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अपनी कुर्सी बचाने के लिए मोदी की शरण मे पहुंचे उद्दव ठाकरे

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के चलते पिछले 36 दिनों से लॉकडाउन लागू है। इसके बाद भी देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्‍या 30 हजार को पार कर गई है। वहीं 1000 हजार से ज्‍यादा लोगों की मौत हो चुकी है। महामारी का सबसे ज्‍यादा असर महाराष्‍ट्र में देखा जा रहा है। यहां करीब नौ हजार लोग इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। इस बीच उद्धव ठाकरे के सामने अपनी कुर्सी बचाने और कोरोना से अपने राज्‍य की रक्षा करने की दोहरी चुनौती सामने आ गई है।

दरअसल, सीएम उद्धव महाराष्ट्र के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं यानी न तो विधानसभा (एमएलए) और न ही विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य हैं। अब कोरोना के खतरों की वजह से महाराष्ट्र में एमलसी का होना वाला चुनाव टाल दिया गया है, जिसके चलते उद्धव के सामने सीएम पद को बचाए रखने की मुश्किल खड़ी हो गई है।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एमएलसी नामित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कैबिनेट से दो बार प्रस्ताव पास कर भेजा है, लेकिन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। इससे संवैधानिक संकट गहराता जा रहा है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से तनातनी के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री की शरण में पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि मंगलवार की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की।

सूत्रों की मुताबिक उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी को फोन कर महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर बात की। इस दौरान उद्धव ने कहा कि इस महत्वपूर्ण समय में राज्य में राजनीतिक अस्थिरता सही नहीं है। इससे राज्य में गलत संदेश जाएगा, जिससे बचना चाहिए। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्धव को आश्वासन दिया है कि वो जल्द से जल्द इस मामले को देखेंगे।

सीएम उद्धव ठाकरे की पीएम मोदी से बातचीत के दौरान मंगलवार को उद्धव ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने के प्रस्ताव को लेकर महा विकास अघाड़ी का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिला। इस मामले में राज्य कैबिनेट ने सोमवार शाम राज्यपाल को दूसरी बार प्रस्ताव भेजा था, जिसमें उद्धव ठाकरे को MLC के लिए मनोनीत करने का आग्रह किया गया है। हालांकि, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अभी तक सरकार के प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया है।

बता दें कि उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो वे विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। ऐसे में संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार उद्धव ठाकरे को 6 माह में राज्य के किसी सदन का सदस्य होना अनिवार्य है। ऐसे में उद्धव ठाकरे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को बचाए रखने के लिए 28 मई से पहले विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी है।

इसी के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार ने राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाली विधान परिषद के लिए उद्धव ठाकरे के नाम को राजभवन भेजा था, लेकिन गवर्नर ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया। इसके चलते महाराष्ट्र में संवैधानिक संकट गहराता जा रहा है।

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