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मजदूरों की वापसी : उद्योगों के सामने खड़ा हो सकता है तालाबंदी का संकट

नई दिल्ली। कोरोना काल में धीरे-धीरे सब बदल रहा है। संक्रमण रोकने के लिए सरकार द्वारा की गई तालाबंदी से देश के एक बड़े तबके के सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। इसके अलावा ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि कोरोना संकट और तालाबंदी के बीच देश में बड़ा श्रमिक संकट पैदा हो सकता है। इसकी वजह से कई राज्य सरकारों के माथे पर बल आ गया है।

ऐसी आशंका इसलिए, क्योंकि काम व पैसों के अभाव में प्रवासी मजदूर, श्रमिक और कामगार अपने गृह राज्यों को लौट रहे हैं। तालाबंदी के पहले चरण की घोषणा के बाद से श्रमिकों का पलायन शुरु हुआ जो आज भी जारी है।

ये श्रमिक पहले पैदल, फिर ट्रक, साइकिल व अन्य वाहनों (सरकारी बसें भी) से, जबकि अब सरकार द्वारा चलाई गई खास ट्रेनों (श्रमिक ट्रेन) से इन्हें घर पहुंचाया जा रहा है।

तालाबंदी की वजह से चौपट काम-धंधे के माहौल के बीच श्रमिकों के पलायन ये राज्य सरकारों की चिंता बढ़ गई है। कुछ राज्यों में तो सरकारों ने तो इन श्रमिकों से गुजारिश कि वे कहीं न जाएं। परेशान न हों, क्योंकि उनके खाने-पीने से लेकर रहने और काम का प्रबंध वहां की सरकार करेगी। फिर भी मजदूरों के मन में घर कर चुका असुरक्षा का भाव उन्हें घर लौटने पर मजबूर कर रहा है।

दो मई को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपील करते हुए कहा- उद्योग शुरू हो गए हैं, जो नहीं खुले हैं वो भी कल से शुरू हो जाएंगे, इसलिए मैं प्रवासी श्रमिकों से अनुरोध करता हूं कि आप अभी अपने घर न जाएं, आपको यहां कोई परेशानी नहीं आएगी।

इसी बीच, तेलांगाना और कर्नाटक में भी राज्य सरकारों ने पलायन करने वाले श्रमिकों से अपील की कि वे जहां हैं, वहीं बने रहे। कर्नाटक सीएम बीएस येदियुरप्पा ने एक मई को कहा था- हमने नियोक्ताओं से अपील की है कि वे अपने कर्मचारियों को सैलरी दें। मेरा सभी मजदूरों से निवेदन है कि वे पलायन न करें।

वहीं, तेलंगाना सरकार ने भी अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे ऐसे मजदूरों को यकीन दिलाएं और सुनिश्चित करें कि लोग जहां हैं, वहीं रहें।
दरअसल, एक्सपर्ट्स और विश्लेषकों की मानें तो प्रवासी मजदूरों पर कई मायनों में अर्थव्यवस्था निर्भर करती है। अगर इनमें से 50 फीसदी भी गांव-घर लौट गए तो सीधे तौर पर इकनॉमी पर बुरा असर पड़ेगा।

केंद्र द्वारा फंसे हुए मजदूरों को उनके घर वापस जाने की अनुमति देने के बाद पंजाब में उद्योगों को राज्य से प्रवासी मजदूरों के ”पलायन”  की आशंका सता रही है।

उद्योग प्रतिनिधि भी श्रमिकों के पलायन से चिंतित हैं। उनका कहना है कि यदि मजदूर अपने मूल स्थानों पर वापस चले जाते हैं तो संयंत्रों कैसे चालू होंगे।

यूनाइटेड साइकिल एंड पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डी एस चावला ने दो मई को कहा, ”हमें यह सुनकर दुख हुआ कि सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को उनके घर वापस जाने की अनुमति दी है। यदि सरकार चाहती है कि हम अपनी इकाइयों को फिर शुरू करें, तो यह कैसे संभव हो सकता है।”

उन्होंने कहा कि राज्य में जो भी प्रवासी मजदूर हैं, वे अपने मूल स्थानों पर लौट जाएंगे, क्योंकि सरकार ने उन्हें भेजने के लिए विशेष रेलगाड़ी चलाई है। चावला ने कहा, ” जब प्रवासी मजदूर यह जानेंगे कि रेलगाडिय़ों ने उन्हें ले जाना शुरू कर दिया है, तो जिन लोगों ने वापस जाने की योजना नहीं बनाई है, वे भी निश्चित रूप से राज्य से बाहर चले जाएंगे।”

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