लखनऊ। वनटंगिया समुदाय और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच गहरा संबंध हैं। इस समुदाय के लोग सीएम योगी को भगवान की तरह पूजते हैं, वहीं सीएम योगी खुद मुख्यमंत्री बनने से पहले और अभी भी इस समुदाय का विशेष ध्यान रखते हैं। आज हम आपको वनटंगिया समुदाया के बारे में बताने जा रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक आने वाली 5 तारीख को मुख्यमंत्री गोरखपुर के वनटंगिया समुदाय के लोगों के बीच प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत अन्न वितरण की शुरुआत कर सकते हैं।
फिलहाल अभी सीएम के आधिकारिक कार्यक्रम की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन प्रशासनिक अमला वनटंगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन में फौरी तौर में तैयारियों में जुट गया है। करीब 100 साल तक जंगल में उपेक्षित रहे वनग्रामों के निवासियों को समाज व विकास की मुख्यधारा में लाने का श्रेय सीएम योगी आदित्यनाथ को ही जाता है।
मुख्यमंत्री के आगमन की संभावित खबर मिलते ही वनटंगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन के लोगों की खुशी देखते ही बन गई। 5 अगस्त को प्रस्तावित अन्न महोत्सव में सीएम योगी के आने की संभावना के मद्देनजर सोमवार को पीडब्लूडी की टीम हेलीपैड बनाने में जुटी नजर आई। पूर्ति विभाग की टीम भी गांव में पहुंची।
उस सूची पर भी काम शुरू हो गया जिसके मुताबिक कुछ लोगों को सीएम अपने हाथों से राशन किट का वितरण कर सकते हैं। पूरी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री यहीं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से वर्चुअल जुड़ सकते हैं। इसे देखते हुए यहां पीएम मोदी के कार्यक्रम के लाइव प्रसारण की व्यवस्था भी बनाई जा रही है।
वनटांगिया समुदाय के लोगों के प्रति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनके संसदीय कार्यकाल से ही विशेष लगाव रहा है। बतौर सांसद उन्होंने वनटांगियों की बदहाली दूर करने के लिए निजी तौर पर शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की। वनटांगियों की शिक्षा के लिए अस्थायी स्कूल बनाने की कवायद में योगी मुकदमा तक झेल चुके हैं। सांसद के रूप में उनके बीच ही दिवाली मनाना शुरू किया जो उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी निर्बाध जारी है।
2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से तो उन्होंने वनटांगिया गांवों की दशा ही बदल दी है। गोरखपुर के कुसम्ही जंगल के तिकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा के जो वनटांगिया आजादी के सत्तर दशक बाद तक बुनियादी सुविधाओं को तरसते थे, आज सीएम की इनायत से शहर सरीखी सुविधाओं के बीच सुखमय जीवन बिता रहे हैं।
वनटांगिया गांवों का इतिहास 100 साल से भी अधिक पुराना है। 1918 के आसपास इन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने साखू के जंगल लगाने को बसाया था। सौ सालों तक यह राजस्व अभिलेखों में नागरिक के दर्जे से भी वंचित थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इन वनग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित कर इन्हें राजस्व अभिलेखों में शामिल किया। आज वनटांगिया गांवों में हर परिवार के पास पीएम-सीएम आवास योजना के तहत पक्का मकान है। सभी घरों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय है।
आज यहां सबके पास राशनकार्ड है, उज्ज्वला योजना के अंतर्गत निशुल्क रसोई गैस की सुविधा है तो सौभाग्य योजना के निशुल्क विद्युत कनेक्शन से उनके घर रोशन हैं। इन गांवों में लोग पात्रता के अनुसार पेंशन योजनाओं का भी लाभ प्राप्त कर रहे हैं। कभी शिक्षा इनके लिए दूर की कौड़ी थी, अब इनके गांव में ही सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र बन चुके हैं।
गांव के लोग आरओ मशीन से शुद्ध पेयजल प्राप्त करते हैं। यह सबकुछ हुआ है मार्च 2017 के बाद, जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। यह सीएम योगी की ही देन है कि राजस्व ग्राम घोषित हो जाने से इन वनग्रामों के लोगों ने पहली बार गांव की अपनी सरकार (पंचायत) का चुनाव किया।
वनटांगिया समुदाय के लोगों की नजर में सीएम योगी की अलग छवि है। उनकी कृपादृष्टि और उनमें अपार श्रद्धावश कोई उन्हें मसीहा कहता है तो कोई साक्षात भगवान का रूप। जंगल तिकोनिया नम्बर तीन निवासी सुभावती बताती हैं कि बाबा जी (योगी आदित्यनाथ) की नजर यहां पड़ने से पहले ‘मड़ई’ में ‘ढेबरी’ जलाकर रहना पड़ता था।
वह मुख्यमंत्री बनें तो सबका पक्का मकान बन गया, घर घर बिजली है। सबके पास रसोई गैस है और 35 किलो राशन भी मिलता है। अपने शब्दों में बाबा जी को भगवान का दूसरा रूप बताते हुए सुभावती यह कामना करती हैं कि वह ही बार-बार मुख्यमंत्री बनें।
इसी गांव की बुजुर्ग पतिरजी देवी बताती हैं कि पहले हम लोग मजदूर थे, बाबा जी ने खेत का अधिकार देकर जमीन का मालिक बना दिया। भावुक होकर वह कहती हैं कि जंगल के हमारे गांव में बाबा जी मसीहा बनकर आए। उन्होंने इतना कुछ दिया कि यहां रामराज ला दिया।
वनटांगिया बस्ती में योगी आदित्यनाथ की पहल पर खुले स्कूल हिन्दू विद्यापीठ में 2007 से शिक्षण कार्य करने वाले संजय गुप्ता का कहना है कि योगी जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद गांव का कायाकल्प हो गया है। टूटी फूटी मड़ई वाले गांव में शहरी स्तर का विकास कभी कभी अकल्पनीय लगता है लेकिन है यह सौ फीसद हकीकत।
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