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फेसबुक की पूर्व कर्मचारी ने खोला मोर्चा: बोलीं- असलियत बताकर रहूंगी, मुझे 48 लाख देकर…

वॉशिंगटन। फेसबुक से हटाई गईं डेटा साइंटिस्ट सोफी झांग की वेबसाइट अचानक बंद कर दी गई। वजह, उनके द्वारा फेसबुक के खिलाफ लिखा गया मेमो है, जिसे हटाने के लिए सोशल मीडिया दिग्गज कंपनी दबाव डाल रही थी। इंकार करने पर उन्हें यह नतीजा भुगतना पड़ा।

कंपनी में आखिरी दिन लिखे 8 हजार शब्द के मेमो में उन्होंने आरोप लगाए थे कि फेसबुक चुनावों पर असर डालने वाले फेक अकाउंट की पहचान और उनपर सख्ती को लेकर सुस्त है। इसने करीब 25 देशों के नेताओं को प्लेटफॉर्म के सियासी दुरुपयोग और लोगों को गुमराह करने की छूट दी है। फेसबुक का असल चरित्र बताने पर क्या मुश्किलें झेलनी पड़ी…

पढ़िए झांग की आपबीती…

पार्टी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए कई देशों में प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल हुआ
मैंने 2018 में फेसबुक जॉइन की थी। तीन साल के कार्यकाल में मैंने विदेशी नागरिकों द्वारा नागरिकता को लेकर लोगों को गुमराह करने के लिए बड़े पैमाने पर हमारे प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग करते देखा। कंपनी ने ऐसे फैसले लिए जो राष्ट्राध्यक्षों को प्रभावित करते हैं। विश्व स्तर पर कई प्रमुख राजनेताओं के खिलाफ सोशल मीडिया पर कैंपेन चलवाए, जिससे विशेष पार्टी को फायदा हुआ।

दुनिया के शीर्ष नेताओं ने सियासी फायदे के लिए फेक अकाउंट का इस्तेमाल किया। लोगों को गुमराह कर आलोचकों को दूर रखने की कोशिश की गई। मैंने पूरा वक्त उन फर्जी खातों की पहचान करने में लगाया, जो दुनियाभर में चुनाव नतीजों में हेरफेर कर सकते थे। मेरे पास इस बात के पर्याप्त सबूत थे कि ब्राजील चुनाव के दौरान लाखों फर्जी पोस्ट हुईं। अजरबेजान की सरकार ने विरोध से निपटने के लिए हजारों फेक पेज इस्तेमाल किए।

स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय को कोरोना के दौरान सहयोगात्मक हेरफेर से फायदा हुआ। मेक्सिको, बोलिविया, अफगानिस्तान हर जगह ऐसा हुआ। बार-बार आगाह करने के बावजूद कंपनी ने कुछ नहीं किया गया। मैं शुरू से ही यह जिम्मेदारी अकेले लेकर चल रही थी। सब जानते थे यह गलत है, पर कोई समाधान निकालने को तैयार नहीं था। यह मेमो कंपनी नेतृत्व पर दबाव बनाने का आखिरी मौका था।

मुझे चुप कराने के लिए 48 लाख रुपए का सेवरंस पैकेज (निकालने संबंधी) भी ऑफर किया गया। पर मैंने अपनी बोलने की आजादी से समझौता नहीं किया। मेमो में भी लिखा था और आज भी कहती हूं कि मेरे हाथों में खून लगा है, इस मुकाम पर आकर हाथ खड़े कर देना, अपनी पहचान के साथ विश्वासघात करने जैसा होगा। 2020 में मुझे अयोग्य बताकर निकाल दिया गया। अब मेमो हटवाकर कंपनी खुद को पाक-साफ बताने में जुटी है। -सोफी झांग

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