Categories: देश

खतरा: अगले 20 सालों में फिर दिखेगा कुदरत का कहर

नई दिल्ली। देश में पिछले कुछ समय से पर्यावरण में लगातार परिवर्तन हो रहें हैं। जिसके चलते मौसम में भी बदलाव देखेने को मिल रहे है। इस बार लोगों को ज्यादा समय तक गर्मी का सामना करना पड़ रहा है।

वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

अभी हाल ही में वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता व्यक्त की है। अब ‘जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल’ ने चेतावनी दी है कि पृथ्वी दो दशकों में 1.5 डिग्री तक गर्म हो सकती है। इस वजह से मौसम में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे। पैनल ने मानव गतिविधियों को जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया है। ये रिपोर्ट 2013 के आकलन के आधार पर है, जिसमें कार्बन उत्सर्जन और मानवीय गतिविधियों से पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभाव को दिखाया गया है।

बढ़ेगा 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान !

वैज्ञानिका की रिपोर्ट की माने तो उसमें यह कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग के 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने पर पृथ्वी पर हीटवेव में वृद्धि, लंबा गर्म मौसम और कम ठंडा मौसम देखने को मिलेगा। वहीं, अगर ग्लोबल वार्मिंग का स्तर 2 डिग्री सेल्सियस हो जाता है तो गर्मी इतनी बढ़ जाएगी कि कृषि और स्वास्थ्य के लिए इसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाएगा।

आने वाले समय में बढ़ेगीं परेशानियां

रिपोर्ट के अनुसार आने वाले समय में पृथ्वी पर खतरा मंडरा रहा है। अत्यधिक तापमान में वृद्धि का मतलब है कि धरती पर लगातार मौसम में परिवर्तन देखने को मिलेंगे। आने वाले वक्त में तापमान में चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में हर एक या दो साल में हीटवेव देखने को मिलेगा। इस रिपोर्ट में पाया गया है कि इस दौरान पृथ्वी के जमीन के नीचे जमी बर्फ पिघलने लगेगी।

बढ़ सकता है जलस्तर

जानकारी के अनुसार वायुमंडल को गर्म करने वाली गैसों का उत्सर्जन जिस तरह से जारी है, उसकी वजह से सिर्फ दो दशकों में ही तापमान की सीमाएं टूट चुकी हैं। इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्तांओं का मानना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस शताब्दी के अंत तक समुद्र का जलस्तर लगभग दो मीटर तक बढ़ सकता है।

अभी भी उम्मीद बाकी

हालांकि, इस रिपोर्ट में अभी भी उम्मीद बाकी है। वैज्ञानिक के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करना अभी भी संभव है। इसका मतलब ये है कि अगर ऐसा कर लिया जाएगा तो पृथ्वी पर होने वाले ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम कर दिया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह कहा गया है कि अगर हम 2040 तक वैश्विक स्तर पर उत्सर्जन को घटाकर नेट-शून्य कर देते हैं, तब भी 1.5 डिग्री तक पहुंचने का दो-तिहाई मौका है। वहीं, अगर हम सदी के मध्य तक वैश्विक स्तर पर नेट-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करते हैं, तो इसे हासिल करने का एक तिहाई मौका अभी भी है।

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

कुलभूषण को अगवा कराने वाला मुफ्ती मारा गया: अज्ञात हमलावरों ने गोली मारी

भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को अगवा कराने में मदद करने वाले मुफ्ती…

1 month ago

चैंपियंस ट्रॉफी में IND vs NZ फाइनल आज: दुबई में एक भी वनडे नहीं हारा भारत

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का फाइनल आज भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। मुकाबला दुबई…

1 month ago

पिछले 4 टाइटल टॉस हारने वाली टीमों ने जीते, 63% खिताब चेजिंग टीमों के नाम

भारत-न्यूजीलैंड के बीच चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला रविवार को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में खेला…

1 month ago

उर्दू पर हंगामा: उफ़! सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब से…

अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बां थी प्यारे उफ़ सियासत ने उसे जोड़ दिया मज़हब…

1 month ago

किन महिलाओं को हर महीने 2500, जानें क्या लागू हुई शर्तें?

दिल्ली सरकार की महिलाओं को 2500 रुपये हर महीने देने वाली योजना को लेकर नई…

1 month ago

आखिर क्यों यूक्रेन को युद्ध खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहते है ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूक्रेनी नेता की यह कहकर बेइज्जती किए जाने के बाद कि ‘आप…

1 month ago