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पाकिस्तानी एयरफोर्स के अटैक से घबराकर अमरुल्ला सालेह ताजिकिस्तान भागे

काबुल। पंजशीर में पाकिस्तान की एंट्री होने के कुछ देर बाद ही पंजशीर ने भी हार मान ली। इसके साथ ही पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है। रविवार को तालिबान की मदद करने के लिए पाकिस्तानी पायलट्स ने रेजिस्टेंस फोर्सेज के ठिकानों पर हवाई हमले किए। पंजशीर में रजिस्टेंस के प्रमुख नेता और देश के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह जिस घर में ठहरे थे, उस पर भी हमला हुआ।

इसके बाद सालेह ताजिकिस्तान भाग गए। अहमद मसूद पंजशीर में ही सुरक्षित ठिकाने पर हैं, लेकिन पंजशीर अब तालिबान के कब्जे में आ गया है।

पाकिस्तान के CH-4 ड्रोन ने पंजशीर में एक गाड़ी पर दो मिसाइल दागीं। इसमें रेजिस्टेंस के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पांच अन्य लड़ाकों की मौत हो गई। दश्ती पेशे से पत्रकार थे और 15 अगस्त तक काबुल डेली के संपादक भी थे। अहमद मसूद के करीबी और पंजशीर बलों के प्रमुख सालेह मोहम्मद रेगिस्तानी भी रविवार के हमलों में मारे गए।

तालिबान के साथ लड़ाई में रविवार को मारे गए कमांडर फहीम दश्ती।

पाकिस्तान के ISI ने बनाया तालिबान

अफगानिस्तान पर कब्जा करने की जंग में पाकिस्तान हर कदम पर तालिबान का साथ देता आया है। दरअसल, तालिबान को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने ही बनाया था। बाद में भी ISI ने तालिबान को पैसा, ट्रेनिंग और हथियार देना जारी रखा। हक्कानी नेटवर्क से भी ISI के गहरे रिश्ते हैं, जो तालिबान के लिए काम करता है।

पाकिस्तान के बॉर्डर वाले इलाकों में खास तौर से क्वेटा शहर में, तालिबान लड़ाकों और उनके परिवारों को पनाह दी। तालिबान के घायल लड़ाकों का पेशावर और कराची के अस्पतालों में इलाज तक कराया। हक्कानियों के लिए पाकिस्तान में रियल एस्टेट, तस्करी और अन्य बिजनेस को चलाने का मौका दिया जिससे उसकी वार मशीन चलती रहे।

अमेरिकी फौजों की वापसी तय हुई तो, ISI ने तालिबानी नेताओं को एकजुट किया
तालिबान का पूरी दुनिया में कोई करीबी दोस्त है तो वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI है। 1996-2001 के तालिबान शासन को संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरब के अलावा पाकिस्तान ने ही मान्यता दी थी। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते के बाद फौजों की वापसी का कार्यक्रम तय हुआ। तब तालिबान नेताओं ने ISI की मदद से खुद को रीग्रुप किया।

अफगानिस्तान की सरकार में भी हक चाहता है ISI
अफगानिस्तान में तालिबान की जो नई सरकार बनने वाली है, उसमें ISI से जुड़े हक्कानी नेटवर्क के लोग भी शामिल होंगे। इसमें प्रमुख नाम मुजाहिदीन कमांडर जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी का है। वो अपने पिता के बनाए हक्कानी नेटवर्क को चलाता है। हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच सत्ता को लेकर जंग भी जारी है।

दो दिन पहले खबर आई थी कि दोनों गुटों के बीच फायरिंग में तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला बरादर घायल हो गया है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई थी।

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