प्रयागराज। नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को बचाने के लिए एक वकील ने कानून की सभी मर्यादाओं को लांघ दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में फर्जी वकालतनामा दाखिल कर वकील रामकेर सिंह अपने सहयोगी वकील हौसला प्रसाद को नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता का वकीन बना दिया। साथ ही फर्जी वकालतनामा दाखिल करवाया ताकि आरोपी की जमानत मंजूर हो जाए। बता दें कि रामकेस सिंह खुद दुष्कर्म के आरोपी का केस की पैरवी कर रहे हैं।
वहीं, कोर्ट में जब इसका मामला खुला तो कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए फटकार लगाई। जिसके बाद हौसला प्रसाद ने कोर्ट से माफी मांगी। कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के दोनों वकीलों के खिलाफ कठोर से कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश दिया।
वकील ने फर्जी वकालतनामें के चलते पीड़िता की ओर से हौसला प्रसाद के पेश होने पर विरोध नहीं किया। जमानत याचिका पर हो रही सुनवाई के दौरान पीड़िता के वकील की खामोशी पर शक गहराया तो सच सामने आया। सुनवाई के दौरान पीड़िता के असली वकील ने सामने आकर आपत्ति दर्ज कराई। उसने कहा कि पीड़िता के असली वकील वह हैं और कोर्ट से कहा कि फर्जी वकालतनामा दाखिल कर दुष्कर्म के आरोपी की जमानत का प्रयास किया जा रहा है।
कोर्ट ने बिना शर्त माफी मांगने पर फर्जी वकालतनामा दाखिल करने वाले हौसला प्रसाद को तो माफ कर दिया, लेकिन याची अधिवक्ता रामकेस सिंह के अफसोस जाहिर नहीं करने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने फर्जी वकालतनामे को बेहद गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते हैं।
कोर्ट में एडवोकेट रामकेर सिंह को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं दिखा। याची अधिवक्ता रामकेर सिंह ने कहा यह कोई नई बात नहीं, ये तो कामन प्रैक्टिस है। याची अधिवक्ता के इस बयान की कोर्ट ने की भर्त्सना की। कोर्ट ने कहा की वकालत के ऊंचे आदर्शो, नैतिक मूल्यों का ह्रास दुखदायी है।
कोर्ट ने याची अधिवक्ता के खिलाफ यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष को नियमानुसार कार्रवाई का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आदेश की प्रति एक्टिंग चीफ जस्टिस के समक्ष निबंधक के जरिए उचित कार्रवाई के लिए प्रेषित करने को कहा है। सभी जस्टिस, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और एडवोकेट एसोसिएशन को आदेश की प्रति भेजने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा वकालतनामे के साथ वादकारी का मोबाइल नंबर सहित स्व सत्यापित पहचान पत्र, आधार कार्ड अनिवार्य किया जाए।
बता दें कि दुष्कर्म के आरोपी बुलंदशहर के जावेद अंसारी की जमानत अर्जी पर याची अधिवक्ता रामकेर सिंह ने फर्जीवाड़े की कोशिश की। शिकायतकर्ता का फर्जी वकालतनामा याची अधिवक्ता राम केर सिंह ने अपने सहयोगी हौसला प्रसाद के जरिए दाखिल किया था। जस्टिस संजय कुमार सिंह की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई की थी।
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