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मास्क बताते हैं दुनिया के ताकतवर देश में अमीर और साधारण लोगों के बीच का अंतर

हैम्पटन। एक रेस्तरां में रविवार की रात दस लोगों की पार्टी चल रही है। लोग नाच रहे हैं। उनमें से किसी ने मास्क नहीं पहन रखा है। जबकि वेटर, बारटेंडर और अन्य कर्मचारियों ने अपने मुंह और नाक ढांक रखे हैं। ऐसी ही तस्वीर पूर्व हैम्पटन में गूची के स्टोर की है।

दरवाजे पर लगे बोर्ड पर लिखा है, वैक्सीनेटिड कस्टमर मास्क के बगैर अंदर आ सकते हैं। कंपनी की नीति के तहत अंदर नीले और सफेद सर्जिकल मास्क में स्टोर के क्लर्क मास्क विहीन खरीदारों की सेवा में लगे हैं।

वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों के लिए मास्क की अनिवार्यता खत्म होने के बाद अमेरिका के संपन्न इलाकों में एक गहरी विभाजन रेखा उभरी है। जो लोग अब भी मास्क पहनते हैं, उन्हें स्टोर क्लर्क, वेटर, मसाजर, सिक्योरिटी गार्ड, रिसेप्शनिस्ट, हेयर स्टाइलर और ड्राइवर सहित सर्विस क्लास का मानते हैं। दूसरी ओर रेस्तरां में खाने-पीने, शॉपिंग करने वाले मास्क विहीन कस्टमर अमीर समझे जाते हैं। वैसे, कर्मचारियों के लिए मास्क की अनिवार्यता सही है।

अमेरिका में लगभग 50 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगी है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में संक्रामक बीमारियों की विशेषज्ञ डॉ. लीजा मरागाकिस कहती हैं, कोरोना वायरस के कुछ वैरिएंट बेहद संक्रामक हैं। वे वैक्सीनों को भी बेअसर कर सकते हैं। वेटर, रिटेल क्लर्क, कैशियर और अन्य कर्मचारी दिनभर ग्राहकों के संपर्क में रहते हैं। इससे कस्टमर और स्वयं उनकी सेहत को खतरा हो सकता है। कर्मचारियों की कमी के दौर में कारोबारियों के लिए भी समस्या खड़ी होगी।

कई व्यावसायिक संस्थानों ने वैक्सीनेटिड कामगारों को मास्क हटाने का विकल्प दे रखा है। फिर भी, बहुत कर्मचारी मास्क पहनते हैं। कर्मचारियों के मास्क पहनने से संदेश जाता है कि मैनेजमेंट अपने कस्टमर और स्टाफ की कितनी परवाह करता है।

इस बीच अमेरिका में वैक्सीनेशन की दर बढ़ने के साथ लुई वुटॉन, वेरिजॉन, डिओर, टारगेट और होम डिपो सहित कुछ कंपनियों ने अपने सभी स्टोर में स्टाफ और कस्टमर्स के लिए वैक्सीनेटिड होने पर मास्क की जरूरत खत्म कर दी है। स्टार बक्स ने भी वैक्सीन लगवा चुके कर्मचारियों को मास्क से छूट का ऐलान किया है।

दोहरे मापदंड और भेदभाव

मास्क को लेकर उभरा वर्ग विभाजन इरादतन नहीं है। लेकिन, महामारी से मास्क असमानता का प्रतीक बनकर उभरे हैं। टोरंटो यूनिवर्सिटी में ड्रेस कोड के प्रोफेसर डॉ वीर्नकॉम्ब का कहना है, इससे संदेश जाता है कि कस्टमर के मुकाबले रेस्तरां, स्टोर में मास्क पहनने वालों का शरीर अधिक जोखिम भरा है।

कुछ कर्मचारी कहते हैं कि मास्क के मामले में कस्टमर और स्टाफ के लिए अलग-अलग नियम दोहरा मापदंड है। यह भेदभावपूर्ण है।

जेकब बर्नस्टीन

© The New York Times

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