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गुजराती, मारवाड़ी वोटर्स वाली विधानसभा से ही क्यों चुनाव लड़ रहीं दीदी?

भवानीपुर। कोलकाता में यदि किसी को गुजराती व्यंजनों का लुत्फ उठाना होता है तो वो सीधे भवानीपुर पहुंच जाता है, क्योंकि यहां सिर्फ गुजराती रहते ही नहीं बल्कि यहां के पकवानों में भी गुजरात की महक है। मारवाड़ी, सिंधी, पंजाबी भी यहां रहते हैं, जो अधिकतर व्यवसायी हैं। ये लोग बिजनेस बड़ा बाजार में करते हैं, लेकिन रहते भवानीपुर में हैं। नॉन बंगाली वोटर्स की पॉपुलेशन यहां 60% के आसपास है।

अब इसी भवानीपुर से ममता बनर्जी 30 सितंबर को उपचुनाव लड़ने जा रही हैं। ममता सरकार के कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम, भवानीपुर सीट से विधानसभा में चुनाव लड़ने वाले शोभनदेब चट्‌टोपाध्याय और CM ममता बनर्जी के भाई कार्तिक बनर्जी ने उपचुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली है।

विधानसभा में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता तैनात कर दिए गए हैं और दीदी की स्कीम्स का प्रचार भी शुरू हो चुका है। इस बार TMC की कोशिश दीदी को लाख वोटों के मार्जिन से जिताने की है। वहीं BJP, लेफ्ट और कांग्रेस अब तक अपने कैंडीडेट का नाम भी तय नहीं कर पाए हैं।

भवानीपुर को ही दीदी ने चुनाव लड़ने के लिए क्यों चुना?
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) पहली बार साल 2011 में पश्चिम बंगाल में सरकार में आई थी। तब TMC ने 34 साल पुराना लेफ्ट का किला ढहा दिया था।

उस साल ममता बनर्जी ने भवानीपुर से ही उपचुनाव लड़ा था और वो करीब 54 हजार वोटों के मार्जिन से जीती थीं। 2016 में भी ममता बनर्जी ने इसी सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि उनकी जीत का मार्जिन तब 54 हजार से घटकर 25 हजार पर आ गया था।

2011 में BJP को इस सीट पर महज 5078 वोट मिले थे, लेकिन 2014 की मोदी लहर में यह आंकड़ा बढ़कर 47 हजार को क्रॉस कर गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में TMC की माला रॉय यहां से लड़ी थीं और उनके सामने BJP कैंडीडेट चंद्र कुमार बोस थे।

तब TMC भवानीपुर से महज 3168 वोटों की लीड ले सकी थी। इसी तरह 2015 में कोलकाता नगर निगम चुनाव में तो भवानीपुर का वॉर्ड नंबर 70 BJP ने जीत ही लिया था।

2021 के विधानसभा चुनाव में TMC के शोभनदेब चट्‌टोपाध्याय ने 28 हजार वोटों के मार्जिन से BJP के रूद्रनील घोष को यहां से हराया था। TMC की लगातार जीत के चलते ही ममता बनर्जी ने भवानीपुर को फिर चुनाव के लिए चुना है। यहीं कालीघाट भी आता है, जहां उनका घर है।

BJP से कौन ममता को चुनौती दे सकता है?
BJP की तरफ से दिनेश त्रिवेदी, रूद्रनील घोष, तथागत रॉय, अनिर्बान गांगुली, स्वपनदास गुप्ता और प्रताप बनर्जी का नाम दौड़ में है। अभी तक किसी भी एक नाम पर सहमति नहीं बनी है।

हालांकि पार्टी सूत्रों के मुताबिक, दिनेश त्रिवेदी को टिकट दिया जा सकता है। उन्होंने विधानसभा चुनाव के चंद दिनों पहले ही TMC छोड़कर BJP जॉइन कर ली थी। लेफ्ट और कांग्रेस ने भी अभी तक अपने कैंडीडेट का नाम अनाउंस नहीं किया है। दोनों ने विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था।

रविंद्र भारती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और चुनाव विश्लेषक डॉ. विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं कि ‘भवानीपुर से ममता एक लाख से ज्यादा वोटों से जीतेंगी, क्योंकि अपोजिशन के वोटर अभी वोटिंग के लिए ही तैयार नहीं हैं। गुजराती, मारवाड़ी व्यवसायी हैं और वो वोट डालने नहीं जाते। प्रॉक्सी वोट बड़ी संख्या में डाले जाने की संभावना है।’

सीनियर जर्नलिस्ट पुलकेश घोष कहते हैं, ‘बिजनेसमैन हमेशा वहां वोटिंग करता है, जहां जीतने की संभावना ज्यादा होती है और मौजूदा हालात में ममता बनर्जी का जीतना तय है। इसलिए वोट उन्हीं को मिलेंगे।’

चुनाव हारने वालीं ममता तीसरी CM
विधानसभा चुनाव में ममता नंदीग्राम से चुनाव लड़ी थीं और BJP के शुभेंदु अधिकारी से 1956 वोटों से हारी थीं। इसलिए 6 महीने में उन्हें विधानसभा का चुनाव जीतना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर CM का पद छोड़ना पड़ेगा।

इसलिए ममता भवानीपुर से उपचुनाव लड़ने जा रही हैं। ममता पश्चिम बंगाल की ऐसी तीसरी CM हैं, जो खुद चुनाव हारी हैं। उनके पहले साल 1967 में प्रफुल्ल चंद्र सेन और 2011 में बुद्धदेव भट्टाचार्य भी अपनी सीट नहीं बचा सके थे।

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