, और इसके लिए साहस सबसे जरूरी है। अगर साहस नहीं दिखाएंगे तो बड़े निर्णय लेने में हमेशा हिचकेंगे। जब बड़े निर्णय नहीं ले सकेंगे तो बड़ी छलांग और ज्यादा प्रॉफिट की बात बेमानी हो जाती है। लेकिन यहां ये ध्यान रखना भी जरूरी है कि रिस्क इतना भी ना लें कि विफल होने पर सभी रास्ते बंद हो जाए।
सीधे सरल शब्दों में कहा जाए तो कैलकुलेटेड रिस्क ज्यादा बेहतर है। इसमें हम नुकसान का अनुमान पहले ही लगा लेते हैं, और तैयार रहते हैं।
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