नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पुंंछ में सोमवार को पांच सैनिक शहीद हो गए। इससे पहले पिछले कुछ महीनों से लगातार आम लोग आतंकियों के निशाने पर हैं, उनकी हत्या की जा रही हैं। ऐसे सवाल में उठ रहा है कि अचानक पिछले एक महीने के दौरान कश्मीर और LOC पर आतंक कैसे और क्यों बढ़ रहा है? सिक्योरिटी एक्सपर्ट इसकी दो प्रमुख वजह बता रहे हैं। पहली- अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान में बैठे आतंकियों की हिम्मत बढ़ी हुई है।
उनका मानना है कि जब वो सुपर अमेरिका को हरा सकते हैं तो कश्मीर भारतीय सुरक्षा बलों को भी मात दी जा सकती है। दूसरी- घाटी में पिछले कई सालों यह ट्रेंड रहा कि सर्दी आने से आतंकी घटनाएं और घुसपैठ दोनों बढ़ जाती है, क्योंकि एक महीने बाद बर्फबारी के चलते सीमा पार से आना बेहद मुश्किल हो जाता है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व DGP और सिक्योरिटी एक्सपर्ट एसपी वेद कहते हैं कि एक तरफ माहौल बन रहा है कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी आई है, पत्थरबाजी की घटनाएं कम हुई हैं, आतंकियों की संख्या भी कम हुई है। दूसरी तरफ तालिबान के आने के बाद से आतंकियों का मनोबल बढ़ा हुआ है। पाकिस्तान की आर्मी और ISI को लग रहा है कि उन्होंने दुनिया फतह कर ली है।
‘आने वाले दिनों में आतंकी घटनाएं और बढ़ने का अनुमान है। ISI की कोशिश होगी कि अफगानिस्तान से हथियार और आतंकियों को कश्मीर की तरफ डायवर्ट किया जाए। हमें समझना होगा कि सीमा पर पहले जैसे हालात नहीं हैं, अब हमारी सीमा फेंस्ड है, लेकिन सुरक्षाबलों को फुल अलर्ट पर रहने की जरूरत है। कश्मीर ही नहीं बाकी देश में भी सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रहना चाहिए।’
दरअसल जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने के दो साल बाद घाटी में आतंक ने अपना नाम, निशाना और तरीका तीनों बदल लिए हैं। आतंक के नए नाम हैं- द रजिस्टेंस फ्रंट यानी TRF और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट यानी ULF। उनके निशाने पर हैं- ऐसे गैर-मुस्लिम जो पढ़ाने-लिखाने या बाहर से आकर यहां काम कर रहे हैं। उनके निशाने पर वो मुसलमान भी हैं, जो सियासी गतिविधियों का हिस्सा बन रहे हैं या पुलिस में हैं।
अब बात बदले हुए तरीके की। आतंकियों की यह नई पौध AK-47 या ग्रेनेड जैसे हथियारों की जगह अचानक करीब आकर पिस्टल जैसे छोटे हथियारों से अपने शिकार को मार रही है।
पिछले एक साल में इसी तरह 25 लोगों की हत्या की जा चुकी है। पिछले पांच दिनों में ऐसी सात वारदातों में सात लोग मारे गए हैं। गुरुवार को श्रीनगर के एक सरकारी स्कूल में दो गैर मुस्लिम टीचर्स को गोली मार दी गई।
आइए जानते हैं कौन हैं ये आतंकी संगठन? इनका मकसद क्या है? यह कैसे काम करते हैं और सुरक्षा बलों के लिए कैसे चुनौती बने हुए हैं।
TRF है क्या : लश्कर ए तैयबा का छद्म नाम
मकसद : यह बताना कि घाटी में आतंक अभी खत्म नहीं हुआ है
गतिविधियां/रणनीति : कम असलहा-बारूद के जरिए ज्यादा से ज्यादा खौफ पैदा करना
पुलिस और राजनीतिक लोगों पर हमले क्यों बढ़े?
सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक आतंक के खिलाफ लड़ाई में जम्मू कश्मीर पुलिस रीढ़ की हड्डी है। जम्मू कश्मीर पुलिस में काम करने वाले मुलाजिम आम कश्मीरी ही होते हैं, उन्हीं के बीच रहते हैं। इसलिए आतंकी संगठनों को लगता है कि जम्मू कश्मीर पुलिस पर हमला करना सबसे कारगर साबित होगा। इसलिए पिछले दिनों में हमने जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों की हत्याओं की खबरें सुनी हैं। वो भी इसी रणनीति के तहत किया गया है।
दूसरी तरफ BJP के कार्यकर्ताओं, लोकल बॉडी से जुड़े लोगों की हत्याएं भी हो रही हैं। आतंकी संगठन ये मैसेज देना चाहते हैं कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों में लोग हिस्सा नहीं ले रहे हैं। ऐसे में जो लोग भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं या फिर BJP का हिस्सा बन रहे हैं, उन पर जानलेवा हमले हो रहे हैं।
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