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कहां गया सोने का अनमोल खजाना? तालिबान को सता रहा अफगान से बाहर जाने का डर

नई दिल्ली। अफगानिस्तान की सत्ता में 20 बाद वापसी करने वाले तालिबान को अब इस बात की चिंता सता रही है कि आखिर बैक्ट्रियन गोल्ड खजाना कहां है। रिपोर्ट की मानें तो तालिबान अब 2000 साल पुराने बैक्ट्रियन गोल्ड के खजाने को सुरक्षित करने के लेने के लिए एक तलाशी अभियान शुरू कर चुका है।

तालिबान के सूचना और संस्कृति मंत्रालय ने कहा है कि उन्होंने बैक्ट्रियन खजाने को ट्रैक करने और उसका पता लगाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। बैक्ट्रियन खजाने को बैक्ट्रियन गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है, जिसे चार दशक पहले शेरबर्गन जिले के तेला तापा इलाके में खोजा गया था, जो उत्तरी जवज्जन प्रांत का केंद्र है।

टोलो न्यूज के मुताबिक, तालिबान के अंतरिम कैबिनेट के सांस्कृतिक आयोग के उप प्रमुख अहमदुल्ला वासीक ने कहा कि उन्होंने संबंधित विभागों को बैक्ट्रियन खजाने को खोजने और उसकी जांच का काम सौंपा है। उन्होंने कहा कि इस मसले की जांच चल रही है और हम यह जानने के लिए जानकारी एकत्र करेंगे कि आखिर खजाना असल में कहां है।

अगर इसे अफगानिस्तान से बाहर ले जाया गया है तो फिर यह देशद्रोह है। अगर यह खजाना और अन्य प्राचीन वस्तुओं को देश से बाहर ले जाया गया है तो फिर फगानिस्तान की सरकार गंभीर कार्रवाई करेगी।

नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, बैक्ट्रियन खजाने में प्राचीन दुनिया भर से हजारों सोने के टुकड़े होते हैं और यह पहली शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी तक छह कब्रों के अंदर पाए गए थे। इन कब्रों में 20,000 से अधिक वस्तुएं थीं, जिनमें सोने की अंगूठियां, सिक्के, हथियार, झुमके, कंगन, हार, हथियार और मुकुट शामिल थे। सोने के अलावा इनमें से कई को फ़िरोज़ा, कारेलियन और लैपिस लाजुली जैसे कीमती पत्थरों से तैयार किया गया था।

नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, विद्वानों का मानना है कि कब्रें छह अमीर एशियाई खानाबदोशों की थी, जिनमें पांच महिलाएं और एक पुरुष की थीं। नेशनल ज्योग्राफिक ने 2016 में कहा था कि उनके साथ मिली 2,000 साल पुरानी कलाकृतियां सौंदर्य प्रभावों (फारसी से शास्त्रीय ग्रीक तक) का एक दुर्लभ मिश्रण प्रदर्शित करती हैं और बड़ी संख्या में कीमती वस्तुओं, विशेष रूप से छठे मकबरे में पाया गया जटिल सुनहरा मुकुट ने पुरातत्वविदों को आश्चर्यचकित कर दिया था।

बता दें कि बैक्ट्रियन खजाना अफगानिस्तान की एक महत्वपूर्ण संपत्ति है, जिसे फरवरी 2021 में पूर्व सरकार द्वारा राष्ट्रपति भवन में लाया गया था और लोगों के लिए प्रदर्शित किया गया था। हालांकि, गनी सरकार के पतन के बाद इसकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी।

टोलो न्यूज ने बताया कि वसीक ने कहा है कि प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जो भी अनुबंध किया गया है, वह यथावत रहेगा। टोलो न्यूज के अनुसार, वसीक ने यह भी कहा कि उनके आकलन से पता चलता है कि राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रीय संग्रह और राष्ट्रीय गैलरी और अन्य ऐतिहासिक और प्राचीन स्मारकों की वस्तुएं अपनी जगहों पर सुरक्षित हैं।

काबुल के निवासियों ने टोलो न्यूज को बताया कि बैक्ट्रियन खजाना एक राष्ट्रीय संपत्ति है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। हशमत ने कहा कि उन्हें इसे बाहर क्यों भेजा गया, इसे हमारे देश में ही रहना चाहिए। इस बेशकीमती कलेक्शन को पिछले 13 सालों में 13 देशों में प्रदर्शित किया गया है।

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