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भाजपा के विरोध और कोरोना के बढ़ते मामलों ने बढ़ाई ममता की टेंशन

नई दिल्ली। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच कोरोना के बढ़ते मामलों ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ा दी है। ऐसा नहीं है कि बंगाल में कोरोना के बहुत ज्यादा मामले आने लगे हैं। दरअसल मामला यह है कि बंगाल चुनाव परिणाम आए 4 माह हो गए हैं और अब तब वहां 7 सीटों पर उपचुनाव नहीं हो पाया है।

संविधान के आर्टिकल 164 (4) के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति विधायक या सांसद नहीं है और वह मंत्रिपद पर आसीन होता है तो उसके लिए छह महीने में विधानसभा या विधानपरिषद या संसद के दोनों सदनों में से किसी एक सदन का सदस्य बनना अनिवार्य है।

अगर मंत्री ऐसा नहीं कर पाता है तो छह महीने बाद वह पद पर नहीं बना रह सकता। ममता बनर्जी को भी मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए चार नवंबर तक विधायक बनना होगा। तृणमूल कांग्रेस के एक नेता के कहा कि पश्चिम बंगाल उपचुनाव लंबित हैं। पिछले महीने भी चुनाव आयोग से इसको लेकर संपर्क किया गया था। राज्य में सात सीटों पर उपचुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगी।

बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ी थी लेकिन सहयोगी से प्रतिद्वंद्वी बने बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी से मामूली अंतर से हार गईं थीं। हार के बाद भी वह मुख्यमंत्री बनी थी।

ऐसे में मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें नियुक्ति के छह महीने (जो नवंबर है) के भीतर लोगों द्वारा चुने जाने की आवश्यकता है।

हालांकि, बीजेपी उपचुनाव कराने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है और वह लगातार इसका विरोध कर रही है, जिसकी वजह से ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ती ही जा रही है। बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि जब प्रदेश में कोरोना स्थिति को देखते हुए ट्रेनों को फिर से शुरू नहीं किया जा सकता है, तो ऐसी स्थिति में उपचुनाव भी नहीं होने चाहिए। जबकि चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए तीसरी लहर के असर का आंकलन करना चाहता है।

इससे पहले जुलाई मध्य में सुखेंदु शेखर और मोहुआ मोइत्रा सहित टीएमसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने इसी मांग को लेकर दिल्ली में चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था।

सियासी गलियारों में चर्चा है कि ममता बनर्जी की सीट की वजह से भाजपा अब यह उपचुनाव नहीं चाहती है, जबकि तृणमूल कांग्रेस इसी वजह से आगे बढ़ रही है और वह किसी तरह तय टाइम फ्रेम में उपचुनाव चाहती है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि कि भाजपा ने उत्तराखंड में चुनाव से बचने के लिए ही मुख्यमंत्री को बदला था।

वहीं टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि जब कोरोना के दैनिक मामले 22,000 से ऊपर दर्ज किए जा रहे थे, तब देश के कई राज्यों में चुनाव हो रहे थे और अब जब राज्य में कोरोना के डेली केसों की संख्या 900 पर आ गई है तो चुनाव कराने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।

टीएमसी ने अक्सर चुनाव आयोग पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया है। इधर, चुनाव निकाय के सूत्रों ने कहा कि सात उपचुनाव सीटों पर चुनाव की तैयारी चल रही है मगर मतदान की तारीख के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।

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