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सावधान! हर तीन में से एक की जान तक ले सकता है कोरोना का नया स्ट्रेन

नई दिल्ली। भारत में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई है लेकिन तीसरी लहर की आशंका लोगों को डराए हुए हैं। जिस तरह से हर दिन कोरोना के आंकड़े आ रहे हैं उससे विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। पिछले कुछ दिनों से लगातार चालीस हजार के आसपास मामले आ रहे हैं।

भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 40 हजार से अधिक नये मामले सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में देश में संक्रमण के कुल 41,649 नए मामले आए। हालांकि इस दौरान 37,291 लोग ठीक भी हुए, जबकि 593 लोगों की मौत हो गई।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि देश में कोरोना के कुल 3,16,13,993 मामले हैं, जिसमें 4,08,920 एक्टिव केस हैं, जबकि 3,07,81,263 लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं, कोरोना से अब तक मरने वालों की संख्या 4,23,810 है।

उधर कुछ रिसर्च रिपोर्ट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। ब्रिटिश सरकार के शीर्ष वैज्ञानिकों की ओर से आगाह किया गया है कि कोरोना महामारी का आने वाला नया वेरियंट हर तीन में एक व्यक्ति की जान तक ले सकता है।

साइंटिफिक एडवाइजरी ग्रुप फॉर इमरजेंसीज (SAGE) द्वारा जारी किए गए रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि यह MERS जितना घातक भी हो सकता है, जिसमें 35 फीसदी तक मृत्यु दर होती है।

वैज्ञानिकों ने यह भी सुझाव दिया है कि वहां सर्दियों में बूस्टर वैक्सीन की डोज लाई जानी चाहिए, ताकि आने वाले म्यूटेंट स्ट्रेन्स से  बचा जा सके। विशेषज्ञों के मुताबिक, आने वाले स्ट्रेन पर टीका बेअसर साबित हो सकता है।

वहीं इस बीच अमेरिकी स्वास्थ्य प्राधिकार के एक आंतरिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि कोरोना का डेल्टा स्वरूप, वायरस के बाकी सभी ज्ञात स्वरूपों के मुकाबले अधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं, यह चेचक की तरह आसानी से फैल सकता है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के दस्तावेज में अप्रकाशित आंकड़ों के आधार पर दिखाया गया है कि टीके की सभी खुराकें ले चुके लोग भी बिना टीकाकरण वाले लोगों जितना ही डेल्टा स्वरूप को फैला सकते हैं। सबसे पहले भारत में डेल्टा स्वरूप की पहचान की गई थी।

सबसे पहले ‘द वाशिंगटन पोस्ट’  ने इस डॉक्यूमेंट के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित किया। सीडीसी की निदेशक डॉ. रोशेल पी वालेंस्की ने मंगलवार को माना कि टीका ले चुके लोगों की नाक और गले में वायरस की मौजूदगी उसी तरह रहती है जैसे कि टीका नहीं लेने वालों में। आंतरिक दस्तावेज में वायरस के इस स्वरूप के कुछ और गंभीर लक्षणों की ओर इशारा किया गया है।

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