आगरा। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी ब्राह्मणों को लुभाने में जुट गए हैं। रविवार को वे फिरोजाबाद जिला अस्पताल के दौरे के बाद आगरा सेंट्रल जेल पहुंचे। यहां उन्होंने निषाद पार्टी से भदोही के विधायक विजय मिश्रा और एमएलसी कमलेश पाठक से मुलाकात की। करीब डेढ़ घंटे के बाद जब शिवपाल जेल से बाहर आए तो शिवपाल ने कहा, इस समय सब ब्राह्मणों की बात तो कर रहे हैं, लेकिन उनसे जेल में मिलने हम ही आए हैं।
विजय मिश्रा पर दुष्कर्म, जमीन कब्जाने जैसे कई मामले दर्ज हैं। वहीं, कमलेश पाठक पर एक हत्या के मामले में आरोप तय हो चुका है। उन पर गैंगस्टर भी लगा था। सियासी गलियारे में शिवपाल से विजय मिश्रा और कमलेश पाठक की मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में ये तीनों नेता एक साथ आ सकते हैं।
गठबंधन और विलय दोनों स्थिति पर हम तैयार
आने वाले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी में विलय के सवाल पर शिवपाल यादव ने कहा, हम सपा के साथ जाने को तैयार हैं। हमारे प्रयास चल रहे हैं। गठबंधन होगा या विलय जैसी प्राथमिकता होगी, वैसे तय किया जाएगा। उन्होंने और किसी दल से कोई बात न होने की बात कही।
शिवपाल बोले- बंदियों को न बेहतर खाना मिल रहा न इलाज
शिवपाल सिंह सवा एक बजे सेंट्रल जेल पहुंचे। उन्होंने जेल में विधायक विजय मिश्रा और एमएलसी कमलेश पाठक से मुलाकात की। डेढ़ घंटे बाद शिवपाल सिंह तीन बजे जेल से बाहर निकले। उन्होंने बाहर आकर कहा कि कोरोना संक्रमण काल में जेल में बंदियों की स्थिति बहुत खराब है। बंदियों का न बेहतर खाना मिल पा रहा है न ही उनको बेहतर इलाज। कोरोना के बाद किसी ने बंदियों की सुध नहीं ली है। इसको लेकर मैंने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है।
कमलेश पाठक के सामने उनके गुर्गों ने किया था डबल मर्डर
विजय मिश्रा और उनकी पत्नी पर घर में घुसकर मारने का आरोप तय
यूपी में 13 फीसदी ब्राह्मण वोटर, 56 विधायक
यूपी की राजनीति में ब्राह्मणों का वर्चस्व हमेशा से रहा है। आबादी के लिहाज से प्रदेश में लगभग 13% ब्राह्मण हैं। कई विधानसभा सीटों पर तो 20% से ज्यादा वोटर्स ब्राह्मण हैं। ऐसे में हर पार्टी की नजर इस वोट बैंक पर टिकी है। 2017 में 56 सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। 2007 में मायावती की अगुआई में BSP ने ब्राह्मण+दलित+मुस्लिम समीकरण पर चुनाव लड़ा तो उनकी सरकार बन गई। बसपा ने इस चुनाव में 86 टिकट ब्राह्मणों को दिए थे।
आबादी के लिहाज से ब्राह्मण भले कम हो, लेकिन कई सीटों पर गणित बिगाड़ने और बनाने का दमखम रखते हैं। यही वजह है कि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा ब्राह्मणों को लुभाने में जुटी हैं।
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