बीजिंग। बीजिंग से करीब 2000 किलोमीटर पश्चिम में मौजूद बंजर रेगिस्तान को चीन सरकार इन दिनों जगह-जगह खोद रही है। यह इंसानों का भला करने का कोई प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों, यानी ICBM से परमाणु हथियारों को दागने के लिए सैकड़ों किमी लंबा-चौड़ा मैदान है।
जी हां, चीन अपने उत्तर-पश्चिमी प्रांत यूमेन के करीब रेगिस्तान में 110 से ज्यादा अंडरग्राउंड ठिकाने बना रहा है। ऐसे एक ठिकाने को साइलो (Silo) और ऐसे ठिकानों से भरे पूरे इलाके को साइलो फील्ड (Silo Field) कहा जा रहा है। इनसे ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलें दागी जा सकती हैं, जिनकी मारक दूरी 5,500 किमी से ज्यादा होगी। यह खुलासा कॉमर्शियल सैटेलाइट्स से ली गई तस्वीरों की एनालिसिस से हुआ है।
कुछ हफ्ते पहले भी इसी तरह के एक और इलाके का पता चला था। उसमें भी परमाणु मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए 100 से ज्यादा साइलोज बनाए जाने का खुलासा हुआ था। यह इलाका यूमेन से करीब 500 किलोमीटर दूर रेगिस्तान के हामी इलाके में है।
हैरान करने वाली बात ये है कि इन 210 से ज्यादा साइलोज से दागी जाने वाली ICBMs की चपेट में भारत समेत पूरी दुनिया आ सकती है।
हाल ही में तलाशा गया यह साइलो फील्ड चीन के झिंजियांग क्षेत्र के पूर्वी हिस्से में है। यह इलाका हामी शहर में चीन के कुख्यात रीएजुकेशन शिविरों से ज्यादा दूर नहीं है। पिछले हफ्ते द फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट ने ‘प्लैनेट लैब्स सैटेलाइट्स’ की तस्वीरों के जरिए इसकी पहचान की। फेडरेशन ने ये तस्वीरें न्यूयॉर्क टाइम्स से भी शेयर की हैं।
यह हामी शहर से 60 किमी दक्षिण-पश्चिम में उइगर मुसलमानों के लिए बनाए गए सरकारी रीएजुकेशन सेंटर के करीब है। इन सेंटर्स में उइगर मुसलमानों को कट्टरता से बाहर निकालने के नाम पर कैद में रखा जाता है।
क्या सैकड़ों Silos का पता चलना इत्तेफाक है या चीन की सोची-समझी साजिश?
एक्सपर्ट्स ग्रुप का कहना है कि सैटेलाइट तस्वीरों में परमाणु मिसाइलों के सैकड़ों लॉन्च ठिकानों का पता लगना कोई इत्तेफाक नहीं है। दरअसल, यह साइलोज बनाए ही इसलिए गए हैं ताकि दुनिया को दिख जाएं। दरअसल, आर्थिक और तकनीकी महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षा के चलते चीन अपने परमाणु हथियारों का जखीरा अमेरिका और रूस जितना बढ़ा कर उनकी नुमाइश करना चाहता है।
क्या खुद को अमेरिका और रूस की तरह सुपर पावर दिखाना चाहता है चीन?
परमाणु हथियारों को लेकर अब तक न्यूनतम सिद्धांत पर चल रहा चीन अधिकतम पर क्यों चला गया? इस सवाल को लेकर कई तरह की थ्योरी हैं। विशेषज्ञ इस बदलाव के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सबसे बड़ी वजह मान रहे हैं।
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर विपिन नारंग का कहना है कि सिर्फ इसलिए कि आपने साइलो (silos) बना लिए हैं, यह जरूरी नहीं कि उन सभी में मिसाइल हों। मिसाइलों को एक दूसरे साइलो में भेजा जा सकता है और उन्हें हटाया भी जा सकता है। चीन को ऐसा लग सकता है कि आज नहीं तो कल उसे अमेरिका और रूस के साथ हथियारों को नियंत्रित या कम (arms control negotiations) करने के लिए बातचीत के लिए बुलाया जरूर जाएगा।
सैटेलाइट मार गिराने वाले लेजर हथियार के ठिकाने का भी पता चला
हामी इलाके से करीब 420 किमी पश्चिम में एक सुव्यवस्थित परिसर में ऐसी बिल्डिंग्स का भी पता चला है, जिनकी बड़ी-बड़ी छत आसमान की ओर खुल सकती हैं। हाल ही में विशेषज्ञों ने इस परिसर को चीन के उन पांच ठिकानों में से एक बताया है जहां से वह अंतरिक्ष में चक्कर लगाते निगरानी सैटेलाइट्स को लेजर बीम दागकर गिरा सकता है। लेजर बीम सैटेलाइट्स के नाजुक ऑप्टिकल सेंसर को खराब कर देती है।
अब तक मिनिमम डिटरेंट की नीति पर चल रहा था चीन
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